उत्तरकाशी (उत्तराखंड): पृथक जनपद गठन से पूर्व वर्ष 1953 में स्थापित डिग्री कॉलेज श्री विश्वनाथ संस्कृत महाविद्यालय में पहले ब्राह्मण वर्ग के छात्र पढ़ते थे. वहीं अब किसी भी जाति व धर्म के छात्र संस्कृत शिक्षा ले सकते हैं. इसी साल पहली बार यहां एक अनुसूचित जाति के छात्र को प्रवेश दिया गया है. वहीं दो दशक बाद महाविद्यालय में छात्राओं की भी वापसी हुई है. यही नहीं यहां के विद्यार्थी कभी बेरोजगार नहीं रहते हैं. कइयों ने शिक्षा, ज्योतिष, कर्मकांड, कथावाचक आदि क्षेत्रों में खूब नाम भी कमाया है.
श्री विश्वनाथ संस्कृत महाविद्यालय में पहले SC छात्र ने लिया एडमिशन: उत्तरकाशी जिला मुख्यालय में श्री विश्वनाथ संस्कृत महाविद्यालय की स्थापना वर्ष 1953 में ब्रह्मस्वरूपानंद (अब दिवंगत) ने 5 से 8 छात्रों के साथ की थी. आज यह महाविद्यालय दो वर्गों कक्षा 6 से उत्तर मध्यमा तथा शास्त्री और आचार्य में संचालित हो रहा है. संस्कृत महाविद्यालय में 400 से अधिक छात्र अध्ययनरत हैं. अब तक यहां ब्राह्मण वर्ग के छात्र ही संस्कृत शिक्षा (Sanskrit education) ग्रहण करते थे. पहली बार इसी साल यहां एक अनुसूचित जाति के छात्र को भी महाविद्यालय प्रशासन ने शास्त्री प्रथम वर्ष में प्रवेश दिया है.
श्री विश्वनाथ संस्कृत महाविद्यालय में छात्राओं की भी हुई वापसी: इसके साथ ही दो दशक बाद महाविद्यालय में छात्राओं की भी वापसी हुई है. शास्त्री प्रथम वर्ष में 3 और द्वितीय वर्ष में 2 सहित कुल 7 छात्राओं ने भी प्रवेश लिया है. पिछले कुछ सालों तक छात्राओं ने प्रवेश नहीं लिया था. पूर्व में इस महाविद्यालय में इस्लाम को मानने वाला एक मुस्लिम छात्र भी पढ़ चुका है. महाविद्यालय के डिग्री वर्ग के प्राचार्य डॉ. द्वारिका प्रसाद नौटियाल का कहना है कि महाविद्यालय में दाखिले के लिए जाति व धर्म का बंधन पूर्व में भी नहीं था. जानकारी के अभाव में कम ही छात्र अन्य जाति व धर्म के दाखिला लेते थे. इसी साल गत जुलाई माह में पहली बार अनुसूचित जाति वर्ग के एक छात्र ने श्री विश्वनाथ संस्कृत महाविद्यालय में दाखिला लिया है. इस छात्र में संस्कृत के प्रति विशेष रुचि है. बिना किसी भेदभाव के छात्र यहां शिक्षा ग्रहण कर रहा है.
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श्री विश्वनाथ संस्कृत महाविद्यालय में ऐसे ले सकते हैं एडमिशन: महाविद्यालय के प्राचार्य डॉक्टर द्वारिका प्रसाद नौटियाल (Principal Dr Dwarika Prasad Nautiyal) ने बताया कि ऐसे छात्र जिनकी बारहवीं में संस्कृत नहीं है, वह भी महाविद्यालय में प्रवेश ले सकते हैं. इसके लिए उन्हें छह माह के दौरान संस्कृत ज्ञान परीक्षा उत्तीर्ण करनी होगी.
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रमेश पोखरियाल ने भी की यहां पढ़ाई: स्कूल के प्रबंधक डॉ राधेश्याम खंडूड़ी ने बताया कि कुछ साल पहले इस महाविद्यालय में लड़कियां पढ़ाई करती थीं. लेकिन बीच में प्रचार प्रसार न होने के कारण यहां पर लड़कियां पढ़ने नहीं आईं. अब इस वर्ष शास्त्री प्रथम व आचार्य में सात से आठ छात्राएं पढ़ाई कर रही हैं. उन्होंने कहा कि इस महाविद्यालय में उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक, श्रीनगर गढ़वाल विश्वविद्यालय में डीन प्रोफेसर द्वारिका प्रसाद त्रिपाठी, प्रसिद्ध व्यास गोपाल मणि, गढ़वाल राइफल में कैप्टन राजेंद्र शर्मा आदि नामचीन लोगों ने शिक्षा प्राप्त की है.