नई दिल्ली : हरियाणा-दिल्ली बॉर्डर पर स्थित सिंघु बॉर्डर पर संयुक्त किसान मोर्चा ने आंदोलन के भविष्य की रणनीति को लेकर बैठक (samyukt Kisan Morcha meeting) की. किसानों की बैठक में खत्म हो गई है. बैठक में 29 नवंबर को होने वाले संसद सत्र के दौरान प्रस्तावित किसानों की ट्रैक्टर रैली (farmers tractor rally) को स्थगित करने का फैसला किया गया है. दिल्ली में किसान नेता दर्शन पाल सिंह ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा ने 29 नवंबर को संसद में प्रस्तावित ट्रैक्टर रैली को स्थगित करने का फैसला किया है.
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After a meeting, Samyukt Kisan Morcha has decided to postpone the proposed tractor rally to Parliament on November 29: Farmer leader Darshan Pal Singh in Delhi pic.twitter.com/sRskbis3MI
— ANI (@ANI) November 27, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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मार्च को स्थगित करने का निर्णय संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने से दो दिन पहले किया गया है. संसद सत्र के दौरान तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए एक विधेयक पेश किया जाना है.
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#WATCH | In today's meeting of SKM, we have decided to continue to protest until Govt holds talks with us over MSP, the death of farmers during the protest, & the Lakhimpur violence matter. We do not agree with Govt's announcements today: BKU leader Rajveer Singh Jadaun in Delhi pic.twitter.com/8VKE4Iaojd
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पिछले एक साल से कानूनों का विरोध कर रहे किसान संगठनों का नेतृत्व करने वाले संयुक्त किसान मोर्चा ने यह भी कहा कि वह किसानों को उनकी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी देने वाले कानून की मांग पर संसद में आश्वासन चाहता है.
एसकेएम नेता दर्शन पाल ने संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, 'हम सोमवार को प्रस्तावित संसद मार्च को स्थगित कर रहे हैं. हमने किसानों के खिलाफ मामले वापस लेने, (आंदोलन के दौरान) जान गंवाने वाले किसानों का स्मारक बनाने के लिए भूमि आवंटन, लखीमपुर खीरी हिंसा मामले को लेकर अजय मिश्रा 'टेनी' को केंद्रीय मंत्रिमंडल से निलंबित करने समेत अन्य मुद्दों को लेकर प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था.'
दर्शन पाल ने कहा कि जवाब का इंतजार है और एसकेएम चार दिसंबर को एक और बैठक करेगा. एसकेएम ने यह भी मांग की है कि सरकार को उनके साथ सम्मानजनक तरीके से बातचीत शुरू करनी चाहिए.
वहीं, संयुक्त किसान मोर्चा के एक नेता का कहना है कि 'पीएम नरेंद्र मोदी को राज्य सरकार और रेलवे को विरोध के दौरान किसानों के खिलाफ दर्ज मामलों को वापस लेने का निर्देश देना चाहिए.'
संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि सरकार की घोषणाओं से अब तक हम सहमत नहीं है. हमें एमएसपी पर गारंटी मिलनी चाहिए. मोर्चा ने कहा कि हमने पीएम मोदी को चिट्ठी लिखी थी लेकिन इसका जवाब अब तक नहीं मिला है.
मोर्चा ने कहा कि इस मसले को लेकर चार दिसंबर को फिर बैठक होगी. जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं होतीं तब तक आंदोलन जारी रहेगा. सरकार को किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने होंगे.
बीकेयू नेता राजवीर सिंह जादौन ने कहा कि एसकेएम की आज की बैठक में, हमने तब तक विरोध जारी रखने का फैसला किया है जब तक सरकार एमएसपी, विरोध के दौरान किसानों की मौत और लखीमपुर हिंसा मामले पर हमारे साथ बातचीत नहीं करती है. हम सरकार की घोषणाओं से सहमत नहीं हैं. किसानों की बैठक में बड़ा फैसला होने के बाद सरकार ने फिलहाल राहत की सांस ली है.
4 दिसंबर को आगे का कार्यक्रम तय करेंगे : टिकैत
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That (SKM's scheduled march to the Parliament on 29th Nov) has been postponed, we have given time to the Govt until 4th Dec, to think. Committee will take its further decision on 4th: Bharatiya Kisan Union (BKU) leader Rakesh Tikait in Amritsar (Punjab) pic.twitter.com/MPr3LAebQX
— ANI (@ANI) November 27, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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उधर, भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने अमृतसर में कहा कि 29 तारीख के प्रस्तावित कार्यक्रम को हमने स्थगित कर दिया है और 4 तारीख को संयुक्त किसान मोर्चा की फिर से बैठक होगी. उसमें हम आगे का कार्यक्रम तय करेंगे. राकेश टिकैत ने कहा कि 'सरकार ने अभी तक किसानों की मौत, लखीमपुर खीरी की घटना, MSP और हम पर हुए मुकदमें पर कोई जवाब नहीं दिया है. हमारी प्राथमिकता है कि एमएसपी पर कानून बने इसलिए हम सरकार से कहना चाहते हैं कि एमएसपी पर हमें कानून बनाकर दें.'
उन्होंने कहा कि सरकार इस पर जितना जल्दी फैसला ले उतना अच्छा है नहीं तो हमारे आंदोलन बदस्तूर जारी रहेंगे.
बता दें कि पीएम मोदी ने 19 नवंबर को तीन कृषि कानून वापस (Farm laws withdrawal) लेने का एलान किया था. किसान संगठनों ने सरकार के इस कदम का स्वागत किया लेकिन कहा कि उनका विरोध तब तक जारी रहेगा जब तक कि कानूनों को पूरी तरह और औपचारिक रूप से वापस नहीं लिया जाता और एमएसपी की कानूनी गारंटी सहित अन्य मांगें पूरी नहीं हो जातीं.