देहरादून/रुद्रप्रयाग: उत्तराखंड के केदारघाटी क्षेत्र के गौरीकुंड में 3 और 4 अगस्त के मध्य हुए भूस्खलन और उसकी चपेट में आए 20 लोगों का 125 घंटे बाद भी कोई पता नहीं चल पाया है. राज्य सरकार ने पूरे सिस्टम को गौरीकुंड त्रासदी में लापता हुए लोगों की तलाश में लगा रखा है. लेकिन अभी तक उन लोगों का कोई सुराग नहीं लग पाया है. ऐसे में शासन-प्रशासन के लिए उन लोगों की खोजबीन एक बड़ी चुनौती बन गया है. रेस्क्यू टीम लगातार रुद्रप्रयाग से श्रीनगर तक लोगों की तलाश में भागदौड़ कर रही है. हादसे में 3 लोगों के शव चार अगस्त को बरामद हुए थे.
NDRF-SDRF का रेस्क्यू ऑपरेशन जारी: गौरीकुंड में 125 घंटे से चल रहे रेस्क्यू अभियान में न केवल एसडीआरएफ की टीम लगी हुई है बल्कि एनडीआरएफ की टीम को भी लगाया गया है. हादसे में लापता हुए लोगों के परिजन गौरीकुंड पहुंच चुके हैं. एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, ड्रोन एक्सपर्ट और गोताखोरों की टीम लगातार पिछले 5 दिन से पूरे क्षेत्र की रेकी कर रही है. लेकिन हैरानी की बात ये है कि रेस्क्यू टीम को अभी तक न तो लापता लोगों के शव बरामद हुए हैं और न ही उनके जिंदा होने के कोई सबूत मिले हैं.
दूसरी तरफ रेस्क्यू टीम के लिए पहाड़ी इलाकों में हो रही लगातार बारिश काफी परेशानियां खड़ी कर रही है. बारिश के कारण मंदाकिनी नदी उफान पर बह रही है. ऐसे में रेस्क्यू टीम को पानी में उतरने से लेकर भूस्खलन जोन में काम करने पर काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
नदी में की जा रही तलाश: गौरीकुंड त्रासदी वाले स्थान पर मंदाकिनी नदी अपने पूरे वेग में बहती है. मंदाकिनी नदी से 50 मीटर ऊपर दुकानें बनी हुई हैं. हादसे के वक्त दुकानों पर लोग सो रहे थे. गनीमत रही कि चंद दुकानें ही भूस्खलन की चपेट में आई. जबकि उक्त स्थान पर एक दर्जन से अधिक दुकानें बनी हुई हैं. वहीं, रेस्क्यू टीम ने इन 5 दिनों में आसपास के सभी क्षेत्रों में रेस्क्यू ऑपरेशन चलाकर इस बात की तस्दीक कर ली है कि कोई भी लापता व्यक्ति दुकान के आसपास या मंदाकिनी नदी के उस छोर पर बिल्कुल नहीं है, जहां पर 3 शव बरामद हुए थे. लिहाजा सभी लापता लोगों की तलाश अब मुख्य रूप से मंदाकिनी नदी में की जा रही है.
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रुद्रप्रयाग के आपदा प्रबंधन अधिकारी नंदन सिंह का कहना है कि केंद्रीय और राज्य आपदा नियंत्रण की टीमें गौरीकुंड से लेकर श्रीनगर के धारी देवी मंदिर तक तलाश कर रही है. लेकिन अब तक किसी तरह की कोई सफलता हाथ नहीं लगी है. अधिकारी की मानें तो पानी में अधिक मट्टी आने की वजह से लापता लोग नदी के किनारों पर मिट्टी में दबे हो सकते हैं. हो सकता है पानी थोड़ा कम होने के बाद वह दिखाई दें. लेकिन पहाड़ों में लगातार हो रही बारिश के कारण मंदाकिनी नदी अपने उफान पर बह रही है.
क्या कहते हैं SDRF अधिकारी: एसडीआरएफ के कमांडेंट मणिकांत मिश्रा की मानें तो गौरीकुंड हादसे के बाद से एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और लोकल पुलिस के लगभग 100 से ज्यादा जवान लापता लोगों की तलाश में लगे हुए हैं. रेस्क्यू अभियान में जुटे एसडीआरएफ के जवानों को ऐसे हालातों में रेस्क्यू ऑपरेशन का पूरा अनुभव है. उन्होंने साल 2013 की आपदा के साथ ही अन्य राज्यों में उत्पन्न हुए ऐसे हालातों में काम किया है. रेस्क्यू टीम उस हर छोर पर जाकर लापताओं की तलाश कर रही है, जहां उनके होने की उम्मीद है. फिलहाल रुद्रप्रयाग, तिलवाड़ा, कुंड बैराज, चंद्रपुरी, धारी देवी और श्रीनगर तक सर्च ऑपरेशन चल रहा है. उम्मीद है कि जल्द से जल्द लापता लोगों को खोज लिया जाएगा.
ड्रोन से भी नहीं मिला कोई सुराग: रुद्रप्रयाग एसडीएम जितेंद्र वर्मा की मानें तो ड्रोन के माध्यम से भी लापता लोगों की तलाश की जा रही है. ऐसे में पूरी सतर्कता से खोजबीन जारी है. उन्होंने बताया कि गौरीकुंड में ऐसे 7 डेंजर लैंडस्लाइड जोन हैं, जहां पर भूस्खलन की संभावनाएं हमेशा से रहती है. गौरीकुंड हादसे के बाद जिला प्रशासन ने हादसे वाले जगह पर स्थित 20 से अधिक दुकानों को तत्काल प्रभाव से खाली कराकर दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया है. ताकि आने वाले समय में दोबारा ऐसी कोई घटना न हो.
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लापता लोगों की सूची:
- आशु (उम्र 23 वर्ष), निवासी तिलवाड़ा
- प्रियांशु चमोला S/O कमलेश चमोला (उम्र 18 वर्ष), निवासी- तिलवाड़ा
- रणबीर सिंह (उम्र 28 वर्ष), निवासी- बस्टी
- अमर बोहरा S/O मान बहादुर बोहरा, निवासी- नेपाल
- अनिता बोहरा W/O अमर बोहरा (उम्र 26 वर्ष), निवासी- नेपाल
- राधिका बोहरा D/O अमर बोहरा (उम्र 14 वर्ष), निवासी- नेपाल
- पिंकी बोहरा D/O अमर बोहरा (उम्र 8 वर्ष), निवासी- नेपाल
- पृथ्वी बोहरा S/O अमर बोहरा (उम्र 7 वर्ष), निवासी- नेपाल
- जटिल S/O अमर बोहरा (उम्र 6 वर्ष), निवासी- नेपाल
- वकील S/O अमर बोहरा (उम्र 3 वर्ष), निवासी- नेपाल
- विनोद S/O बदन सिंह (उम्र 26 वर्ष), निवासी- खानवा, भरतपुर
- मुलायम S/O जसवंत सिंह (उम्र 25 वर्ष), निवासी- नगल बंजारा, सहानपुर
- सुगाराम S/O जोरा सिंह (उम्र 45 वर्ष), निवासी- नेपाल
- बम बोहरा S/O सतर सिंह बोहरा (उम्र 31 वर्ष), निवासी- नेपाल
- चंद्र कामी S/O लोउडे कामी (उम्र 26 वर्ष), निवासी- पेरिया, नेपाल
- धर्मराज S/O मुन बहादुर (उम्र 56 वर्ष), निवासी- जुमला, नेपाल
- नीर बहादुर S/O हरि बहादुर रावल (उम्र 58 वर्ष), निवासी- नेपाल
- सुमित्रा देवी W/O नीर बहादुर (उम्र 52 वर्ष), निवासी- नेपाल
- कुमारी निशा D/O नीर बहादुर (उम्र 20 वर्ष), निवासी- नेपाल
- रोहित बिष्ट S/O लक्ष्मण सिंह, निवासी- उतस्यू, चोपड़ा
पर्यावरणविद नाराज: गौरीकुंड हादसे के बाद पर्यावरणविद बेहद चिंतित हैं. उनका कहना है कि घटना हो जाने के बाद ही हम जागते हैं. जबकि मौसम विभाग एक-दो घंटे पहले नहीं बल्कि एक-दो दिन पूर्व ही अधिक बारिश और बिजली गिरने जैसी सूचनाएं देता है. इसके सरकार की भूमिका काफी अहम है. सरकारी सिस्टम को यह पता करना चाहिए कि सूचनाएं या चेतावनी धरातल पर कितनी अमल में लाई जा रही है. भूस्खलन वाले इलाकों से कितने लोगों को हटाया जा रहा है, यह देखना भी जरूरी है. अधिकारियों को धरातल पर स्थलीय निरीक्षण करना चाहिए. लाउडस्पीकर से लोगों तक सूचना पहुंचानी चाहिए, ताकि लोग सचेत रहें.
गौरीकुंड में एक और बड़ा हादसा: गौरीकुंड त्रासदी के जख्म अभी भरे भी नहीं हैं कि 9 अगस्त की सुबह गौरीकुंड में ही एक और बड़ा हादसे की जानकारी मिली है. केदारनाथ यात्रा पड़ाव पर गौरी गांव में मंगलवार देर रात नेपाली मूल के तीन मासूम भूस्खलन की चपेट में आ गए. घटना की जानकारी मिलते ही तीनों बच्चों का रेस्क्यू किया गया. बच्चों को अस्पताल पहुंचाया गया लेकिन डॉक्टरों ने दो बच्चों को मृत घोषित कर दिया, जबकि एक बच्चे का इलाज चल रहा है. आपदा प्रबंधन अधिकारी नंदन सिंह रजवार ने घटना की पुष्टि की है.
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