नई दिल्ली : गुलाबी ठंड की शुरुआत के साथ प्रदूषण की समस्या भी बढ़ने लगती है. दिल्ली समेत NCR पर प्रदूषण का साया मंडराने लगता है. नवंबर, दिसंबर और जनवरी में प्रदूषण की समस्या काफी खतरनाक स्थिति तक पहुंच जाती है. आधे नवंबर के बाद दिल्ली गैस चैंबर में बदलने लगती है, तब सांस लेना काफी मुश्किल हो जाता है. एयर क्वालिटी इंडेक्स के पीएम 2.5 का लेवल 100 से कम होना चाहिए, लेकिन नवंबर, दिसंबर और जनवरी में इसका लेवल बढ़कर 500 के पार पहुंच जाता है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली विश्व की सबसे प्रदूषित राजधानी है. प्रदूषण में भारत दुनिया में चौथे स्थान पर है. इसकी वजह से देश को हर साल 28-30 अरब डॉलर का आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ता है. जब यूरोपीय देशों के लोगों के फेफड़ों और भारतीय लोगों के फेफड़ों का तुलनात्मक अध्ययन किया गया, तो पाया गया कि भारतीय लोगों के फेफड़े प्रदूषण की वजह से सिकुड़ गए हैं. चिकित्सकों की मानें तो, एक्यूआई बढ़ने के साथ ही बुजुर्ग, बच्चे, ह्रदय रोगी सहित अस्थमेटिक मरीज़ों को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए.
एक रिपोर्ट के मुताबिक, सर्दियों के मौसम में प्रदूषण के स्तर पर किये गए अध्ययन से यह निष्कर्ष निकला कि अक्टूबर से फरवरी तक वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ता है. इस बीच पीएम 2.5 के स्तर में वृद्धि होती है. देश के 115 शहरों में किये गए अध्ययन से पता चला कि गर्मियों की हवा साफ थी तो, सर्दियों की हवा का डाटा हैरान करने वाला था. उत्तर भारत के पंजाब, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और हरियाणा देश के सबसे प्रदूषित इलाके हैं.
सरकार उठाती कदम, नहीं मिलता फायदा
हालांकि, दिल्ली सरकार प्रदूषण की समस्या को लेकर काफी सतर्क है. इलेक्ट्रिक वाहनों को प्रोत्साहित करने के अलावा और भी कई प्रयास कर रही है. प्रदूषण फैलाने वाले कारकों के लिए जिम्मेदार लोगों पर 10 हजार रुपये तक का जुर्माना लगाने का फैसला किया गया है. इसके अलावा दिल्ली सरकार ने एक बार फिर रेड लाइट ऑन गाड़ी ऑफ योजना शुरू की है. वहीं, सड़कों के किनारे धूल से होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए पानी का छिड़काव किया जा रहा है. इसके लिए पीडब्ल्यूडी द्वारा 150 टैंकर दिल्ली में लगाए गए हैं. करीब 23 एंटी स्मॉग गन पूरी दिल्ली में लगाये गए हैं.
बढ़ता प्रदूषण, शुरू राजनीति
दिल्ली में प्रदूषण बढ़ने के साथ ही राजनीति भी शुरू हो जाती है. शासन व विपक्ष एक-दूसरे पर आरोप मढ़ने लगते हैं. बीजेपी की बात करें, तो वह मुद्दा भुनाने में कभी पीछे नहीं रहती. बीजेपी का कहना है कि प्रदूषण के मामले में दिल्ली सरकार पूरी तरह से फेल हो गई है. दुनिया भर के प्रदूषित शहरों में दिल्ली सबसे ऊपर है. इसको नियंत्रण में करने के लिए सरकार को जो कदम उठाने चाहिए थे, वह नहीं उठाए गए. सरकार प्रदूषण को लेकर चिंतित नहीं है. अरविंद केजरीवाल को तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए.
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इस मामले पर दिल्ली कांग्रेस का कहना है कि अगर दिल्ली सरकार को सच में प्रदूषण कम करना है, तो धरातल पर काम करें, नौटंकी करने से काम नहीं होगा. दिल्ली की हर रेड लाइट पर मुख्यमंत्री केजरीवाल की तस्वीरें नजर आती है. मुख्यमंत्री केजरीवाल अपना प्रचार कर दिल्ली की जनता को जागरूक करने की बात कर रहे हैं, लेकिन उनके सरकारी डिपार्टमेंट की गाड़ियां इस अभियान का मखौल उड़ाती नजर आती हैं.
वहीं, आम आदमी पार्टी भी इन सवालों के जवाब देने में पीछे नहीं रहती. पार्टी प्रदूषण का ठीकरा एमसीडी व केंद्र सरकार पर फोड़ते नजर आती है. पार्टी का कहना है कि भारत के टॉप-10 प्रदूषित शहरों में से 9 शहर उत्तर प्रदेश के हैं. दिल्ली पहले ज्यादा प्रदूषित थी, पिछले वर्षों में सरकार ने जो काम किया है. उसके कारण दिल्ली में 15 फीसदी प्रदूषण कम हुआ है. दिल्ली पहले दूसरे-तीसरे स्थान पर होती थी, लेकिन आज दिल्ली की स्थिति बेहतर हुई है.
दिल्ली में ग्रीन बेल्ट बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है. दिल्ली में चल रहीं पॉल्यूटेड इंडस्ट्रीज को बंद कर दिया गया है या उनका पॉल्यूटेड फ्यूल चेंज कर दिया गया है. दिल्ली में ट्री ट्रांसप्लांटेशन पॉलिसी, इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी आदि चल रही हैं. प्रदूषण के कारकों पर नजर बनाए रखने के लिए ग्रीन वॉर रूम तैयार किया गया है. पराली से पैदा होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए बायो डिकम्पोजर का इस्तेमाल किया जा रहा है. केजरीवाल सरकार के प्रयासों से प्रदूषण कम हुआ है. इसके साथ ही AAP ने प्रदूषण के लिये केंद्र सरकार पर ठीकरा फोड़ते हुए कहा कि केंद्र सरकार से लगातार अपील की गई, लेकिन एनसीआर में जो पावर प्लांट हैं, जो प्रदूषण बढ़ा रहे हैं, उन्हें बंद नहीं किया गया. केंद्र की तरफ से जो एयर क्वालिटी कमीशन बना था, वो भी खत्म हो गया है. अभी से अगर पहल करें, तो आने वाले दिनों में स्थिति बेहतर हो जाएगी.
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