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जानिए, क्यों और क्या है असम-मिजोरम सीमा विवाद

असम-मिजोरम सीमा पर दो राज्यों के लोगों के बीच हिंसक झड़प के बाद तनाव है. झड़प में कई लोग घायल हो गए. मिजोरम के कोलासिब जिले और असम के कछार जिले में हिंसक झड़प के बाद स्थिति अब नियंत्रण में है. बता दें कि यह विवाद आज का नहीं है. यह मिजोरम के बनने के बाद से ही चला आ रहा है. आइए इस विवाद के बारे में जानते हैं.

assam mizoram
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Published : Oct 25, 2020, 10:00 AM IST

हैदराबाद : पिछले एक सप्ताह में असम और मिजोरम के निवासियों के बीच दो बार झड़प हो चुकी है. इन घटनाओं में कम से कम आठ लोग घायल हुए हैं और लोगों ने कुछ झोपड़ियों और छोटी दुकानों को भी जला दिया है.

यह झड़पें उत्तर-पूर्व में लंबे समय से चली आ रही अंतरराज्यीय सीमा के मुद्दों को रेखांकित करती हैं, विशेष रूप से असम और उन राज्यों के बीच जिन्हें असम से अलग करके बनाया गया था.

मिजोरम ने विवादों पर अपना रुख सख्त करते हुए कहा है कि अगर असम में ट्रकों की नाकाबंदी में ढील नहीं दी गई, तो उसकी म्यांमार और बांग्लादेश जैसे पड़ोसी देशों से आवश्यक सामग्री की आपूर्ति हो जाएगी.

केंद्र की प्रतिक्रिया
केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला ने 19 अक्टूबर को असम और मिजोरम के मुख्य सचिवों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से बातचीत की. इसके अलावा भल्ला ने ट्वीट करके जानकारी दी कि टेलीफोन पर स्थिति के बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को अवगत कराने के अलावा, असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने भी अपने मिजोरम समकक्ष, जोरामथंगा से बात की और दोनों पक्षों ने क्षेत्र में कानून और व्यवस्था बनाए रखने पर सहमति व्यक्त की.

पढ़ें-असम-मिजोरम सीमा पर तनाव, हिंसक झड़प में कई घायल

हालिया विवाद
17 अक्टूबर को असम के कछार जिले के लैलापुर गांव के निवासी मिजोरम के कोलासिब जिले के वैरेंगटे के पास के इलाकों के निवासियों से भिड़ गए. नौ अक्टूबर को करीमगंज (असम) और ममित (मिजोरम) जिलों की सीमा पर एक ऐसी ही घटना हुई थी.

हालांकि, असम पुलिस के अधिकारियों ने इन आरोपों का खंडन किया है. वहीं मीजो लोगों ने कहा कि उनकी लड़ाई अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों से है, असम से नहीं.

NH-306 (पहले NH-54), जिसे राज्य की जीवन रेखा माना जाता है, असम में सिलचर से होते हुए मिजोरम को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ता है.

सीमा विवाद
वर्तमान असम और मिजोरम के बीच सीमा का विवाद आजादी से पहले का है, जब ब्रिटिश राज की प्रशासनिक जरूरतों के अनुसार आंतरिक लाइनों का सीमांकन किया गया था.

स्वतंत्रता के बाद भी यह मुद्दा नहीं सुलझ पाया, जिसकी वजह से दोनों राज्यों में सीमा की अलग-अलग धारणा बनी हुई है.

1987 में मिजोरम को मिजोरम राज्य अधिनियम, 1986 से राज्य का दर्जा मिला था. वहीं 1950 में ही असम भारत का हिस्सा बन गया था. हालांकि 1960-70 के बीच राज्य के भीतर से ही कई नए राज्य बने.

असम-मिजोरम विवाद 1875 की अधिसूचना से उपजा है, जिसमें लुशाई हिल्स को कछार के मैदानी इलाकों से अलग किया गया है. इसके अलावा 1933 में एक और अधिसूचना जारी की गई थी, जो लुशाई हिल्स और मणिपुर के बीच सीमा का सीमांकन करता है.

आजादी के पहले मिजोरम को लुशाई हिल्स के नाम से जाना जाता था, जो असम का एक जिला था. मिजोरम का मानना है कि 1875 की अधिसूचना के आधार पर सीमा का सीमांकन किया जाना चाहिए, जो कि बंगाल पूर्वी सीमा नियमन (BEFR) अधिनियम, 1873 से लिया गया है.

मिजो नेताओं ने 1933 में अधिसूचित सीमांकन के खिलाफ आवाज उठाई थी, क्योंकि इसके लिए मिजो समाज से परामर्श नहीं किया गया था. वहीं असम सरकार 1933 में अधिसूचित सीमांकन को ही मानती है.

इससे पहले यहां सीमा विवाद 2018 में हुआ था.

अन्य सीमा विवाद
ब्रिटिश शासन के दौरान, असम में वर्तमान नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश और मेघालय के अलावा मिजोरम भी शामिल था, जो एक के बाद एक अलग राज्य बन गए. आज, असम में उनमें से प्रत्येक के साथ सीमा संबंधी समस्याएं हैं.

नागालैंड असम के साथ 500 किलोमीटर की सीमा साझा करता है. मनोहर पर्रिकर इंस्टीट्यूट फॉर डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस के 2008 के शोध पत्र के अनुसार, 1965 से असम-नगालैंड सीमा पर कई हिंसक और सशस्त्र संघर्ष हुए हैं.

1979 और 1985 में हिंसा की दो बड़ी घटनाओं में, कम से कम 100 लोग मारे गए थे. सीमा विवाद अब सुप्रीम कोर्ट में है.

असम-अरुणाचल प्रदेश सीमा (800 किमी से अधिक) पर, 1992 में पहली बार झड़पें हुई थीं, उसी शोध पत्र के अनुसार तब से, दोनों पक्षों से अवैध अतिक्रमण और आंतरिक झड़पों के कई आरोप हैं. इस सीमा मुद्दे पर भी सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सुनवाई की जा रही है.

884 किलोमीटर लंबी असम-मेघालय सीमा पर भी अक्सर हिंसक झड़पें होती हैं. मेघालय सरकार के बयानों के अनुसार, आज दोनों राज्यों के बीच विवाद के 12 क्षेत्र हैं. इस साल फरवरी में, दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने यथास्थिति और शांति बनाए रखने की आवश्यकता के बारे में एक-दूसरे से बात की थी.

हैदराबाद : पिछले एक सप्ताह में असम और मिजोरम के निवासियों के बीच दो बार झड़प हो चुकी है. इन घटनाओं में कम से कम आठ लोग घायल हुए हैं और लोगों ने कुछ झोपड़ियों और छोटी दुकानों को भी जला दिया है.

यह झड़पें उत्तर-पूर्व में लंबे समय से चली आ रही अंतरराज्यीय सीमा के मुद्दों को रेखांकित करती हैं, विशेष रूप से असम और उन राज्यों के बीच जिन्हें असम से अलग करके बनाया गया था.

मिजोरम ने विवादों पर अपना रुख सख्त करते हुए कहा है कि अगर असम में ट्रकों की नाकाबंदी में ढील नहीं दी गई, तो उसकी म्यांमार और बांग्लादेश जैसे पड़ोसी देशों से आवश्यक सामग्री की आपूर्ति हो जाएगी.

केंद्र की प्रतिक्रिया
केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला ने 19 अक्टूबर को असम और मिजोरम के मुख्य सचिवों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से बातचीत की. इसके अलावा भल्ला ने ट्वीट करके जानकारी दी कि टेलीफोन पर स्थिति के बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को अवगत कराने के अलावा, असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने भी अपने मिजोरम समकक्ष, जोरामथंगा से बात की और दोनों पक्षों ने क्षेत्र में कानून और व्यवस्था बनाए रखने पर सहमति व्यक्त की.

पढ़ें-असम-मिजोरम सीमा पर तनाव, हिंसक झड़प में कई घायल

हालिया विवाद
17 अक्टूबर को असम के कछार जिले के लैलापुर गांव के निवासी मिजोरम के कोलासिब जिले के वैरेंगटे के पास के इलाकों के निवासियों से भिड़ गए. नौ अक्टूबर को करीमगंज (असम) और ममित (मिजोरम) जिलों की सीमा पर एक ऐसी ही घटना हुई थी.

हालांकि, असम पुलिस के अधिकारियों ने इन आरोपों का खंडन किया है. वहीं मीजो लोगों ने कहा कि उनकी लड़ाई अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों से है, असम से नहीं.

NH-306 (पहले NH-54), जिसे राज्य की जीवन रेखा माना जाता है, असम में सिलचर से होते हुए मिजोरम को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ता है.

सीमा विवाद
वर्तमान असम और मिजोरम के बीच सीमा का विवाद आजादी से पहले का है, जब ब्रिटिश राज की प्रशासनिक जरूरतों के अनुसार आंतरिक लाइनों का सीमांकन किया गया था.

स्वतंत्रता के बाद भी यह मुद्दा नहीं सुलझ पाया, जिसकी वजह से दोनों राज्यों में सीमा की अलग-अलग धारणा बनी हुई है.

1987 में मिजोरम को मिजोरम राज्य अधिनियम, 1986 से राज्य का दर्जा मिला था. वहीं 1950 में ही असम भारत का हिस्सा बन गया था. हालांकि 1960-70 के बीच राज्य के भीतर से ही कई नए राज्य बने.

असम-मिजोरम विवाद 1875 की अधिसूचना से उपजा है, जिसमें लुशाई हिल्स को कछार के मैदानी इलाकों से अलग किया गया है. इसके अलावा 1933 में एक और अधिसूचना जारी की गई थी, जो लुशाई हिल्स और मणिपुर के बीच सीमा का सीमांकन करता है.

आजादी के पहले मिजोरम को लुशाई हिल्स के नाम से जाना जाता था, जो असम का एक जिला था. मिजोरम का मानना है कि 1875 की अधिसूचना के आधार पर सीमा का सीमांकन किया जाना चाहिए, जो कि बंगाल पूर्वी सीमा नियमन (BEFR) अधिनियम, 1873 से लिया गया है.

मिजो नेताओं ने 1933 में अधिसूचित सीमांकन के खिलाफ आवाज उठाई थी, क्योंकि इसके लिए मिजो समाज से परामर्श नहीं किया गया था. वहीं असम सरकार 1933 में अधिसूचित सीमांकन को ही मानती है.

इससे पहले यहां सीमा विवाद 2018 में हुआ था.

अन्य सीमा विवाद
ब्रिटिश शासन के दौरान, असम में वर्तमान नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश और मेघालय के अलावा मिजोरम भी शामिल था, जो एक के बाद एक अलग राज्य बन गए. आज, असम में उनमें से प्रत्येक के साथ सीमा संबंधी समस्याएं हैं.

नागालैंड असम के साथ 500 किलोमीटर की सीमा साझा करता है. मनोहर पर्रिकर इंस्टीट्यूट फॉर डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस के 2008 के शोध पत्र के अनुसार, 1965 से असम-नगालैंड सीमा पर कई हिंसक और सशस्त्र संघर्ष हुए हैं.

1979 और 1985 में हिंसा की दो बड़ी घटनाओं में, कम से कम 100 लोग मारे गए थे. सीमा विवाद अब सुप्रीम कोर्ट में है.

असम-अरुणाचल प्रदेश सीमा (800 किमी से अधिक) पर, 1992 में पहली बार झड़पें हुई थीं, उसी शोध पत्र के अनुसार तब से, दोनों पक्षों से अवैध अतिक्रमण और आंतरिक झड़पों के कई आरोप हैं. इस सीमा मुद्दे पर भी सर्वोच्च न्यायालय द्वारा सुनवाई की जा रही है.

884 किलोमीटर लंबी असम-मेघालय सीमा पर भी अक्सर हिंसक झड़पें होती हैं. मेघालय सरकार के बयानों के अनुसार, आज दोनों राज्यों के बीच विवाद के 12 क्षेत्र हैं. इस साल फरवरी में, दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने यथास्थिति और शांति बनाए रखने की आवश्यकता के बारे में एक-दूसरे से बात की थी.

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