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अंतिम वर्ष परीक्षा : यूजीसी की गाइडलाइन पर आज आ सकता है फैसला

सुप्रीम कोर्ट कोरोना महामारी के बीच कॉलेजों व विश्वविद्यालयों में सभी कोर्सेज की अंतिम वर्ष की परीक्षा कराने के यूजीसी के दिशा-निर्देश पर जल्द ही फैसला सुना सकता है. इस मामले में सभी पक्षों के साथ बहस पूरी हो चुकी है.

अंतिम वर्ष परीक्षा
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Published : Aug 24, 2020, 3:46 PM IST

Updated : Aug 24, 2020, 4:39 PM IST

नई दिल्ली : विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने कोरोना महामारी के बीच कॉलेजों व विश्वविद्यालयों में सभी कोर्सेज की अंतिम वर्ष की परीक्षा कराने को लेकर दिशा-निर्देश जारी किया है. यूजीसी के महामारी के बीच परीक्षा कराने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है, जिस पर जल्द फैसला आ सकता है.

बताया जा रहा है कि शीर्ष अदालत ने मामले में विभिन्न हितधारकों के साथ बहस पूरी कर ली है और इस सप्ताह मामले में अंतिम फैसले की घोषणा करने की संभावना है.

31 छात्रों ने दाखिल की है याचिका
शीर्ष अदालत ने बीते 18 अगस्त को विभिन्न राज्यों के छात्रों के एक समूह द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई की, जिसमें कोरोना महामारी के बीच अंतिम सेमेस्टर की परीक्षाओं को रद्द करने की मांग की गई है. बिहार, असम, उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों के 31 छात्रों के एक समूह द्वारा यह याचिका दायर की गई है. हालांकि, यूजीसी अंतिम वर्ष की परीक्षा कराने के पक्ष में है और इस संबंध में उसने दिशा-निर्देश भी जारी किए हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों को दस्तावेज इकट्ठा करने और मामले पर अंतिम बहस में प्रस्तुत करने के लिए तीन दिनों का समय दिया था. अदालत आज अंतिम फैसला सुना सकती है. फैसले की प्रतीक्षा कर रहे छात्र इस उम्मीद में हैं कि अदालत उनके पक्ष में फैसला करेगी.

स्वास्थ्य से जुड़े खतरे
छात्रों ने महामारी में परीक्षा आयोजित करने के दौरान होने वाले स्वास्थ्य जोखिमों को दर्शाया है. छात्रों का यह भी कहना है कि ऑनलाइन परीक्षा आयोजित करना उन छात्रों के लिए उचित नहीं है जो दूरदराज के क्षेत्रों से आते हैं और जहां इंटरनेट कनेक्टिविटी बहुत खराब है.

छात्रों ने यह भी उल्लेख किया है कि देश में कोरोना संक्रमण के मामलों की संख्या लगातार बढ़ रही है और ऐसी परिस्थितियों में परीक्षा आयोजित करना असुरक्षित हो सकता है. उन्होंने प्रस्ताव दिया है कि परीक्षा रद्द कर दी जानी चाहिए और आंतरिक मूल्यांकन के अंकों के आधार पर छात्रों को पदोन्नत किया जाना चाहिए.

राज्य सरकारों ने किया परीक्षा आयोजित करने का विरोध
दिल्ली और महाराष्ट्र सरकार ने कहा है कि परीक्षा आयोजित करना वर्तमान स्थिति में संभव नहीं होगा, जिसके कारण दोनों राज्य ने अंतिम वर्ष की परीक्षा रद्द कर दी है. हालांकि यूजीसी ने कहा है कि उसके दिशा-निर्देश देशभर के सभी विश्वविद्यालयों पर लागू होते हैं और इन्हें किसी विशेष राज्य द्वारा अस्वीकार नहीं किया जा सकता है.

अंतिम सेमेस्टर परीक्षा के लिए यूजीसी की गाइडलाइन
यूजीसी ने छह जुलाई, 2020 को कोरोना महामारी के बीच कॉलेजों व विश्वविद्यालयों को अंतिम सेमेस्टर की परीक्षा आयोजित करने के लिए दिशा-निर्देश जारी किया था. जिसमें कहा गया है कि सभी कॉलेजों व विश्वविद्यालयों को अंतिम सेमेस्टर की परीक्षा आयोजित करना अनिवार्य है. परीक्षा ऑनलाइन या ऑफलाइन या दोनों माध्यमों से कराई जा सकती है.

दिशा-निर्देश के मुताबिक, मध्यवर्ती (इंटरमीडिएट) सेमेस्टर के छात्रों को पिछली परीक्षाओं में आंतरिक मूल्यांकन के अंकों के आधार पर अगले सेमेस्टर में पदोन्नत किया जाएगा.

नई दिल्ली : विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने कोरोना महामारी के बीच कॉलेजों व विश्वविद्यालयों में सभी कोर्सेज की अंतिम वर्ष की परीक्षा कराने को लेकर दिशा-निर्देश जारी किया है. यूजीसी के महामारी के बीच परीक्षा कराने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है, जिस पर जल्द फैसला आ सकता है.

बताया जा रहा है कि शीर्ष अदालत ने मामले में विभिन्न हितधारकों के साथ बहस पूरी कर ली है और इस सप्ताह मामले में अंतिम फैसले की घोषणा करने की संभावना है.

31 छात्रों ने दाखिल की है याचिका
शीर्ष अदालत ने बीते 18 अगस्त को विभिन्न राज्यों के छात्रों के एक समूह द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई की, जिसमें कोरोना महामारी के बीच अंतिम सेमेस्टर की परीक्षाओं को रद्द करने की मांग की गई है. बिहार, असम, उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों के 31 छात्रों के एक समूह द्वारा यह याचिका दायर की गई है. हालांकि, यूजीसी अंतिम वर्ष की परीक्षा कराने के पक्ष में है और इस संबंध में उसने दिशा-निर्देश भी जारी किए हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों को दस्तावेज इकट्ठा करने और मामले पर अंतिम बहस में प्रस्तुत करने के लिए तीन दिनों का समय दिया था. अदालत आज अंतिम फैसला सुना सकती है. फैसले की प्रतीक्षा कर रहे छात्र इस उम्मीद में हैं कि अदालत उनके पक्ष में फैसला करेगी.

स्वास्थ्य से जुड़े खतरे
छात्रों ने महामारी में परीक्षा आयोजित करने के दौरान होने वाले स्वास्थ्य जोखिमों को दर्शाया है. छात्रों का यह भी कहना है कि ऑनलाइन परीक्षा आयोजित करना उन छात्रों के लिए उचित नहीं है जो दूरदराज के क्षेत्रों से आते हैं और जहां इंटरनेट कनेक्टिविटी बहुत खराब है.

छात्रों ने यह भी उल्लेख किया है कि देश में कोरोना संक्रमण के मामलों की संख्या लगातार बढ़ रही है और ऐसी परिस्थितियों में परीक्षा आयोजित करना असुरक्षित हो सकता है. उन्होंने प्रस्ताव दिया है कि परीक्षा रद्द कर दी जानी चाहिए और आंतरिक मूल्यांकन के अंकों के आधार पर छात्रों को पदोन्नत किया जाना चाहिए.

राज्य सरकारों ने किया परीक्षा आयोजित करने का विरोध
दिल्ली और महाराष्ट्र सरकार ने कहा है कि परीक्षा आयोजित करना वर्तमान स्थिति में संभव नहीं होगा, जिसके कारण दोनों राज्य ने अंतिम वर्ष की परीक्षा रद्द कर दी है. हालांकि यूजीसी ने कहा है कि उसके दिशा-निर्देश देशभर के सभी विश्वविद्यालयों पर लागू होते हैं और इन्हें किसी विशेष राज्य द्वारा अस्वीकार नहीं किया जा सकता है.

अंतिम सेमेस्टर परीक्षा के लिए यूजीसी की गाइडलाइन
यूजीसी ने छह जुलाई, 2020 को कोरोना महामारी के बीच कॉलेजों व विश्वविद्यालयों को अंतिम सेमेस्टर की परीक्षा आयोजित करने के लिए दिशा-निर्देश जारी किया था. जिसमें कहा गया है कि सभी कॉलेजों व विश्वविद्यालयों को अंतिम सेमेस्टर की परीक्षा आयोजित करना अनिवार्य है. परीक्षा ऑनलाइन या ऑफलाइन या दोनों माध्यमों से कराई जा सकती है.

दिशा-निर्देश के मुताबिक, मध्यवर्ती (इंटरमीडिएट) सेमेस्टर के छात्रों को पिछली परीक्षाओं में आंतरिक मूल्यांकन के अंकों के आधार पर अगले सेमेस्टर में पदोन्नत किया जाएगा.

Last Updated : Aug 24, 2020, 4:39 PM IST
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