नई दिल्ली : नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों का दौर बहरहाल थमता हुआ नहीं दिख रहा है. देश के कई हिस्सों समेत देश की राजधानी दिल्ली में भी कई उग्र प्रदर्शन देखे गए, जिसमें सरकारी और निजी सम्पत्तियों को भी काफी नुकसान पहुंचा. लेकिन अब सीएए के समर्थन में कई प्रदर्शन की तैयारी है.
एक तरफ जहां 19 दिसंबर को वामपंथी दलों ने दिल्ली में एकजुट होकर CAA और NRC के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का एलान किया है वहीं दूसरी तरफ भाजपा और विहिप द्वारा समर्थन प्राप्त कुछ संगठन दिल्ली के राजघाट पर एकत्रित होकर नागरिकता संशोधन कानून के समर्थन में प्रदर्शन करेंगे.
यह सिलसिला यहीं नहीं रुकेगा. 20 दिसंबर को भी एक बड़े समर्थन कार्यक्रम का आह्वान किया गया है, जिसमें दिल्ली के कनॉट प्लेस में युवाओं और छात्रों का हुजूम जुटाने की तैयारी चल रही है.
सूत्रों की मानें तो ऐसा अन्य छात्रों के विरोध प्रदर्शनों के जवाब में किया जा रहा है और इससे ये संदेश जाएगा कि ऐसे युवाओं और छात्रों की संख्या भी बहुत बड़ी है, जो CAA का समर्थन करते हैं.
दिल्ली के राजीव चौक पर 20 दिसंबर को होने वाले समर्थन प्रदर्शन के लिए जो आह्वान किया गया है, उस संदेश में किसी भी संगठन या संस्था का नाम नहीं दिया गया है.
हालांकि ऐसी जानकारी मिली है कि ये समर्थन जुलूस RSS की छात्र इकाई ABVP (अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद्) और विहिप के व्यापक समर्थन के साथ ही आयोजित किया जा रहा है.
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इन दो कार्यक्रमों के बाद दिल्ली के रामलीला मैदान में 22 दिसंबर को प्रधानमंत्री मोदी की बड़ी रैली आयोजित की जा रही है.
हालांकि यह रैली दिल्ली में कच्ची कॉलोनियों को मालिकाना हक देने के केंद्र सरकार के निर्णय के बाद धन्यवाद ज्ञापन के रूप में आयोजित हो रही है, लेकिन जाहिर तौर पर इसमें भी CAA की चर्चा जरूर होगी और यहां से भी नागरिकता संशोधन कानून के समर्थन में आवाज बुलंद की जाएगी.
कुल मिलाकर अब CAA के विरोध में हुए प्रदर्शनों को सुर्खियों से परे कर इसके समर्थन में हो रहे कार्यक्रमों को दृश्य में लाने की कवायद सरकार और उनके समर्थक संगठनों द्वारा शुरू की जा चुकी है.
इस क्रम में बुधवार को भी कई जगहों पर भाजपा की स्थानीय इकाइयों द्वारा समर्थन मार्च निकालते हुए देखा गया. सोशल मीडिया पर कानून के समर्थन में पहले ही कैम्पेन शुरु हो चुके हैं.
विपक्षी पार्टियों के तमाम प्रयासों के बावजूद गृह मंत्री अमित शाह ने दो टूक कहा है कि नागरिकता संशोधन कानून को वापस लेने का कोई सवाल नहीं है. ऐसे में देखना होगा कि लगातार हो रहे विरोध प्रदर्शनों का दौर कब तक चलता है और इसके अंतिम नतीजे क्या निकलते हैं.