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कैग का खुलासा, केरल में सड़कों के निर्माण में हुआ घोटाला

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Published : Sep 6, 2020, 7:51 AM IST

सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के दिशा-निर्देशों की अनदेखी कर केरल की सरकार ने मनमाने तरीके से 600 करोड़ रुपये से ज्यादा की लागत वाली सड़कों का निर्माण कर डाला. इन सड़कों को बनाने में क्वालिटी से समझौता हुआ. ठेकेदारों को गलत तरह से फायदा पहुंचाने का खेल हुआ. जिसका खुलासा देश की सर्वोच्च ऑडिट एजेंसी सीएजी (कैग) ने किया है.

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पी विजयन सरकार

नई दिल्ली : मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, केरल सरकार ने सड़कों के निर्माण में सारे नियम-कायदे तोड़ दिए. कैग की ओर से दो सितंबर को केरल के इकोनॉमिक सेक्टर को लेकर जारी हुई रिपोर्ट से सड़क निर्माण में गोलमाल की पोल खुली है. सीएजी की यह रिपोर्ट केरल की पी विजयन सरकार को मुश्किल में डाल सकती है.

दरअसल, सड़क परिवहन राजमार्ग मंत्रालय और केरल सरकार के खुद के नियमों के मुताबिक दो करोड़ से ऊपर की लागत वाली सड़कों के निर्माण की क्वालिटी चेक करने के लिए ठेकेदार को फील्ड लेबोरेटरी (प्रयोगशाला) बनाना जरूरी है. ट्रेंड इंजीनियर की देखरेख में इन लैब का संचालन होना चाहिए, ताकि सड़कों की गुणवत्ता से किसी तरह का समझौता न हो. खुद, केरल सरकार ने 2013 में ऑर्डर जारी कर दो करोड़ से ऊपर की लागत वाली सड़कों के निर्माण में क्वालिटी कंट्रोल के लिए फील्ड लैब की अनिवार्यता की थी. लेकिन, जब केरल सरकार ने राज्य में सड़कों का निर्माण कराना शुरू किया तो वह अपने और सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के आदेशों को भूल गई.

रिपोर्ट के मुताबिक, कैग ने मार्च 2018 तक पीडब्ल्यूडी की ओर से कराए गए कुल 282 कार्यों का टेस्ट चेक किया. जिसमें से कुल 92 कार्यों की लागत दो करोड़ रुपये से ज्यादा की रही. इस प्रकार सभी 92 कार्यों के लिए ठेकेदारों को फील्ड लेबोरेटरी स्थापित करनी थी. लेकिन जांच में पता चला कि सिर्फ सात कार्यों के लिए ही फील्ड लैबोरेटरी की स्थापना की गई, जिनकी लागत 101.69 करोड़ रही. जबकि 611.85 करोड़ रुपये की लागत से होने वाले 85 कार्यों के लिए फील्ड लेबोरेटरीज स्थापित ही नहीं हुईं.

कैग को इन प्रयोगशालाओं का कहीं से भी कोई प्रमाण नहीं मिला. उदाहरण के तौर पर तिरुवनंतपुरम रोड डिवीजन की 20, कोझिकोड की 11 और इडुकी में निर्मित 18 सड़कों की क्वालिटी चेक करने के लिए कोई प्रयोगशाला स्थापित नहीं हुई.

कैग ने रिपोर्ट में स्पष्ट कहा है, 'फील्ड लेबोरेटरीज की स्थापना में विफलता और जरूरत के हिसाब से क्वालिटी चेक न करना कार्यों की गुणवत्ता से न केवल समझौता दिखाता है बल्कि यह ठेकेदारों का गलत तरीके से पक्ष भी लेता है.'

कैग ने कहा है कि चूंकि यह सिर्फ नमूना जांच थी. इसलिए अन्य कार्यों में भी इसी तरह की अनियमितता हो सकती है. इस नाते पीडब्ल्यूडी को अन्य प्रोजेक्ट की भी जांच करनी चाहिए.

केरल में सड़क बनाने में और भी कई तरह की गड़बड़ियां सामने आईं. मसलन, क्वालिटी कंट्रोल टेस्ट से बचने के लिए कार्यों की लागत को जानबूझकर कई टुकड़ों में दिखाया गया. यही नहीं सड़क निर्माण के लिए निकाले टेंडर में कई मानकों को हटा दिया गया था, जो कि सड़कों की गुणवत्ता के लिहाज से बहुत जरूरी थे.

(आईएएनएस)

नई दिल्ली : मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, केरल सरकार ने सड़कों के निर्माण में सारे नियम-कायदे तोड़ दिए. कैग की ओर से दो सितंबर को केरल के इकोनॉमिक सेक्टर को लेकर जारी हुई रिपोर्ट से सड़क निर्माण में गोलमाल की पोल खुली है. सीएजी की यह रिपोर्ट केरल की पी विजयन सरकार को मुश्किल में डाल सकती है.

दरअसल, सड़क परिवहन राजमार्ग मंत्रालय और केरल सरकार के खुद के नियमों के मुताबिक दो करोड़ से ऊपर की लागत वाली सड़कों के निर्माण की क्वालिटी चेक करने के लिए ठेकेदार को फील्ड लेबोरेटरी (प्रयोगशाला) बनाना जरूरी है. ट्रेंड इंजीनियर की देखरेख में इन लैब का संचालन होना चाहिए, ताकि सड़कों की गुणवत्ता से किसी तरह का समझौता न हो. खुद, केरल सरकार ने 2013 में ऑर्डर जारी कर दो करोड़ से ऊपर की लागत वाली सड़कों के निर्माण में क्वालिटी कंट्रोल के लिए फील्ड लैब की अनिवार्यता की थी. लेकिन, जब केरल सरकार ने राज्य में सड़कों का निर्माण कराना शुरू किया तो वह अपने और सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के आदेशों को भूल गई.

रिपोर्ट के मुताबिक, कैग ने मार्च 2018 तक पीडब्ल्यूडी की ओर से कराए गए कुल 282 कार्यों का टेस्ट चेक किया. जिसमें से कुल 92 कार्यों की लागत दो करोड़ रुपये से ज्यादा की रही. इस प्रकार सभी 92 कार्यों के लिए ठेकेदारों को फील्ड लेबोरेटरी स्थापित करनी थी. लेकिन जांच में पता चला कि सिर्फ सात कार्यों के लिए ही फील्ड लैबोरेटरी की स्थापना की गई, जिनकी लागत 101.69 करोड़ रही. जबकि 611.85 करोड़ रुपये की लागत से होने वाले 85 कार्यों के लिए फील्ड लेबोरेटरीज स्थापित ही नहीं हुईं.

कैग को इन प्रयोगशालाओं का कहीं से भी कोई प्रमाण नहीं मिला. उदाहरण के तौर पर तिरुवनंतपुरम रोड डिवीजन की 20, कोझिकोड की 11 और इडुकी में निर्मित 18 सड़कों की क्वालिटी चेक करने के लिए कोई प्रयोगशाला स्थापित नहीं हुई.

कैग ने रिपोर्ट में स्पष्ट कहा है, 'फील्ड लेबोरेटरीज की स्थापना में विफलता और जरूरत के हिसाब से क्वालिटी चेक न करना कार्यों की गुणवत्ता से न केवल समझौता दिखाता है बल्कि यह ठेकेदारों का गलत तरीके से पक्ष भी लेता है.'

कैग ने कहा है कि चूंकि यह सिर्फ नमूना जांच थी. इसलिए अन्य कार्यों में भी इसी तरह की अनियमितता हो सकती है. इस नाते पीडब्ल्यूडी को अन्य प्रोजेक्ट की भी जांच करनी चाहिए.

केरल में सड़क बनाने में और भी कई तरह की गड़बड़ियां सामने आईं. मसलन, क्वालिटी कंट्रोल टेस्ट से बचने के लिए कार्यों की लागत को जानबूझकर कई टुकड़ों में दिखाया गया. यही नहीं सड़क निर्माण के लिए निकाले टेंडर में कई मानकों को हटा दिया गया था, जो कि सड़कों की गुणवत्ता के लिहाज से बहुत जरूरी थे.

(आईएएनएस)

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