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रॉ प्रमुख से मुलाकात के बाद नेपाली पीएम का बदला रुख, ट्वीट किया पुराना नक्शा

भारत-नेपाल सीमा विवाद पर सख्‍त रवैया अपनाने वाले नेपाली पीएम केपी शर्मा ओली के रुख में रॉ प्रमुख सामंत कुमार गोयल से मुलाकात के बाद बदलाव आया है. इसी का संकेत पीएम केपी शर्मा ओली ने ट्वीट के जरिए दिया है. ट्वीट में उन्‍होंने नेपाल का पुराना नक्‍शा इस्‍तेमाल कर रिश्तों में सुधार के संकेत दिए हैं.

Oli and Goyal
ओली व गोयल
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Published : Oct 24, 2020, 4:28 PM IST

Updated : Oct 24, 2020, 4:53 PM IST

काठमांडू : भारत की खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालायसिस विंग (रॉ) के प्रमुख सामंत कुमार गोयल के साथ भेंट करने के बाद नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली का रुख बदलता नजर आ रहा है. रॉ चीफ से मुलाकात के बाद नेपाली प्रधानमंत्री ने विजयदशमी की बधाई देने वाला ट्वीट किया है. खास बात यह है कि इसमें उन्‍होंने नेपाल का पुराना नक्‍शा इस्‍तेमाल किया है. माना जा रहा है कि अब तक भारत-नेपाल सीमा विवाद पर सख्‍त रवैया अपनाने वाले पीएम केपी शर्मा ओली के रुख में सामंत कुमार गोयल से मुलाकात के बाद बदलाव आया है. इसी का संकेत पीएम केपी शर्मा ओली ने ट्वीट के जरिए दिया है. गोयल ने बुधवार रात को अकेले में ओली से उनके आधिकारिक आवास पर मुलाकात की थी. यही नहीं भारतीय सेना प्रमुख जनरल नरवणे भी अगले महीने नेपाल की यात्रा पर जा रहे हैं. हालांकि, आने वाला वक्त ही बताएगा कि केपी शर्मा ओली इस रुख पर कितने दिनों तक टिके रहते हैं.

अकेले मुलाकात करने पर ओली को नेपाल के नेताओं ने घेरा

कूटनीतिक नियमों की अनदेखी कर रॉ प्रमुख सामंत कुमार गोयल के साथ भेंट करने के कारण नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली खुद की पार्टी समेत अन्य दलों के नेताओं की आलोचना के केन्द्र में आ गए हैं. सत्तारूढ़ दल नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) के नेता भीम रावल ने कहा कि रॉ प्रमुख गोयल और प्रधानमंत्री ओली के बीच जो बैठक हुई है, वह कूटनीतिक नियमों के विरूद्ध है और इससे नेपाल के राष्ट्रहितों की पूर्ति नहीं हुई. चूंकि यह बैठक विदेश मंत्रालय के संबंधित संभाग के साथ बिना परामर्श के गैर पारदर्शी तरीके से हुई, ऐसे में इससे हमारी राजकीय प्रणाली कमजोर होगी. एनसीपी के विदेश मामलों के प्रकोष्ठ के उपप्रमुख विष्णु रिजाल ने कहा कि कूटनीति नेताओं के द्वारा नहीं, बल्कि राजनयिकों द्वारा संभाली जानी चाहिए. रॉ प्रमुख की यात्रा पर वर्तमान संशय कूटनीति राजनेताओं द्वारा संभाले जाने का परिणाम है. नेपाली कांग्रेस के केंद्रीय नेता गगन थापा ने ट्वीट किया, 'यह बैठक न केवल कूटनीतिक नियमों का उल्लंघन है, बल्कि हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा पर खतरा भी पैदा करती है. इसकी जांच की जानी चाहिए.'

तीन पूर्व प्रधानमंत्रियों ने मुलाकात का किया खंडन

नेपाल के तीन पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड, माधव कुमार नेपाल (दोनों एनसीपी के नेता) और नेपाली कांग्रेस के शेर बहादुर देउबा ने मीडिया की इन खबरों का खंडन किया कि उनकी भी रॉ प्रमुख के साथ बैठक हुई है. गोयल की यात्रा भारतीय सेना के प्रमुख जनरल एम एम नरवणे की नवंबर के पहले सप्ताह में होने वाली नेपाल यात्रा से पहले हुई है.

भारत और नेपाल कर रहे फिर दोस्त बनने का प्रयास

रिश्तों पर जमी बर्फ पिघलाने की शुरुआत भारत ने की. भारतीय सेना के प्रमुख जनरल एम एम नरवणे की नवंबर के पहले सप्ताह में नेपाल दौरे की घोषणा कर भारत ने दोस्ती का हाथ बढ़ाया. जनरल नरवणे के नेपाल दौरे की घोषणा होने के कुछ घंटे बाद ही दोस्ती के जवाब में प्रधानमंत्री ओली ने ईश्वर पोखरेल से रक्षा मंत्रालय की जिम्मेदारी वापस लेते हुए अपने पास रख ली. हालांकि, पोखरेल को पीएमओ में कैबिनेट मंत्री के रूप में बनाए रखा. भारत से सीमा विवाद के बीच रक्षा मंत्री रहते हुए ईश्वर पोखरेल ने नेपाली सेना के प्रमुख को जबरन कालापानी भेजा था, जबकि नेपाली सेना का स्पष्ट मानना था कि भारत के साथ कूटनीतिक या राजनीतिक विवाद में सेना को न घसीटा जाए. इसके अलावा रक्षा मंत्री रहते हुए पोखरेल ने नेपाली सेना पर भारतीय थल सेना अध्यक्ष जनरल नरवणे के नेपाल संबंधी बयान का विरोध करने और प्रतिक्रिया देने के लिए दबाव डाला था, जिसे नेपाली सेना ने सिरे से खारिज कर दिया था.

क्यों और कब शुरू हुआ विवाद

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा आठ मई को उत्तराखंड में लिपुलेख और धारचूला को जोड़ने वाले 80 किलोमीटर लंबे रणनीतिक रूप से अहम मार्ग का उद्घाटन किए जाने के बाद दोनों देशों के बीच तनाव पैदा हो गया था. नेपाल ने यह दावा करते हुए इस उद्घाटन का विरोध किया था कि यह सड़क उसके क्षेत्र से गुजरती है. कुछ दिनों बाद उसने नया मानचित्र जारी किया और लिपुलेख, कालापानी एवं लिंपियाधुरा को अपनी सीमा के अंदर दिखाया. भारत ने भी नवंबर 2019 में नया मानचित्र जारी किया था, जिसमें इन क्षेत्रों को अपनी सीमा के अंदर दिखाया था. नेपाल के मानचित्र जारी करने पर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया जारी की और इसे एकतरफा कृत्य करार दिया. उसने कहा कि क्षेत्रीय दावे का कृत्रिम विस्तार उसे स्वीकार्य नहीं है.

काठमांडू : भारत की खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालायसिस विंग (रॉ) के प्रमुख सामंत कुमार गोयल के साथ भेंट करने के बाद नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली का रुख बदलता नजर आ रहा है. रॉ चीफ से मुलाकात के बाद नेपाली प्रधानमंत्री ने विजयदशमी की बधाई देने वाला ट्वीट किया है. खास बात यह है कि इसमें उन्‍होंने नेपाल का पुराना नक्‍शा इस्‍तेमाल किया है. माना जा रहा है कि अब तक भारत-नेपाल सीमा विवाद पर सख्‍त रवैया अपनाने वाले पीएम केपी शर्मा ओली के रुख में सामंत कुमार गोयल से मुलाकात के बाद बदलाव आया है. इसी का संकेत पीएम केपी शर्मा ओली ने ट्वीट के जरिए दिया है. गोयल ने बुधवार रात को अकेले में ओली से उनके आधिकारिक आवास पर मुलाकात की थी. यही नहीं भारतीय सेना प्रमुख जनरल नरवणे भी अगले महीने नेपाल की यात्रा पर जा रहे हैं. हालांकि, आने वाला वक्त ही बताएगा कि केपी शर्मा ओली इस रुख पर कितने दिनों तक टिके रहते हैं.

अकेले मुलाकात करने पर ओली को नेपाल के नेताओं ने घेरा

कूटनीतिक नियमों की अनदेखी कर रॉ प्रमुख सामंत कुमार गोयल के साथ भेंट करने के कारण नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली खुद की पार्टी समेत अन्य दलों के नेताओं की आलोचना के केन्द्र में आ गए हैं. सत्तारूढ़ दल नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) के नेता भीम रावल ने कहा कि रॉ प्रमुख गोयल और प्रधानमंत्री ओली के बीच जो बैठक हुई है, वह कूटनीतिक नियमों के विरूद्ध है और इससे नेपाल के राष्ट्रहितों की पूर्ति नहीं हुई. चूंकि यह बैठक विदेश मंत्रालय के संबंधित संभाग के साथ बिना परामर्श के गैर पारदर्शी तरीके से हुई, ऐसे में इससे हमारी राजकीय प्रणाली कमजोर होगी. एनसीपी के विदेश मामलों के प्रकोष्ठ के उपप्रमुख विष्णु रिजाल ने कहा कि कूटनीति नेताओं के द्वारा नहीं, बल्कि राजनयिकों द्वारा संभाली जानी चाहिए. रॉ प्रमुख की यात्रा पर वर्तमान संशय कूटनीति राजनेताओं द्वारा संभाले जाने का परिणाम है. नेपाली कांग्रेस के केंद्रीय नेता गगन थापा ने ट्वीट किया, 'यह बैठक न केवल कूटनीतिक नियमों का उल्लंघन है, बल्कि हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा पर खतरा भी पैदा करती है. इसकी जांच की जानी चाहिए.'

तीन पूर्व प्रधानमंत्रियों ने मुलाकात का किया खंडन

नेपाल के तीन पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड, माधव कुमार नेपाल (दोनों एनसीपी के नेता) और नेपाली कांग्रेस के शेर बहादुर देउबा ने मीडिया की इन खबरों का खंडन किया कि उनकी भी रॉ प्रमुख के साथ बैठक हुई है. गोयल की यात्रा भारतीय सेना के प्रमुख जनरल एम एम नरवणे की नवंबर के पहले सप्ताह में होने वाली नेपाल यात्रा से पहले हुई है.

भारत और नेपाल कर रहे फिर दोस्त बनने का प्रयास

रिश्तों पर जमी बर्फ पिघलाने की शुरुआत भारत ने की. भारतीय सेना के प्रमुख जनरल एम एम नरवणे की नवंबर के पहले सप्ताह में नेपाल दौरे की घोषणा कर भारत ने दोस्ती का हाथ बढ़ाया. जनरल नरवणे के नेपाल दौरे की घोषणा होने के कुछ घंटे बाद ही दोस्ती के जवाब में प्रधानमंत्री ओली ने ईश्वर पोखरेल से रक्षा मंत्रालय की जिम्मेदारी वापस लेते हुए अपने पास रख ली. हालांकि, पोखरेल को पीएमओ में कैबिनेट मंत्री के रूप में बनाए रखा. भारत से सीमा विवाद के बीच रक्षा मंत्री रहते हुए ईश्वर पोखरेल ने नेपाली सेना के प्रमुख को जबरन कालापानी भेजा था, जबकि नेपाली सेना का स्पष्ट मानना था कि भारत के साथ कूटनीतिक या राजनीतिक विवाद में सेना को न घसीटा जाए. इसके अलावा रक्षा मंत्री रहते हुए पोखरेल ने नेपाली सेना पर भारतीय थल सेना अध्यक्ष जनरल नरवणे के नेपाल संबंधी बयान का विरोध करने और प्रतिक्रिया देने के लिए दबाव डाला था, जिसे नेपाली सेना ने सिरे से खारिज कर दिया था.

क्यों और कब शुरू हुआ विवाद

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा आठ मई को उत्तराखंड में लिपुलेख और धारचूला को जोड़ने वाले 80 किलोमीटर लंबे रणनीतिक रूप से अहम मार्ग का उद्घाटन किए जाने के बाद दोनों देशों के बीच तनाव पैदा हो गया था. नेपाल ने यह दावा करते हुए इस उद्घाटन का विरोध किया था कि यह सड़क उसके क्षेत्र से गुजरती है. कुछ दिनों बाद उसने नया मानचित्र जारी किया और लिपुलेख, कालापानी एवं लिंपियाधुरा को अपनी सीमा के अंदर दिखाया. भारत ने भी नवंबर 2019 में नया मानचित्र जारी किया था, जिसमें इन क्षेत्रों को अपनी सीमा के अंदर दिखाया था. नेपाल के मानचित्र जारी करने पर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया जारी की और इसे एकतरफा कृत्य करार दिया. उसने कहा कि क्षेत्रीय दावे का कृत्रिम विस्तार उसे स्वीकार्य नहीं है.

Last Updated : Oct 24, 2020, 4:53 PM IST
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