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पुलवामा हमले का सच पाकिस्तान की संसद में स्वीकार किया गया: मोदी - pulwama attack truth

हाल में पाक की संसद में पुलवामा हमले को लेकर दिए बयान में पाकिस्तान की पोल खोल दी है. भारत में पाक की इस नापाक हरकत को लेकर आक्रोश है. ऐसे में पीएम मोदी ने कहा कि पाक ने हमले के सच को स्वीकारा है.

पुलवामा हमले का सच पाकिस्तान की संसद में स्वीकार किया गया: मोदी
पुलवामा हमले का सच पाकिस्तान की संसद में स्वीकार किया गया: मोदी
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Published : Nov 1, 2020, 7:25 AM IST

केवडिया : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि पिछले साल पुलवामा में हुए आतंकवादी हमले के सच को पाकिस्तान की संसद में स्वीकार किया गया. इस हमले में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के 40 जवान शहीद हो गए थे.

प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि जब पूरा देश पुलवामा हमले के बाद दुखी था कुछ लोग स्वार्थ और अहंकार से भरी भद्दी राजनीति कर रहे थे.

मोदी का यह बयान ऐसे समय में आया है कुछ दिनों पहले ही पाकिस्तान के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री फवाद चौधरी ने पाकिस्तान की संसद में स्वीकार किया कि 2019 में जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकवादी हमले के लिये उनका देश जिम्मेदार है.

इस हमले के बाद दोनों देश जंग के मुहाने पर आकर खड़े हो गए थे.

प्रधानमंत्री मोदी यहां देश के पहले गृह मंत्री सरदार बल्‍लभ भाई पटेल की 145वीं जयंती पर ‘स्‍टैचयू ऑफ यूनिटी’ पर श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद उपस्थित जनसमूह को संबोधित कर रहे थे.

मोदी ने कहा, 'आज यहां जब मैं अर्धसैनिक बलों की परेड देख रहा था तो मन में एक और तस्वीर थी. यह तस्वीर थी पुलवामा हमले की. देश कभी भूल नहीं सकता कि जब अपने वीर बेटों के जाने से पूरा देश दुखी था, तब कुछ लोग उस दुख में शामिल नहीं थे.'

उन्होंने कहा कि देश कभी भूल नहीं सकता कि तब कैसी-कैसी बातें कहीं गईं और कैसे-कैसे बयान दिए गए थे.

उन्होंने कहा, 'देश भूल नहीं सकता कि जब देश पर इतना बड़ा घाव लगा था, तब स्वार्थ और अहंकार से भरी भद्दी राजनीति कितने चरम पर थी.'

मोदी ने कहा, 'पिछले दिनों पड़ोसी देश से जो खबरें आईं हैं, जिस प्रकार वहां की संसद में सत्य स्वीकारा गया है, उसने इन लोगों के असली चेहरों को देश के सामने ला दिया है. अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए, ये लोग किस हद तक जा सकते हैं. पुलवामा हमले के बाद की गई राजनीति, इसका बड़ा उदाहरण है.

प्रधानमंत्री ने इस प्रकार की राजनीति करने वाले दलों से आग्रह किया कि देश की सुरक्षा के हित में और सुरक्षाबलों के मनोबल के लिए इस प्रकार की राजनीति ना करें.

उन्होंने कहा, 'अपने स्वार्थ के लिए, जाने-अनजाने आप देशविरोधी ताकतों की हाथों में खेलकर, न आप देश का हित कर पाएंगे और न ही अपने दल का.'

उन्होंने कहा कि देश हित ही सर्वोच्च हित है. 'जब हम सबका हित सोचेंगे, तभी हमारी भी प्रगति होगी, उन्नति होगी.'

केवडिया : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि पिछले साल पुलवामा में हुए आतंकवादी हमले के सच को पाकिस्तान की संसद में स्वीकार किया गया. इस हमले में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के 40 जवान शहीद हो गए थे.

प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि जब पूरा देश पुलवामा हमले के बाद दुखी था कुछ लोग स्वार्थ और अहंकार से भरी भद्दी राजनीति कर रहे थे.

मोदी का यह बयान ऐसे समय में आया है कुछ दिनों पहले ही पाकिस्तान के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री फवाद चौधरी ने पाकिस्तान की संसद में स्वीकार किया कि 2019 में जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकवादी हमले के लिये उनका देश जिम्मेदार है.

इस हमले के बाद दोनों देश जंग के मुहाने पर आकर खड़े हो गए थे.

प्रधानमंत्री मोदी यहां देश के पहले गृह मंत्री सरदार बल्‍लभ भाई पटेल की 145वीं जयंती पर ‘स्‍टैचयू ऑफ यूनिटी’ पर श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद उपस्थित जनसमूह को संबोधित कर रहे थे.

मोदी ने कहा, 'आज यहां जब मैं अर्धसैनिक बलों की परेड देख रहा था तो मन में एक और तस्वीर थी. यह तस्वीर थी पुलवामा हमले की. देश कभी भूल नहीं सकता कि जब अपने वीर बेटों के जाने से पूरा देश दुखी था, तब कुछ लोग उस दुख में शामिल नहीं थे.'

उन्होंने कहा कि देश कभी भूल नहीं सकता कि तब कैसी-कैसी बातें कहीं गईं और कैसे-कैसे बयान दिए गए थे.

उन्होंने कहा, 'देश भूल नहीं सकता कि जब देश पर इतना बड़ा घाव लगा था, तब स्वार्थ और अहंकार से भरी भद्दी राजनीति कितने चरम पर थी.'

मोदी ने कहा, 'पिछले दिनों पड़ोसी देश से जो खबरें आईं हैं, जिस प्रकार वहां की संसद में सत्य स्वीकारा गया है, उसने इन लोगों के असली चेहरों को देश के सामने ला दिया है. अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए, ये लोग किस हद तक जा सकते हैं. पुलवामा हमले के बाद की गई राजनीति, इसका बड़ा उदाहरण है.

प्रधानमंत्री ने इस प्रकार की राजनीति करने वाले दलों से आग्रह किया कि देश की सुरक्षा के हित में और सुरक्षाबलों के मनोबल के लिए इस प्रकार की राजनीति ना करें.

उन्होंने कहा, 'अपने स्वार्थ के लिए, जाने-अनजाने आप देशविरोधी ताकतों की हाथों में खेलकर, न आप देश का हित कर पाएंगे और न ही अपने दल का.'

उन्होंने कहा कि देश हित ही सर्वोच्च हित है. 'जब हम सबका हित सोचेंगे, तभी हमारी भी प्रगति होगी, उन्नति होगी.'

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