नई दिल्ली: बाल मजदूरी सारे विश्व में एक बड़ी समस्या है. ये ऐसी समाजिक बुराई है, जिसके खिलाफ कई संगठन अभियान चला रहे हैं. बाल श्रम निषेध दिवस हर साल 12 जून को लोगों को जागरूक करने के लिए मनाया जाता है. इसी से जुड़ी कुछ अहम जानकारियां हम आपसे साझा कर रहे हैं.
क्या है बाल मजदूरी?
बाल श्रम किसी भी क्षेत्र में बच्चों से गैरकानूनी तरीके से काम करवाना कहलाता है. ये काम बच्चों से उनके बचपन को छीनते और रोजाना स्कूल जाने में बाधा पैदा करते हैं. ये रुकावट बच्चे के लिए मानसिक, शारीरिक, सामाजिक या नैतिक तौर पर नुकसानदायक और हानिकारक हो सकती हैं.
क्यों 12 जून?
जून 12 को पूरे विश्व में बाल श्रम के खिलाफ विश्व दिवस के रूप में मनाया जाता है. इसे बाल श्रम निषेध दिवस कहा जाता है. अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन ने बाल श्रम के वैश्विक मुद्दे से निपटने के लिए 2002 में इस दिन का शुभारंभ किया.
वो जो आज भी सपने नहीं देख सकते
- विश्व में बाल श्रमिकों की संख्या 151.6 मिलियन
- जबरन बाल श्रम करने वाले बाल श्रमिकों की संख्या 4.3 मिलियन
- बच्चे जिनका किसी स्कूल में दाखिला नहीं हुआ, उनकी संख्या 263 मिलियन
जानें कुछ आंकड़े जो आईएलओ द्वारा जारी किए गए हैं:
- 152 मिलियन के करीब बच्चे बाल मजदूरी कर रहे हैं. इनमें से 72 मिलियन बच्चे जोखिम भरे कमों में लगे हुए हैं.
- ऐसे जोखिम भरे कार्यों से 45 मिलियन लड़के और 28 मिलियन लड़कियां प्रभावित हैं.
- बीते कुछ सालों में जोखिम भरे कामों को करने वाले बच्चों (5-11 आयुवर्ग), उनकी संख्या में 19 मिलियन का इजाफा हुआ है.
आईएलओ द्वारा जारी इन आंकड़ों पर भी नजर डालें
भारत में बाल मजदूरी
- 15-18 आयुवर्ग के 23 मिलियन बच्चे बाल मजदूरी कर रहे हैं.
- इसमें से 19 मिलियन ने बीच में ही पढ़ाई छोड़ दी है, ये जानकारी एक अग्रणी एनजीओ द्वारा किए गए अध्ययन से मिली हैं.
- इसमें से 15-19 आयुवर्ग के 19 मिलियन बच्चों की शादी हो चुकी है. ये कहना है सीआरवाई (CRY) का.
- वहीं, इनमें 2.4 मिलियन लड़कियां मां बन चुकी हैं.
क्या है बीबीए?
नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी बच्चों के हक के लिए तीन दशकों से लड़ाई लड़ रहे हैं. बचपन बचाओ आंदोलन उनके द्वारा शुरू किया गया अभियान है. इसके तहत 87,000 बच्चों को बाल शोषण से बचाया गया. साल 2014 में उन्हें बच्चों के अधिकारों के लिए काम करने और अभियान चलाने के लिए नोबेल पीस पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया.
भारत में बच्चों के अधिकारों के लिए अभियान चलाने वाले 6 अन्य संगठन-
- चाइल्ड राइट्स एंड यू (सीआरवाई/CRY)
- चाइल्ड लाइन इंडियन फाउंडेशन
- सेव द चिल्ड्रेन इंडिया
- एसओएस चिल्ड्रेंस विलेजेस, इंडिया
- उदय फाउंडेशन
- प्रथम एजुकेशन फाउंडेशन
भारतीय कानून बच्चों को शोषण से बचाता है:
- बाल श्रम निषेध अधिनियम 1986, 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के रोजगार पर प्रतिबंध लगाता है, जैसे कि घरेलू श्रम और आतिथ्य व्यापार में बच्चों का प्रयोग. अतिथि श्रम के उदाहरण के तैर बर बताएं तो सड़क के किनारे लगे ढाबों, रेस्तरां, होटल, मोटल और स्पा में बच्चों से काम कराना. इसके तहत कृषि में बाल श्रम पर प्रतिबंध नहीं है.
- शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009, 6-14 साल के बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार देता है. साथ ही ये अधिनियम जबरन काम पर निषेध, खतरनाक व्यवसायों में 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के काम करने पर प्रतिबंध और बच्चों को शोषण से बचाने वाली नीतियों को बढ़ावा देता है.
- जो कोई भी काम पर बच्चों को रखेगा या बच्चों को काम करने की इजाजत देगा, उसको 3 महीन से एक साल तक जेल की सजा है या फिर व्यक्ति विशेष पर 10,000-20,000 का जुर्माना या फिर दोनों भी हो सकता है.
- किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम 2000, 18 वर्ष से कम आयु के बच्चे को परिभाषित करता है. 1992 में भारत द्वारा अनुमोदित बाल अधिकारों (सीआरसी) के तहत सभी बच्चों को ऐसे काम से बचाने का अधिकार है, जो खतरनाक है, या बच्चों के स्वास्थ्य या शिक्षा को नुकसान पहुंचा सकता है.
ध्यान दें- दुनिया में हर कानून में बाल मजदूरी निषेध है. इन कानूनों के अपवादों में बाल कलाकारों द्वारा काम, पारिवारिक कर्तव्यों, पर्यवेक्षित प्रशिक्षण आदि शामिल हैं.
बाल श्रम को समाप्त करने में सामने आ रही चुनौतियां:
- इसका मुख्य कारण गरीबी है, जिसके चलते बच्चों के परिवार वाले उन्हें बाल मजदूरी करने के लिए धकेलते हैं.
- बाल श्रम एक समान नहीं है. बच्चों के काम करने के प्रकार, बच्चे की उम्र और लिंग या वे स्वतंत्र रूप से या परिवारों के साथ काम करते है,इसके आधार पर यह कई रूप लेता है. बाल श्रम की इतनी जटिलताओं के चलते कोई एक रणनीति नहीं है, जिसका प्रयोग कर इसे खत्म किया जा सके.
- बाल श्रम का मुकाबला करने के लिए दीर्घकालिक समन्वित कार्रवाई की आवश्यकता होती है, जिसमें कई हितधारक और सरकार शामिल होते हैं. इसमें शैक्षणिक संस्थान, मास मीडिया, गैर सरकारी संगठन और समुदाय आधारित संगठन के साथ-साथ ट्रेड यूनियन और नियोक्ता शामिल हैं. यह महत्वपूर्ण है कि लोगों के दृष्टिकोण और मानसिकता को बदलने के बजाय वयस्कों को नियोजित किया जाए और सभी बच्चों को स्कूल जाने की अनुमति दी जाए. उन्हें सीखने, खेलने और सामाजिक बनाने का मौका दिया जाए.
- शिक्षा बाल श्रम को रोकने का एक तरीका है और भारत में बाल श्रमिकों को कम करने से रोकने के सबसे सफल तरीकों में से एक है. शिक्षा का विस्तार कर बच्चों को स्कूल पहुंचाना, शिक्षा की गुणवत्ता और प्रासंगिकता में सुधार, स्कूलों में हिंसा के बारे में बच्चों को जागरूक करना, प्रासंगिक व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान करना और मौजूदा व्यवस्थाओं का उपयोग करके बाल श्रमिकों का स्कूलों में वापसी सुनिश्चित करना इसमें शामिल है.
बाल श्रम को खत्म करने के लिए आप उठा सकते हैं ये छह कदम:
- बच्चे को बाल मजदूरी करता देख शिकायत दर्ज कराएं.
- बाल मजदूरी करने वाले बच्चों के माता-पिता को जागरूक करें.
- घर के कामों में मदद के लिए बच्चों को काम पर न रखें.
- गरीब बच्चे की पढ़ाई के लिए दान करें.
- समाज में लोगों को इससे जुड़े कानून के बारे में शिक्षित करें.
बाल मजदूरी भारतीय समाज में बहुत बड़ी समस्या है. भले ही सरकार ने इससे जुड़े कानून बनाए हैं, लेकिन फिर भी लेगों को आगे बढ़ कर सख्त कदम लेने की जरूरत है. तभी इस समस्या का हल निकलेगा.