हैदराबाद : देश में कोरोना के बढ़ते मामले वाकई में चिंताजनक हैं. हर दिन कोरोना वायरस के मामलों में रिकॉर्ड तोड़ बढ़ोतरी हो रही है. भारत में कोरोना वायरस के कुल मामलों की संख्या नौ लाख को पार करने वाली है. वहीं 23 हजार से ज्यादा मौतों का आंकड़ा डरा देने वाला है. इन सभी बातों के बीच 63.1 फीसदी रिकवरी रेट राहत जरूर दे रही है.
14 राज्यों की अगर बात करें, तो प्रत्येक राज्य में कोरोना के मामलों की संख्या 10 हजार तक पहुंच गई है. महाराष्ट्र अकेला ऐसा राज्य है, जो 2.5 लाख से ज्यादा मामलों के साथ इस महामारी का केंद्र बन चुका है.
वहीं तमिलनाडु में 1.38 लाख से ज्यादा संक्रमित सामने आ चुके हैं. राजधानी दिल्ली की बात करें, तो यहां भी मामले बढ़ ही रहे हैं. ऐसे में तमाम देश इस बीमारी से निबटने के लिए दवा बनाने की कोशिश कर रहे हैं. मानव जीवन को दिन-प्रतिदिन दयनीय बनाती इस बीमारी से बचाव के लिए वैक्सीन बनाने की कोशिश जारी है.
कोरोना मरीजों को इस बीमारी से उबारने के लिए डॉक्टर्स मरीजों को फेबीफ्लू (फ्लू को नियंत्रित करने के लिए एक जापानी दवा), हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (मलेरिया के रोगियों के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवा) देकर मरीजों को ठीक करने की कोशिश कर रहे हैं.
गौर हो कि कोरोना के लिए वैक्सीन का परीक्षण अब अहम चरण तक पहुंच गया है. हैदराबाद स्थित एनआईएमएस (निजाम आर्युविज्ञान संस्थान) ने घोषणा की है कि भारत बायोटेक द्वारा विकसित वैक्सीन- Covaccine का अब ह्यूमन ट्रायल अगले सोमवार से शुरू होगा.
भारत बायोटेक और जायडस कैडिला (Jaydus Cadila) को मनुष्यों पर परीक्षण कर उसकी प्रभावशीलता की जांच करने की अनुमति मिली है.
बता दें कि जायडस कैडिला का पूरा नाम जायडस कैडिला हेल्थ केयर लिमिटेड है, और यह एक दवा कंपनी है.
समाचार रिपोर्टों के मुताबिक, दुनियाभर में 12 से भी ज्यादा वैक्सीन परीक्षण के विभिन्न चरणों में हैं, हालांकि कुछ ने काफी अच्छा भी किया है लेकिन उन्हें कर्मशियल इस्तेमाल की अनुमति नहीं मिली.
डब्ल्यूएचओ (विश्व स्वास्थ्य संगठन) की वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ सौम्या स्वामीनाथन ने बताया कि चीन ने अपने द्वारा विकसित किए जा रहे टीकों में से एक को खास तौर पर सेना के उपयोग के लिए बनाया है.
तीसरे चरण के परीक्षणों के बाद टीके का उपयोग सार्वजनिक तौर पर किया जाएगा. वहीं चीन ने स्पष्ट किया है कि इसमें कम से कम 12 से 18 महीने लगेंगे.
सीसीएमबी निदेशक भी इस बात के पक्षधर हैं कि वैक्सीन के ह्यूमन ट्रायल के तीसरे चरण के प्रयोगों को पूरा करने के लिए कम से कम छह से नौ महीनों का समय तो होना चाहिए.
वैज्ञानिकों की मानें, तो जब तक वैक्सीन प्रभावी नहीं हो जाती, तब तक इसकी सुरक्षित खुराक को लेकर शोध जारी रहेगा और इसे ऐसी जगहों पर आजमाया जाएगा, जहां वायरस के फैलने की संभावना ज्यादा होगी. साथ ही इसे लेकर कम समय में फीडबैक भी लिया जाएगा. एक बार इसके सफल हो जाने के बाद इसके उत्पादन और वितरण के लिए अग्रिम योजना बनाई जानी चाहिए.
वैक्सीन को लेकर अपना रुख बदलकर देरी से बचकर वैक्सीन को जल्द पूरा करने की घोषणा करने वाले आईसीएमआर (भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद) को अपनी अग्रणी जिम्मेदारी और अधिक सावधानी से निभानी चाहिए.
ऐसे नाजुक समय में, जब इस भयानक बीमारी को वैक्सीन ही खत्म कर सकती है, तो वैज्ञानिकों को एक उचित दिशा दी जानी चाहिए.