नई दिल्ली: इजरायल और भारत के संयुक्त सहयोग से कोरोना टेस्ट के लिए परीक्षण विकसित किए जा रहे हैं जो सफल होने पर 30 सेकंड से भी कम समय में परिणाम देंगे. परीक्षण तीन दिन पहले डॉ. राम मनोहर लोहिया (आरएमएल) अस्पताल में एक विशेष परीक्षण स्थल पर शुरू हुआ. इसे डीआरडीओ, सीएसआईआर, पीएसए और इजरायल के रक्षा मंत्रालय के सहयोग से संयुक्त रूप से विकसित किया जाएगा.
परीक्षणों में चार अलग-अलग प्रकार की सरल तकनीकों का उपयोग किया गया है. जिसमें आवाज परीक्षण, सांस का परीक्षण, इजोटेर्मल परीक्षण और पॉलीमिनो एसिड परीक्षण शामिल हैं.
- आवाज परीक्षण - इसमें मरीज की आवाज में परिवर्तन की पहचान की जाती है.
- सांस विश्लेषक परीक्षण - टेरा-हेर्ट्ज़ तरंगों का उपयोग करके वायरस का पता लगाया जाता है
- इजोटेर्मल परीक्षण - लार के नमूने में वायरस की पहचान करने में सक्षम है
- पॉलीमिनो एसिड - जो COVID-19 से संबंधित प्रोटीन को अलग कर परीक्षण किया जाता है
भारत में इजराइल के राजदूत रॉन मलका ने कहा कि बढ़ती महामारी के दौरान दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने कुछ बातचीत की और संयुक्त अनुसंधान में सहयोग का फैसला किया और कोविड -19 के लिए समाधान खोजने का फैसला किया. यदि यह प्रयोग सफल हुआ तो क्रांति होगी.
मलका ने कहा कि इसके अलावा कृषि, जल विज्ञान प्रौद्योगिकी, साइबर सुरक्षा पर भी समझौते किये गए हैं.
तीन दिन पहले इजरायल से आई विशेष फ्लाईट में वैज्ञानिकों का प्रतिनिधिमंडल भारत पहुंचा. जिन्होंने कोविड -19 से लड़ने के लिए अत्याधुनिक तकनीकों के साथ-साथ चिकित्सा उपकरण भी खरीदे.
मलका ने कहा कि इस मुश्किल वक्त में भारत ने इजरायल की काफी मदद की. भारत इजरायल को दवाइयां,दवाई के लिए कच्चा माल और जो भी जरूरत थी उसकी आपूर्ति की. इसे ही सच्ची मित्रता कहते हैं.
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भारत के प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार के. विजय राघवन ने बताया कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी को जनता की मदद के लिए एक साथ आना चाहिए.
राघव ने कहा कि इजरायल और भारत विज्ञान के हर क्षेत्र में सहयोग करते हैं. वर्षों से हमारे देशों ने जो दोस्ती और विश्वास कायम किया है उससे मौजूदा अध्ययनों की गति और गुणवत्ता में सुधार हुआ है.