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आजादी के बाद लिखे गए इतिहास में कई बड़े पहलुओं की अनदेखी हुई : PM मोदी

पश्चिम बंगाल में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आजादी के बाद लिखे गए इतिहास में कई पहलुओं की अनदेखी की गई है. मोदी ने कहा कि इस इतिहास में इस बात का उल्लेख नहीं है कि देश के लोग उस समय क्या कर रहे थे. पढ़ें पूरी खबर...

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
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Published : Jan 12, 2020, 7:57 AM IST

Updated : Jan 12, 2020, 9:33 AM IST

कोलकाता : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि ब्रिटिश शासन और आजादी के बाद देश के इतिहास के बारे में जिन इतिहासकारों ने लिखा, उन्होंने उसके कई महत्वपूर्ण पहलुओं की अनदेखी की और ऐसा लगता है कि तब भारत के लोगों का अस्तित्व ही नहीं था.

मोदी ने शनिवार को कहा, 'कुछ लोग बाहर से आए, उन्होंने सिंहासन की खातिर अपने ही रिश्तेदारों, भाइयों को मार डाला...यह हमारा इतिहास नहीं है. यह स्वयं गुरूदेव ने कहा था. उन्होंने कहा था कि इस इतिहास में इसका उल्लेख नहीं है कि देश के लोग क्या कर रहे थे. क्या उनका कोई अस्तित्व नहीं था.'

प्रधानमंत्री मोदी का संबोधन

मोदी ने कहा कि आजादी के बाद लिखे गए देश के इतिहास में कई पहलुओं की अनदेखी की गई है और यह वह नहीं है जो हम पढ़ते हैं या परीक्षा में लिखते हैं.

आपको बता दें, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को इस कार्यक्रम में शामिल होना था लेकिन वह वहां नहीं गईं. शहर के मेयर तथा वरिष्ठ नेता फरहाद हाकिम ने इसमें हिस्सा लिया.

मोदी ने कहा, 'यह बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण है कि ब्रिटिश शासन के दौरान और आजादी के बाद भी जो इतिहास लिखा गया उनमें कई महत्वपूर्ण अध्यायों की अनदेखी की गई.'

रवींद्रनाथ टैगोर का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, 'भारत का इतिहास वह नहीं है जो हम याद करते हैं और परीक्षाओं में लिखते हैं. हमने देखा है कि बेटे ने पिता की हत्या कर दी और भाई आपस में लड़ रहे हैं. यह भारत का इतिहास नहीं है.'

इस संदर्भ में उन्होंने हैरानी जताते हुए कहा कि भारत के लोग तब क्या कर रहे थे. 'ऐसा लगता है कि वह अस्तित्व में ही नहीं थे.'

फिर से टैगोर का हवाला देते हुए मोदी ने कहा कि जब भी तूफान जैसा मुश्किल वक्त आता है तो हमें डटकर खड़े रहकर उसका सामना करना चाहिए, लेकिन वे लोग जो इसे बाहर से देखते हैं, वे सिर्फ तूफान देखेंगे.

प्रधानमंत्री मोदी का संबोधन

संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) पर विवाद के बीच प्रधानमंत्री ने कहा, 'हिंसा के इस समय में, राष्ट्र की अंतररात्मा को जगाना जरूरी है. इससे ही हमारी संस्कृति, इतिहास और दर्शन का उदय हुआ है.'

मोदी ने कहा कि देश के लोगों ने सैन्य शक्ति की मदद से नहीं, बल्कि आंदोलनों के माध्यम से बदलाव लाया है.

उन्होंने कहा, 'राजनीति और सैन्य शक्ति की उम्र छोटी होती है लेकिन कला, संस्कृति और इतिहास की ताकत स्थाई होती है.'

प्रधानमंत्री ने कहा, 'परंपरा और पर्यटन का हमारी संस्कृति से सीधा संबंध है. भारत को सबसे आगे रखने के लिए हम धरोहर पर्यटन को बढ़ावा देंगे, जिसमें रोजगार सृजन की भी गुंजाइश है. हम भारत को धरोहर पर्यटन का केंद्र बनाना चाहते हैं.'

पुनर्विकसित की गई अंग्रेजों के समय की चार इमारतों को देश को समर्पित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि देश की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर से दुनिया को रू-ब-रू कराया जाएगा.

उन्होंने कहा कि कोलकाता के भारतीय संग्रहालय जैसे कुछ पुराने संग्रहालयों को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप विकसित किया जाएगा.

प्रधानमंत्री ने 1833 में स्थापित एवं फिर से विकसित की गई करेंसी बिल्डिंग के उद्घाटन कार्यक्रम में कहा, 'एक भारतीय धरोहर संस्थान की भी स्थापना की जाएगी, जिसको डीम्ड विश्वविद्यालय का दर्जा दिया जाएगा.'

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण कोलकाता के मुताबिक, यह तीन मंजिला इमारत है जिसकी डिजाइन इतावली शैली की है. शुरू में इसमें एक बैंक होता था. सरकार ने 1868 में अपने मुद्रा विभाग के लिए इस इमारत के बड़े हिस्से को अपने कब्जे में ले लिया था जिसके बाद इसका नाम करेंसी बिल्डिंग रखा गया था.

इसके अलावा मोदी ने बेल्वेदेरे हाउस, मेटकॉफ हॉल और विक्टोरिया मेमोरियल हॉल को भी राष्ट्र को समर्पित किया जिन्हें पुन: विकसित किया गया है.

उन्होंने कहा कि खुदीराम बोस, रास बिहारी बोस, विनय बादल और दिनेश, ऋषि अरविंद और नेताजी सुभाष चंद्र बोस जैसे बंगाल के देशभक्तों के लिए विक्टोरिया मेमोरियल हॉल में एक गैलरी आरक्षित की जाएगी.

मोदी ने कहा कि लेखक शरत चंद्र चटर्जी, समाज सुधारक केशब सेन और ईश्वर चंद्र विद्यासागर, स्वामी विवेकानंद और रवींद्रनाथ टैगोर जैसे लोगों ने दुनिया को भारत की ताकत दिखाई थी.

पढ़ें-पीएम मोदी और ममता ने साझा किया मंच, CM ने CAA-NRC पर उठाए सवाल

उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि 21वीं सदी भारत की होगी. 'मैं खुद तथा सरकार इसका समर्थन करती है और बंगाल के लोगों से सीखने की कोशिश भी करते हैं.'

बंगाल से पुनर्जागरण काल की एक अन्य शख्सियत राजा राममोहन राय पर, मोदी ने कहा कि देश को उनके सिद्धांतों का पालन करने की आवश्यकता है.

प्रधानमंत्री ने कहा, 'हम उनकी 250वीं जयंती (2022 में) सालभर चलने वाले कार्यक्रम के जरिए मनाएंगे. हमारे धरोहर को संरक्षित करना हमारा कर्तव्य है और यह राष्ट्र निर्माण के प्रमुख पहलुओं में से एक है.'

कोलकाता : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि ब्रिटिश शासन और आजादी के बाद देश के इतिहास के बारे में जिन इतिहासकारों ने लिखा, उन्होंने उसके कई महत्वपूर्ण पहलुओं की अनदेखी की और ऐसा लगता है कि तब भारत के लोगों का अस्तित्व ही नहीं था.

मोदी ने शनिवार को कहा, 'कुछ लोग बाहर से आए, उन्होंने सिंहासन की खातिर अपने ही रिश्तेदारों, भाइयों को मार डाला...यह हमारा इतिहास नहीं है. यह स्वयं गुरूदेव ने कहा था. उन्होंने कहा था कि इस इतिहास में इसका उल्लेख नहीं है कि देश के लोग क्या कर रहे थे. क्या उनका कोई अस्तित्व नहीं था.'

प्रधानमंत्री मोदी का संबोधन

मोदी ने कहा कि आजादी के बाद लिखे गए देश के इतिहास में कई पहलुओं की अनदेखी की गई है और यह वह नहीं है जो हम पढ़ते हैं या परीक्षा में लिखते हैं.

आपको बता दें, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को इस कार्यक्रम में शामिल होना था लेकिन वह वहां नहीं गईं. शहर के मेयर तथा वरिष्ठ नेता फरहाद हाकिम ने इसमें हिस्सा लिया.

मोदी ने कहा, 'यह बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण है कि ब्रिटिश शासन के दौरान और आजादी के बाद भी जो इतिहास लिखा गया उनमें कई महत्वपूर्ण अध्यायों की अनदेखी की गई.'

रवींद्रनाथ टैगोर का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, 'भारत का इतिहास वह नहीं है जो हम याद करते हैं और परीक्षाओं में लिखते हैं. हमने देखा है कि बेटे ने पिता की हत्या कर दी और भाई आपस में लड़ रहे हैं. यह भारत का इतिहास नहीं है.'

इस संदर्भ में उन्होंने हैरानी जताते हुए कहा कि भारत के लोग तब क्या कर रहे थे. 'ऐसा लगता है कि वह अस्तित्व में ही नहीं थे.'

फिर से टैगोर का हवाला देते हुए मोदी ने कहा कि जब भी तूफान जैसा मुश्किल वक्त आता है तो हमें डटकर खड़े रहकर उसका सामना करना चाहिए, लेकिन वे लोग जो इसे बाहर से देखते हैं, वे सिर्फ तूफान देखेंगे.

प्रधानमंत्री मोदी का संबोधन

संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) पर विवाद के बीच प्रधानमंत्री ने कहा, 'हिंसा के इस समय में, राष्ट्र की अंतररात्मा को जगाना जरूरी है. इससे ही हमारी संस्कृति, इतिहास और दर्शन का उदय हुआ है.'

मोदी ने कहा कि देश के लोगों ने सैन्य शक्ति की मदद से नहीं, बल्कि आंदोलनों के माध्यम से बदलाव लाया है.

उन्होंने कहा, 'राजनीति और सैन्य शक्ति की उम्र छोटी होती है लेकिन कला, संस्कृति और इतिहास की ताकत स्थाई होती है.'

प्रधानमंत्री ने कहा, 'परंपरा और पर्यटन का हमारी संस्कृति से सीधा संबंध है. भारत को सबसे आगे रखने के लिए हम धरोहर पर्यटन को बढ़ावा देंगे, जिसमें रोजगार सृजन की भी गुंजाइश है. हम भारत को धरोहर पर्यटन का केंद्र बनाना चाहते हैं.'

पुनर्विकसित की गई अंग्रेजों के समय की चार इमारतों को देश को समर्पित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि देश की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर से दुनिया को रू-ब-रू कराया जाएगा.

उन्होंने कहा कि कोलकाता के भारतीय संग्रहालय जैसे कुछ पुराने संग्रहालयों को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप विकसित किया जाएगा.

प्रधानमंत्री ने 1833 में स्थापित एवं फिर से विकसित की गई करेंसी बिल्डिंग के उद्घाटन कार्यक्रम में कहा, 'एक भारतीय धरोहर संस्थान की भी स्थापना की जाएगी, जिसको डीम्ड विश्वविद्यालय का दर्जा दिया जाएगा.'

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण कोलकाता के मुताबिक, यह तीन मंजिला इमारत है जिसकी डिजाइन इतावली शैली की है. शुरू में इसमें एक बैंक होता था. सरकार ने 1868 में अपने मुद्रा विभाग के लिए इस इमारत के बड़े हिस्से को अपने कब्जे में ले लिया था जिसके बाद इसका नाम करेंसी बिल्डिंग रखा गया था.

इसके अलावा मोदी ने बेल्वेदेरे हाउस, मेटकॉफ हॉल और विक्टोरिया मेमोरियल हॉल को भी राष्ट्र को समर्पित किया जिन्हें पुन: विकसित किया गया है.

उन्होंने कहा कि खुदीराम बोस, रास बिहारी बोस, विनय बादल और दिनेश, ऋषि अरविंद और नेताजी सुभाष चंद्र बोस जैसे बंगाल के देशभक्तों के लिए विक्टोरिया मेमोरियल हॉल में एक गैलरी आरक्षित की जाएगी.

मोदी ने कहा कि लेखक शरत चंद्र चटर्जी, समाज सुधारक केशब सेन और ईश्वर चंद्र विद्यासागर, स्वामी विवेकानंद और रवींद्रनाथ टैगोर जैसे लोगों ने दुनिया को भारत की ताकत दिखाई थी.

पढ़ें-पीएम मोदी और ममता ने साझा किया मंच, CM ने CAA-NRC पर उठाए सवाल

उन्होंने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि 21वीं सदी भारत की होगी. 'मैं खुद तथा सरकार इसका समर्थन करती है और बंगाल के लोगों से सीखने की कोशिश भी करते हैं.'

बंगाल से पुनर्जागरण काल की एक अन्य शख्सियत राजा राममोहन राय पर, मोदी ने कहा कि देश को उनके सिद्धांतों का पालन करने की आवश्यकता है.

प्रधानमंत्री ने कहा, 'हम उनकी 250वीं जयंती (2022 में) सालभर चलने वाले कार्यक्रम के जरिए मनाएंगे. हमारे धरोहर को संरक्षित करना हमारा कर्तव्य है और यह राष्ट्र निर्माण के प्रमुख पहलुओं में से एक है.'

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History written during British rule, after Independence overlooked several major aspects: PM Modi
         Kolkata, Jan 11 (PTI) Prime Minister Narendra Modi on Saturday said several important aspects of the country's history were overlooked by historians who wrote about it during the British rule and after Independence, and it seemed that the indigenous people of India did not exist at all.
          "Some people came from outside, killed their own relatives, brothers for the sake of throne... is not our history. This was said by Gurudev himself. He had said in this history, it is not mentioned what the people of the country were doing. Didn't they have any existence?" he said.
         The country's history, written after Independence, has ignored various facets and it is not what is read or written for examinations, Modi said.
         Chief Minister Mamata Banerjee was scheduled to be present at the programme, but she did not go there. City Mayor and senior minister Firhad Hakim attended it.
         "It is unfortunate, that during the British rule and even after independence, the history of our country that was written, overlooked several important chapters," Modi said.
         Quoting Rabindranath Tagore, he said, "India's history is not what we remember and write for examinations. We have seen son killing father and siblings fighting against each other. This is not India's history."
         In this context, he wondered what the indigenous people of India were doing then. "It seems that they did not exist," the prime minister said.
         Modi, quoting Tagore again, said whenever a difficult time like a storm comes, one needs to stand up and face it. "But those who see it from outside, will see the storm only."
          Amid the controversy over the amended Citizenship Act, the prime minister said, "In this age of violence, it is needed to awaken national conscience. It is only from this that our culture, history and philosophy have emerged."
         Modi said people of the country have brought changes not with the help of military power, but through movements.
         "Politics and military power are short-lived. But the power of art, culture and history is permanent," he said.
         "Tradition and tourism have a direct link with our culture. To put India on the forefront, we will promote heritage tourism which also has the scope for employment generation. We want to make India a hub of heritage tourism," the prime minister said.
          Dedicating to the nation four refurbished British-era buildings of the city, he said the rich heritage of the country will be presented before the world.
         He said some of the old museums of the country like the Indian Museum, Kolkata, will be developed to international standards.
          "An Indian Institute of Heritage will also be set up with a deemed university status", the prime minister said while addressing a gathering at the inauguration of renovated heritage Currency Building, founded in 1833.
          It is a three-storied building, designed in Italian style, which initially housed a bank. It was named as the Currency Building when the government occupied a large portion of it for its Currency Department in 1868, according to the Archeological Survey of India, Kolkata.
         The other three refurbished buildings Modi dedicated to the nation are the Belvedere House, the Metcalfe Hall and the Victoria Memorial Hall.
         He said there should be gallery at the Victoria Memorial Hall reserved for patriots of Bengal like Kshudiram Bose, Rash Behari Bose, the triumvirate of Binoy-Badal and Dinesh, Rishi Aurobindo and Netaji Subhas Chandra Bose.
         Exhorting Bengal's intellectual leadership, Modi said people like author Sarat Chandra Chatterjee, social reformers Keshab Sen and Iswar Chandra Vidyasagar, Swami Vivekananda and Rabindranath Tagore had shown the world the power of India.
         He said Swami Vivekananda had stated the 21st century will belong to India. "Myself and the government will support this and also try to learn from the people of Bengal."
         On another renaissance icon of Bengal, Raja Rammohan Roy, Modi said the country needs to follow his principles.
          "We will celebrate his 250th birth anniversary (in 2022) in a year-long programme. It is our duty to preserve our heritage and is one of the key aspects of nation-building, the PM said. PTI DC NN
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Last Updated : Jan 12, 2020, 9:33 AM IST
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