आजादी के आंदोलन के दौरान गांधी देश के अलग-अलग हिस्सों में अक्सर जाया करते थे. जहां भी वह जाते थे, वहां कुछ न कुछ ऐसा काम करते थे, जिससे वहां के लोग प्रेरित हो सकें. लखनऊ में भी गांधी आते रहते थे. यहां वह अक्सर शीला कौल से मुलाकात करते थे. शीला कौल कांग्रेस की वरिष्ठ नेता थीं. गांधी ने उनके घर के आंगन में बरगद का एक पेड़ लगाया था. वह पेड़ आज भी है.
लखनऊ के गोखले मार्ग स्थित पूर्व मंत्री व पूर्व राज्यपाल शीला कौल के घर पर महात्मा गांधी आते रहते थे. कौल के घर पर कांग्रेस के अन्य कई नेतागण भी ठहरते थे. इनमें जवाहर लाल नेहरू भी शामिल थे.
आजादी से करीब एक दशक पहले महात्मा गांधी 1936 में जब लखनऊ आए, तो उन्होंने शीला कौल के घर के प्रांगण में एक बरगद का पेड़ रोपने का काम किया था. आज यह बरगद का पेड़ 'मजबूत' लोकतंत्र की तरह मजबूती से बापू की यादों को समेटे हुए खड़ा है.
पेड़ की जटाएं बापू और देश को आजाद कराने में जिन लोगों का महत्वपूर्ण योगदान रहा, उनका गुणगान कर रही है.
इतिहासकार इतिहासकार रवि भट्ट बताते हैं कि महात्मा गांधी जब लखनऊ आए थे, तब उन्होंने वरिष्ठ कांग्रेस नेता शीला कौल के घर में एक बरगद का पेड़ लगाया था और जवाहरलाल नेहरू ने भी एक आम का पेड़ लगाया था. निश्चित रूप से यह बापू की यादों को समेटे हुए हैं.
मनोज रंजन दीक्षित, जो पड़ेसी हैं, उन्होंने भी कहा कि सुना है कि इस पेड़ को गांधी ने ही लगाया था.
खास बात यह भी है कि आजादी की तमाम यादें भी इस पेड़ के साथ जुड़ी हुई है. गोखले मार्ग के आसपास के लोग आज भी इस पेड़ को देखने आते हैं. यही नहीं, इस पेड़ की लंबी लंबी जटाएं आजादी की लंबी लंबी लड़ाई और कहानियों को समेटे हुए हैं.
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गांधी की यादें
यहां आस-पास के लोग इस विशालकाय बरगद के पेड़ के नीचे कभी कभार दीपक भी जलाते हैं और कुछ भगवान की प्रतिमाएं भी रखी हुई नजर आती हैं. यह पेड़ लखनऊ में महात्मा गांधी की आजादी की लड़ाई में किए गए योगदान और शीला कौल जवाहरलाल नेहरू से दोस्ती की भी याद दिलाता है, कि किस प्रकार से महात्मा गांधी लखनऊ आते रहे और जवाहरलाल नेहरू व अन्य कांग्रेसी नेताओं के साथ उन्होंने लखनऊ में छोटी-छोटी बैठक की और फिर देश को आजाद करने में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया.