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देश में हर घंटे चार दुष्कर्म, हैरान कर देंगे यह आंकड़े - Crimes against girls

एक ओर हमारे देश में महिलाओं को पूजा जाता है, वहीं दूसरी ओर उसे जाति और भेदभाव के कारण पैरों तले कुचल दिया जाता है. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार भारत में हर दिन लगभग 95 महिलाओं से बलात्कार होता है. इस साल कुल 32,033 बलात्कार के मामलों में से 11 प्रतिशत दलित समुदाय से थे. वहीं बच्चियों के खिलाफ अपराध 4.5% की वृद्धि हुई.

Crime Against Women
महिलाओं पर हुए अत्याचार
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Published : Oct 4, 2020, 3:34 PM IST

हैदराबाद : हमारे देश में 27 सितंबर को बेटी दिवस मनाया गया. इसके कुछ दिन पहले ही यूपी में दिल दहला देने वाली घटना हुई. एक लड़की की कथित रूप से सामूहिक दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गई. इतना ही नहीं मामले में पुलिस और प्रशासन का एक अलग ही चेहरा देखने को मिला. हाथरस गैंग रेप मामले को लेकर देशभर में लोगों का गुस्सा देखने को मिल रहा है. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो के आंकड़ों को देखें तो देशभर में महिलाओं के साथ होने वाले अपराध का ग्राफ साल दर साल ऊपर जा रहा है.

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) द्वारा जारी नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, भारत में 2019 में प्रतिदिन 95 बलात्कार के मामले दर्ज किए गए. इस वर्ष में कुल 32,033 बलात्कार के मामलों में से 11 प्रतिशत दलित समुदाय से थे.

2018-19 में महिलाओं के खिलाफ अपराधों में 7.3% की वृद्धि

  • 117.8 प्रति लाख जनसंख्या पर महिलाओं के खिलाफ सबसे अधिक अपराध दर वाला असम राज्य है.
  • 59,853 महिलाओं के खिलाफ सबसे अधिक अपराधों के साथ उत्तर प्रदेश राज्य.
  • राजस्थान में सबसे अधिक 5,997 मामलों के साथ बलात्कारों की संख्या दर्ज की गई है.

दलित महिलाओं के खिलाफ अत्याचार

भारत में प्रतिदिन 10 दलित महिलाओं से बलात्कार होता है. 2019 में लगभग 3,500 दलित महिलाओं का बलात्कार किया गया. राजस्थान और उत्तर प्रदेश से एक-तिहाई मामले सामने आए.

राजस्थान में दलित महिलाओं (554) के खिलाफ सबसे ज्यादा बलात्कार हुए, उसके बाद यूपी (537) और एमपी (510) में सबसे ज्यादा बलात्कार हुए. केरल में दलित महिलाओं के खिलाफ बलात्कार की दर सबसे अधिक 4.6 (प्रति लाख जनसंख्या) थी, उसके बाद एमपी (4.5) और राजस्थान (4.5) थी.

अपराधों के कारण
दलित समुदायों की महिलाएं ज्यादा असुरक्षित हैं. वह अपने जाति की वजह से सामाजिक दबाव में हैं. बलात्कार के मामलों की रिपोर्ट करने में संकोच करती हैं. यदि उन्होंने किसी तरह एफआईआर दर्ज करने की हिम्मत भी हो तो अधिकांश मामलों में पुलिस थाने में कोई भी उनकी बात नहीं सुनता. यह पुलिस उदासीनता अधिकतर उनके निम्न जाति से होने के कारण है. हर स्तर पर पुलिस के लिए लिंग संवेदीकरण अभियान चलाने का यह अच्छा समय है. इसके लिए योगिता भयाना पीपुल्स अगेंस्ट रेप इन इंडिया (पीएआरआई) अभियान चला रही है. यह संस्था बलात्कार की शिकार हुई महिलाओं का समर्थन करती है.

भारत में बलात्कार

एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार, सबसे अधिक बलात्कार के मामले राजस्थान और उत्तर प्रदेश से सामने आते हैं. राजस्थान में 5,997 मामलों के साथ सबसे ज्यादा बलात्कार हुए, इसके बाद यूपी 3,065 की संख्या के साथ और मध्य प्रदेश में 2,485 दर्ज किए गए. बलात्कार के मामलों की दर के मामले में राजस्थान 15.9 (प्रति लाख जनसंख्या) पर सबसे अधिक था, उसके बाद केरल (11.1) और हरियाणा (10.9) था.

2019 में देश में 32,000 से ज्यादा बलात्कार के मामले रिपोर्ट किए गए. इन मामलों में से आधे पांच राज्यों - राजस्थान, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और केरल से हैं. उत्तर प्रदेश और राजस्थान में दलित समुदायों के खिलाफ उत्पीड़न के रूप में यौन हिंसा में वृद्धि देखी गई है. उत्तर प्रदेश में सभी बलात्कार के मामलों में से 18 प्रतिशत पीड़ित दलित महिलाएं हैं, वहीं राजस्थान में लगभग दोगुनी (9 प्रतिशत) हैं.

2010-2020 में बलात्कार के मामले

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले 10 वर्षों में एक लड़की या महिला की बलात्कार आलोचनीयता 44 प्रतिशत तक बढ़ गई है. एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार, 2010-2019 की अवधि के दौरान, भारत में कुल 3,13,289 मामले सामने आए.

महिलाओं के खिलाफ यौन अपराध बढ़ रहे हैं, 2012 में निर्भया के क्रूर सामूहिक बलात्कार ने देश की चेतना को हिला दिया. इस मामले में पुलिसकर्मियों को आपराधिक कानून में संशोधन करने और बलात्कार और यौन उत्पीड़न के मामलों में कड़ी सजा देने के लिए प्रेरित किया.

'निर्भया' के बाद भी बढ़ते बलात्कार के मामले

  • 'निर्भया' गैंगरेप मामले के बाद सात साल (2013-2019) में लगभग 2.42 लाख बलात्कार के मामले सामने आए हैं.
  • देश में प्रतिदिन 95 बलात्कार होते हैं, मतलब हर घंटे में लगभग चार महिलाओं का बलात्कार होता है.
  • एनसीआरबी की रिपोर्ट कहती है कि 2018 में 58.8 की तुलना में 2019 में प्रति लाख महिलाओं की जनसंख्या का अपराध दर 62.4 है.
  • महिलाओं पर पति और उनके रिश्तेदारों द्वारा किए गए अपराध - 30.9 प्रतिशत
  • महिलाओं पर हमला करने के इरादे से किए गए अपराध - 21.8 प्रतिशत
  • अपहरण और महिलाओं को भगाकर गिए गए अपराध - 17.9 प्रतिशत
  • बलात्कार - 7.9 प्रतिशत

राजस्थान में 5,997 मामलों के साथ सबसे अधिक बलात्कार हुए, इसके बाद यूपी (3,065) और मध्य प्रदेश (2,485) दर्ज किए गए. बलात्कार के मामलों की दर के मामले में राजस्थान 15.9 (प्रति लाख जनसंख्या) पर सबसे अधिक था, उसके बाद केरल (11.1) और हरियाणा (10.9) था.

यूपी में 2.2 (प्रति लाख जनसंख्या) की दर से दहेज के मामले 2,410 की संख्या में सबसे अधिक थे, उसके बाद बिहार 1,120 के आंकड़ों के साथ स्थान था. रिपोर्ट के अनुसार, 2019 में 150 एसिड हमले हुए, जिनमें से 42 यूपी में और 36 पश्चिम बंगाल में हुए.

पढ़ें - रिपोर्ट : 19 महानगरों में अपराध में 7.3% की हुई वृद्धि

बच्चियों के खिलाफ अपराध

एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार बच्चों के खिलाफ अपराधों के मामलों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई. 2018 की तुलना में 2019 में 4.5% की वृद्धि. 2019 में बच्चों के खिलाफ अपराध के कुल 1.48 लाख मामले दर्ज किए गए.

हैदराबाद : हमारे देश में 27 सितंबर को बेटी दिवस मनाया गया. इसके कुछ दिन पहले ही यूपी में दिल दहला देने वाली घटना हुई. एक लड़की की कथित रूप से सामूहिक दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गई. इतना ही नहीं मामले में पुलिस और प्रशासन का एक अलग ही चेहरा देखने को मिला. हाथरस गैंग रेप मामले को लेकर देशभर में लोगों का गुस्सा देखने को मिल रहा है. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो के आंकड़ों को देखें तो देशभर में महिलाओं के साथ होने वाले अपराध का ग्राफ साल दर साल ऊपर जा रहा है.

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) द्वारा जारी नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, भारत में 2019 में प्रतिदिन 95 बलात्कार के मामले दर्ज किए गए. इस वर्ष में कुल 32,033 बलात्कार के मामलों में से 11 प्रतिशत दलित समुदाय से थे.

2018-19 में महिलाओं के खिलाफ अपराधों में 7.3% की वृद्धि

  • 117.8 प्रति लाख जनसंख्या पर महिलाओं के खिलाफ सबसे अधिक अपराध दर वाला असम राज्य है.
  • 59,853 महिलाओं के खिलाफ सबसे अधिक अपराधों के साथ उत्तर प्रदेश राज्य.
  • राजस्थान में सबसे अधिक 5,997 मामलों के साथ बलात्कारों की संख्या दर्ज की गई है.

दलित महिलाओं के खिलाफ अत्याचार

भारत में प्रतिदिन 10 दलित महिलाओं से बलात्कार होता है. 2019 में लगभग 3,500 दलित महिलाओं का बलात्कार किया गया. राजस्थान और उत्तर प्रदेश से एक-तिहाई मामले सामने आए.

राजस्थान में दलित महिलाओं (554) के खिलाफ सबसे ज्यादा बलात्कार हुए, उसके बाद यूपी (537) और एमपी (510) में सबसे ज्यादा बलात्कार हुए. केरल में दलित महिलाओं के खिलाफ बलात्कार की दर सबसे अधिक 4.6 (प्रति लाख जनसंख्या) थी, उसके बाद एमपी (4.5) और राजस्थान (4.5) थी.

अपराधों के कारण
दलित समुदायों की महिलाएं ज्यादा असुरक्षित हैं. वह अपने जाति की वजह से सामाजिक दबाव में हैं. बलात्कार के मामलों की रिपोर्ट करने में संकोच करती हैं. यदि उन्होंने किसी तरह एफआईआर दर्ज करने की हिम्मत भी हो तो अधिकांश मामलों में पुलिस थाने में कोई भी उनकी बात नहीं सुनता. यह पुलिस उदासीनता अधिकतर उनके निम्न जाति से होने के कारण है. हर स्तर पर पुलिस के लिए लिंग संवेदीकरण अभियान चलाने का यह अच्छा समय है. इसके लिए योगिता भयाना पीपुल्स अगेंस्ट रेप इन इंडिया (पीएआरआई) अभियान चला रही है. यह संस्था बलात्कार की शिकार हुई महिलाओं का समर्थन करती है.

भारत में बलात्कार

एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार, सबसे अधिक बलात्कार के मामले राजस्थान और उत्तर प्रदेश से सामने आते हैं. राजस्थान में 5,997 मामलों के साथ सबसे ज्यादा बलात्कार हुए, इसके बाद यूपी 3,065 की संख्या के साथ और मध्य प्रदेश में 2,485 दर्ज किए गए. बलात्कार के मामलों की दर के मामले में राजस्थान 15.9 (प्रति लाख जनसंख्या) पर सबसे अधिक था, उसके बाद केरल (11.1) और हरियाणा (10.9) था.

2019 में देश में 32,000 से ज्यादा बलात्कार के मामले रिपोर्ट किए गए. इन मामलों में से आधे पांच राज्यों - राजस्थान, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और केरल से हैं. उत्तर प्रदेश और राजस्थान में दलित समुदायों के खिलाफ उत्पीड़न के रूप में यौन हिंसा में वृद्धि देखी गई है. उत्तर प्रदेश में सभी बलात्कार के मामलों में से 18 प्रतिशत पीड़ित दलित महिलाएं हैं, वहीं राजस्थान में लगभग दोगुनी (9 प्रतिशत) हैं.

2010-2020 में बलात्कार के मामले

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले 10 वर्षों में एक लड़की या महिला की बलात्कार आलोचनीयता 44 प्रतिशत तक बढ़ गई है. एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार, 2010-2019 की अवधि के दौरान, भारत में कुल 3,13,289 मामले सामने आए.

महिलाओं के खिलाफ यौन अपराध बढ़ रहे हैं, 2012 में निर्भया के क्रूर सामूहिक बलात्कार ने देश की चेतना को हिला दिया. इस मामले में पुलिसकर्मियों को आपराधिक कानून में संशोधन करने और बलात्कार और यौन उत्पीड़न के मामलों में कड़ी सजा देने के लिए प्रेरित किया.

'निर्भया' के बाद भी बढ़ते बलात्कार के मामले

  • 'निर्भया' गैंगरेप मामले के बाद सात साल (2013-2019) में लगभग 2.42 लाख बलात्कार के मामले सामने आए हैं.
  • देश में प्रतिदिन 95 बलात्कार होते हैं, मतलब हर घंटे में लगभग चार महिलाओं का बलात्कार होता है.
  • एनसीआरबी की रिपोर्ट कहती है कि 2018 में 58.8 की तुलना में 2019 में प्रति लाख महिलाओं की जनसंख्या का अपराध दर 62.4 है.
  • महिलाओं पर पति और उनके रिश्तेदारों द्वारा किए गए अपराध - 30.9 प्रतिशत
  • महिलाओं पर हमला करने के इरादे से किए गए अपराध - 21.8 प्रतिशत
  • अपहरण और महिलाओं को भगाकर गिए गए अपराध - 17.9 प्रतिशत
  • बलात्कार - 7.9 प्रतिशत

राजस्थान में 5,997 मामलों के साथ सबसे अधिक बलात्कार हुए, इसके बाद यूपी (3,065) और मध्य प्रदेश (2,485) दर्ज किए गए. बलात्कार के मामलों की दर के मामले में राजस्थान 15.9 (प्रति लाख जनसंख्या) पर सबसे अधिक था, उसके बाद केरल (11.1) और हरियाणा (10.9) था.

यूपी में 2.2 (प्रति लाख जनसंख्या) की दर से दहेज के मामले 2,410 की संख्या में सबसे अधिक थे, उसके बाद बिहार 1,120 के आंकड़ों के साथ स्थान था. रिपोर्ट के अनुसार, 2019 में 150 एसिड हमले हुए, जिनमें से 42 यूपी में और 36 पश्चिम बंगाल में हुए.

पढ़ें - रिपोर्ट : 19 महानगरों में अपराध में 7.3% की हुई वृद्धि

बच्चियों के खिलाफ अपराध

एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार बच्चों के खिलाफ अपराधों के मामलों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई. 2018 की तुलना में 2019 में 4.5% की वृद्धि. 2019 में बच्चों के खिलाफ अपराध के कुल 1.48 लाख मामले दर्ज किए गए.

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