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आठवें दौर की सैन्य वार्ता, जवानों के पीछे हटने पर फैसला संभव

दोनों देशों के बीच कोर कमांडर स्तर की आठवें दौर की बातचीत अगले सप्ताह हो सकती है,जिसमें पूर्वी लद्दाख से सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पर बातचीत को आगे बढ़ाने पर ध्यान दिया जा सकता है. इससे पहले 12 अक्टूबर को सातवें दौर की वार्ता के दौरान दोनों देशों के सैनिकों के टकराव वाले बिंदुओं से सैनिकों की वापसी में कोई सफलता नहीं मिली है. पढ़ें विस्तार से...

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पूर्वी लद्दाख की स्थिति पर चर्चा करेंगे सैन्य कमांडरपूर्वी लद्दाख की स्थिति पर चर्चा करेंगे सैन्य कमांडर
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Published : Oct 19, 2020, 6:56 AM IST

Updated : Oct 19, 2020, 10:18 AM IST

नई दिल्ली : चीन के साथ पूर्वी लद्दाख में चल रहे सीमा विवाद और संसाधनों के तर्कसंगत वितरण के लिए काफी समय से लंबित सुधारों पर सेना के शीर्ष सैन्य कमांडर 26 अक्टूबर से शुरू हो रहे चार दिवसीय सम्मेलन में चर्चा करेंगे. इन सुधारों में विभिन्न समारोह आयोजित करने की प्रथाओं और गैर सैन्य गतिविधियों में कटौती करने जैसे उपाय शामिल हैं. आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी.

उन्होंने कहा कि राष्ट्र के सामने सुरक्षा चुनौतियों की समीक्षा के अलावा सैन्य कमांडर संसाधनों के उपयोग के लिए अलग-अलग आंतरिक समितियों द्वारा विभिन्न सुधारात्मक उपायों को लेकर की गई अनुशंसा पर चर्चा भी करेंगे. इसके साथ ही 13 लाख कर्मियों वाले बल की संचालन क्षमता और बढ़ाने पर भी जोर दिया जाएगा.

सूत्रों ने कहा कि सम्मेलन की अध्यक्षता सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे करेंगे और सभी शीर्ष सैन्य कमांडर इसमें हिस्सा लेंगे.

सूत्रों ने कहा कि कुछ प्रस्ताव जिन पर सम्मेलन में चर्चा होगी, उनमें सेना दिवस और प्रादेशिक सेना दिवस परेड को बंद करना या कम करना, विभिन्न समारोह की प्रथाओं को कम करना और शांति वाले क्षेत्रों में व्यक्तिगत अधिकारी मेस की संख्या को कम करना शामिल हैं.

पढ़ें : सैन्य वार्ता में भारत ने कहा- सैनिकों को जल्द पीछे हटाए चीन

इसी तरह शीर्ष सैन्य अधिकारी उस प्रस्ताव पर भी चर्चा करेंगे जिसमें वरिष्ठ अधिकारियों के आधिकारिक आवास पर गार्ड्स की संख्या कम करने का जिक्र है. इसके अलावा अगर एक ही स्टेशन में कई कैंटीन चल रही हैं तो ऐसे सीएसडी की संख्या को कम करने के प्रस्ताव पर भी इस दौरान चर्चा होगी.

एक और प्रस्ताव जिस पर सैन्य कमांडरों की बैठक के दौरान चर्चा होनी है वह विभिन्न इकाइयों से स्थापना दिवस और युद्ध सम्मान दिवस की लागत कम करने को कहना है.

एक अधिकारी ने कहा, 'ये प्रस्ताव सेना में समग्र सुधार के लिए की गई पहलों का हिस्सा हैं. ये प्रस्ताव बीते कुछ सालों में बल में सुधार पर सुझाव देने के लिए गठित अलग-अलग समितियों के विभिन्न आंतरिक अध्ययनों पर आधारित हैं.'

उन्होंने कहा, 'इन प्रस्तावों का मूल विचार सीमित संसाधनों का प्रभावी इस्तेमाल करना है. इस कवायद का उद्देश्य संसाधनों का तर्कसंगत वितरण है.'

नई दिल्ली : चीन के साथ पूर्वी लद्दाख में चल रहे सीमा विवाद और संसाधनों के तर्कसंगत वितरण के लिए काफी समय से लंबित सुधारों पर सेना के शीर्ष सैन्य कमांडर 26 अक्टूबर से शुरू हो रहे चार दिवसीय सम्मेलन में चर्चा करेंगे. इन सुधारों में विभिन्न समारोह आयोजित करने की प्रथाओं और गैर सैन्य गतिविधियों में कटौती करने जैसे उपाय शामिल हैं. आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी.

उन्होंने कहा कि राष्ट्र के सामने सुरक्षा चुनौतियों की समीक्षा के अलावा सैन्य कमांडर संसाधनों के उपयोग के लिए अलग-अलग आंतरिक समितियों द्वारा विभिन्न सुधारात्मक उपायों को लेकर की गई अनुशंसा पर चर्चा भी करेंगे. इसके साथ ही 13 लाख कर्मियों वाले बल की संचालन क्षमता और बढ़ाने पर भी जोर दिया जाएगा.

सूत्रों ने कहा कि सम्मेलन की अध्यक्षता सेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे करेंगे और सभी शीर्ष सैन्य कमांडर इसमें हिस्सा लेंगे.

सूत्रों ने कहा कि कुछ प्रस्ताव जिन पर सम्मेलन में चर्चा होगी, उनमें सेना दिवस और प्रादेशिक सेना दिवस परेड को बंद करना या कम करना, विभिन्न समारोह की प्रथाओं को कम करना और शांति वाले क्षेत्रों में व्यक्तिगत अधिकारी मेस की संख्या को कम करना शामिल हैं.

पढ़ें : सैन्य वार्ता में भारत ने कहा- सैनिकों को जल्द पीछे हटाए चीन

इसी तरह शीर्ष सैन्य अधिकारी उस प्रस्ताव पर भी चर्चा करेंगे जिसमें वरिष्ठ अधिकारियों के आधिकारिक आवास पर गार्ड्स की संख्या कम करने का जिक्र है. इसके अलावा अगर एक ही स्टेशन में कई कैंटीन चल रही हैं तो ऐसे सीएसडी की संख्या को कम करने के प्रस्ताव पर भी इस दौरान चर्चा होगी.

एक और प्रस्ताव जिस पर सैन्य कमांडरों की बैठक के दौरान चर्चा होनी है वह विभिन्न इकाइयों से स्थापना दिवस और युद्ध सम्मान दिवस की लागत कम करने को कहना है.

एक अधिकारी ने कहा, 'ये प्रस्ताव सेना में समग्र सुधार के लिए की गई पहलों का हिस्सा हैं. ये प्रस्ताव बीते कुछ सालों में बल में सुधार पर सुझाव देने के लिए गठित अलग-अलग समितियों के विभिन्न आंतरिक अध्ययनों पर आधारित हैं.'

उन्होंने कहा, 'इन प्रस्तावों का मूल विचार सीमित संसाधनों का प्रभावी इस्तेमाल करना है. इस कवायद का उद्देश्य संसाधनों का तर्कसंगत वितरण है.'

Last Updated : Oct 19, 2020, 10:18 AM IST
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