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चमगादड़ों से नहीं हुई कोरोना वायरस की उत्पत्ति : शोध - किसानों की आर्थिक स्थिति

दुनियाभर के शोधकर्ता कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर रिसर्च कर रहे हैं. ऐसे में कई अध्ययनों में यह बात निकलकर सामने आई कि कोरोना वायरस चमगादड़ों से फैला है, लेकिन अब दक्षिण एशियाई देशों के शोधकर्ताओं के एक समूह ने जो जानकारी दी है, वह इन सभी बातों के उलट है. शोधकर्ताओं ने चमगादड़ों से कोरोना के फैलने की बात को साफ तौर पर नकारा है. इसके साथ ही उन्होंने इंसानों द्वारा इन पक्षियों को खत्म करने के लिए की जा रही कोशिशों की भी निंदा की है. पढ़ें विस्तारपूर्वक...

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चमगादड़ के जरिए कोरोना का प्रकोप
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Published : Apr 30, 2020, 12:57 PM IST

हैदराबाद : कोरोना वायरस एक सूक्ष्म वायरस है, जिसे बिना किसी उपकरण की मदद से नहीं देखा जा सकता. इस वायरस ने पूरी दुनिया को परेशान कर रखा है. कोरोना संक्रमण के परिणामस्वरूप लाखों लोग मर रहे हैं.

  • इस वायरस का क्या श्रोत है?
  • इसकी उत्पत्ति कहां से हुई?
  • क्या यह कहना सही होगा कि यह चमगादड़ों की तरह निशाचर जानवरों से पैदा हुआ है?

इसी तरह के कई सवाल शोधकर्ताओं से लेकर हर किसी के जहन में घूम रहे हैं.

चमगादड़ से कोरोना के प्रसार की धारण गलत
दक्षिण एशियाई देशों के शोधकर्ताओं का समूह कह रहा है कि ऐसा नहीं हो सकता. वह कहते हैं कि कोविड -19 के प्रसार में चमगादड़ों की भूमिका केवल एक गलत धारणा है. शोधकर्ताओं ने चमगादड़ों से कोरोना फैलने की सूचना से इन पक्षियों के मारे जाने और इन्हें मानव आवास के आस-पास से हटाए जाने को लेकर चिंता जताई है.

हैदराबाद के उस्मानिया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर श्रीनिवास ने कहा कि छह दक्षिण एशियाई देशों के 64 शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों का एक संयुक्त बयान जारी किया गया है, जिसमें स्पष्ट तौर पर यह कहा गया है कि चमगादड़ कोविड-19 को नहीं फैलाते हैं.

इसके अलावा इन वैज्ञानिकों ने जनता से अपील की है कि चमगादड़ों से छुटकारा पाने और उन्हें मारने या दूर भगाने के लिए बस्तियों के आस-पास आग जलाना उचित नहीं है.

चमगादड़ पर कोरोना रिसर्च
हालिया शोध में चमगादड़ों की दो प्रजातियों में कोरोना की पहचान की गई. कनाडा के मैकमास्टर विश्वविद्यालय में पोस्टडॉक्टोरल शोधकर्ता अरंजय बनर्जी ने कहा कि मानव में इस वायरस का खतरा इस समय सबसे ज्यादा है. इसके साथ ही हर नए वायरस के आने का खतरा इंसानों में बहुत ज्यादा है, क्योंकि वह वन्यजीवों के आवास में घुसपैठ कर रहा है. कोई वायरस चमगादड़ या किसी भी अन्य वन्यजीव से आ सकता हैं.

भारतीय चमगादड़ संरक्षण ट्रस्ट के प्रमुख राजेश पुत्तास्वामी ने कहा कि भारत में चमगादड़ों की 110 से अधिक प्रजातियां लुप्तप्राय हैं. ऐसे में झूठ का प्रचार प्रसार सही नहीं है. सरकार को चमगादड़ की प्रजातियों की रक्षा के लिए उचित उपाय करने चाहिए.

खाद्य सुरक्षा में चमगादड़ों की भूमिका
वैज्ञानिकों की एक टीम ने यह भी स्पष्ट किया है कि चमगादड़ पौधों के परागण में बहुत उपयोगी होते हैं.

मैंग्रोव वन परागण और उनके प्रसार में अहम भूमिका निभाते हैं. चमगादड़ ऐसे कीड़े खाते हैं जो चावल, मक्का, कपास और तम्बाकू जैसी फसलों के लिए खतरनाक होते हैं.

इस प्रकार चमगादड़ खाद्य सुरक्षा के साथ किसानों की आर्थिक स्थिति को बिगड़ने से बचाते हैं.

इस बात के कोई सबूत नहीं हैं कि इंसान चमगादड़ या उनके मल से सीधे संक्रमित होते हैं.

हैदराबाद : कोरोना वायरस एक सूक्ष्म वायरस है, जिसे बिना किसी उपकरण की मदद से नहीं देखा जा सकता. इस वायरस ने पूरी दुनिया को परेशान कर रखा है. कोरोना संक्रमण के परिणामस्वरूप लाखों लोग मर रहे हैं.

  • इस वायरस का क्या श्रोत है?
  • इसकी उत्पत्ति कहां से हुई?
  • क्या यह कहना सही होगा कि यह चमगादड़ों की तरह निशाचर जानवरों से पैदा हुआ है?

इसी तरह के कई सवाल शोधकर्ताओं से लेकर हर किसी के जहन में घूम रहे हैं.

चमगादड़ से कोरोना के प्रसार की धारण गलत
दक्षिण एशियाई देशों के शोधकर्ताओं का समूह कह रहा है कि ऐसा नहीं हो सकता. वह कहते हैं कि कोविड -19 के प्रसार में चमगादड़ों की भूमिका केवल एक गलत धारणा है. शोधकर्ताओं ने चमगादड़ों से कोरोना फैलने की सूचना से इन पक्षियों के मारे जाने और इन्हें मानव आवास के आस-पास से हटाए जाने को लेकर चिंता जताई है.

हैदराबाद के उस्मानिया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर श्रीनिवास ने कहा कि छह दक्षिण एशियाई देशों के 64 शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों का एक संयुक्त बयान जारी किया गया है, जिसमें स्पष्ट तौर पर यह कहा गया है कि चमगादड़ कोविड-19 को नहीं फैलाते हैं.

इसके अलावा इन वैज्ञानिकों ने जनता से अपील की है कि चमगादड़ों से छुटकारा पाने और उन्हें मारने या दूर भगाने के लिए बस्तियों के आस-पास आग जलाना उचित नहीं है.

चमगादड़ पर कोरोना रिसर्च
हालिया शोध में चमगादड़ों की दो प्रजातियों में कोरोना की पहचान की गई. कनाडा के मैकमास्टर विश्वविद्यालय में पोस्टडॉक्टोरल शोधकर्ता अरंजय बनर्जी ने कहा कि मानव में इस वायरस का खतरा इस समय सबसे ज्यादा है. इसके साथ ही हर नए वायरस के आने का खतरा इंसानों में बहुत ज्यादा है, क्योंकि वह वन्यजीवों के आवास में घुसपैठ कर रहा है. कोई वायरस चमगादड़ या किसी भी अन्य वन्यजीव से आ सकता हैं.

भारतीय चमगादड़ संरक्षण ट्रस्ट के प्रमुख राजेश पुत्तास्वामी ने कहा कि भारत में चमगादड़ों की 110 से अधिक प्रजातियां लुप्तप्राय हैं. ऐसे में झूठ का प्रचार प्रसार सही नहीं है. सरकार को चमगादड़ की प्रजातियों की रक्षा के लिए उचित उपाय करने चाहिए.

खाद्य सुरक्षा में चमगादड़ों की भूमिका
वैज्ञानिकों की एक टीम ने यह भी स्पष्ट किया है कि चमगादड़ पौधों के परागण में बहुत उपयोगी होते हैं.

मैंग्रोव वन परागण और उनके प्रसार में अहम भूमिका निभाते हैं. चमगादड़ ऐसे कीड़े खाते हैं जो चावल, मक्का, कपास और तम्बाकू जैसी फसलों के लिए खतरनाक होते हैं.

इस प्रकार चमगादड़ खाद्य सुरक्षा के साथ किसानों की आर्थिक स्थिति को बिगड़ने से बचाते हैं.

इस बात के कोई सबूत नहीं हैं कि इंसान चमगादड़ या उनके मल से सीधे संक्रमित होते हैं.

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