नई दिल्ली : दिल्ली विधानसभा चुनाव परिणाम ने एक ओर जहां आम आदमी पार्टी को सातवें आसमान पर पहुंचा दिया है वहीं दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के लिए यह काफी निराशानजक रहा है. दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे साफ हो चुके हैं. देश की राजधानी की सत्ता एक बार फिर आम आदमी पार्टी के हाथों में दिल्ली की जनता ने सौंप दी है. लेकिन पिछले विधानसभा चुनावों की तरह इस बार भी कांग्रेस पार्टी को एक भी सीट नसीब नहीं हुई है.
इस बीच दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा ने पार्टी की हार की पूरी जिम्मेदारी अपने ऊपर ली है. उन्होंने साथ ही मत प्रतिशत में आई गिरावट के लिए भाजपा और आम आदमी पार्टी की ध्रुवीकरण वाली राजनीति को जिम्मेदार ठहराया है.
ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान सुभाष चोपड़ा ने कहा, ''विधानसभा चुनाव में आए नतीजों की जिम्मेदारी मैं स्वीकार करता हूं. राजनीति में हार-जीत चलती रहती है लेकिन मैं समझता हूं कि दिल्ली में जिस तरह भाजपा और 'आप' ने ध्रुवीकरण करने की कोशिश की, उसका भी नतीजा मतदान में देखने को मिला है.''
दिल्ली महिला कांग्रेस की अध्यक्ष शर्मिष्ठा मुखर्जी ने विधानसभा चुनाव में हार के बाद शीर्ष नेतृत्व पर सवाल खड़े किए थे. उन्होंने कहा था कि राजस्थान की तरह यहां भी रणनीति और एकजुटता का अभाव कांग्रेस पार्टी में देखने को मिला.
हालांकि इस सवाल का जवाब देने से बचते हुए सुभाष चोपड़ा ने कहा कि वह किसी के व्यक्तिगत बयान पर कुछ नहीं कहना चाहते और पार्टी की हार की पूरी जिम्मेदारी अपने ऊपर लेते हैं. इसी के साथ उन्होंने यह भी कहा की पार्टी की तरफ से जो भी कमी रह गई, उन सब पर विचार किया जाएगा.
आपक को बता दें कि 15 सालों तक लगातार सत्ता में रहने वाली पार्टी का वोट प्रतिशत गिरकर पांच से भी कम रह गया है. एक समय था, जब शीला दीक्षित के नेतृत्व में पार्टी को 40 फीसदी से भी अधिक वोट मिलते थे.
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2013 विधानसभा चुनाव
कांग्रेस को 24.55 फीसदी वोट हासिल हुआ. विधानसभा में पार्टी को आठ सीटें मिलीं. इस चुनाव में अरविंद केजरीवाल ने शीला दीक्षित को हरा दिया था.
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'आप' को इस चुनाव में 29.49 फीसदी वोट हासिल हुआ था. भाजपा को 33.07 फीसदी वोट मिला था और 31 सीटें मिली थीं.
2015 विधानसभा चुनाव
विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का खाता नहीं खुला. लेकिन पार्टी को 9.8 फीसदी वोट मिले. भाजपा को 32.1 फीसदी वोट मिले थे.