हमें माफ करना सीमा: 'असीम' एक नाकाम ऑपरेशन
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फर्रुखाबाद: ना तो दुआएं काम आयीं और ना ही सेना की कोशिशें...सबकुछ होने के बावजूद भी हम सीमा को नहीं बचा सके. 8 साल की मासूम अब इसी जमीन के नीचे दफन रहेगी. ना तो उसकी सिसकियां सुनाई देगी और ना ही अब कभी वो बाहर आकर मुस्कुराएगी. सीमा के परिवार वाले जब जब इस जगह से गुजरेंगे तो उन्हें इसी बात का मलाल होगा कि काश आखिरी बार वो अपनी बच्ची को देख पाते. लेकिन अफसोस ऐसा हो नहीं सका.