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विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस 2021: सामान्य मानसिक विकार

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Published : Oct 10, 2021, 6:01 AM IST

कुछ साल पहले शारीरिक स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों को हमेशा मानसिक स्वास्थ्य से बढ़कर तवज्जो दी जाती थी. लेकिन समय के बदलने के साथ आम जन भी अब काफी हद तक मानसिक समस्या को एक अवस्था या बीमारी के रूप में देखने लगें हैं. विशेष तौर पर महामारी के दौरान तथा उसके उपरांत मानसिक स्वास्थ्य और उससे जुड़ी समस्याओं को एक गंभीर मुद्दे के रूप में देखा जाने लगा है. ऐसे में 10 अक्टूबर को दुनिया भर में मनाए जाने वाले विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस का उद्देश और उसे मनाए जाने का औचित्य दोनों ही ज्यादा प्रासंगिक हो गए हैं.

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विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस 2021

वर्ष 1992 में मानसिक स्वास्थ्य देखभाल की जरूरत को मानते हुए विश्व मानसिक स्वास्थ्य संघ ने विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाए जाने की घोषणा कर एक पहल की थी , जिससे पूरे विश्व में ऐसे लोगों की मदद की जा सकते जो किसी न किसी प्रकार की मानसिक अवस्था या रोग का सामना कर रहे थे. इसके बाद यूनाइटेड नेशन के उप सचिव ने 1994 में इसे प्रतिवर्ष एक नई थीम के साथ मनाए जाने की परंपरा शुरू की. इस वर्ष डब्ल्यूएफएमएच (WFMH) के अध्यक्ष डॉ. इंग्रिड डेनियल ने विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस 2021 को ‘एक असमान दुनिया में’ मानसिक स्वास्थ्य थीम पर मनाए जाने की घोषणा की है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार दुनिया भर में 450 मिलियन लोग अलग अलग प्रकार के मानसिक विकारों तथा समस्याओं से पीड़ित हैं। विश्व में चार व्यक्तियों में से एक व्यक्ति जीवन के किसी मोड़ पर मानसिक विकार या तंत्रिका संबंधी विकारों से प्रभावित होता ही है.

कौन से मानसिक विकार करते हैं ज्यादा प्रभावित?

गौरतलब है की मानसिक स्वास्थ्य विकार मुख्य रूप से प्रभावित लोगों के विचारों, मनोदशाओं और व्यवहारों को प्रभावित करते हैं. यह आनुवंशिक, परीस्तिथिजन्य (जैसे महामारी, दुर्घटना, किसी की मृत्यु , हिंसा), स्वास्थ्य कारणों से , मानसिक दबाव, उम्र तथा कई बार जीवनशैली के कारण हो सकते हैं. कुछ प्रकार के मानसिक स्वास्थ्य विकार व्यक्ति की दिन-प्रतिदिन कार्य करने की क्षमता और व्यवहार को प्रभावित करते हैं वहीं कुछ मानसिक विकार व्यक्ति को हिंसक, अपराधी, यह तक की स्वयं की जान ले सकने में सक्षम भी बना सकते हैं.

विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर अपने पाठकों के साथ पूर्व में अपने मानसिक रोग विशेषज्ञों के साथ हुई बातचीत के आधार पर ETV भारत सुखीभवा उन मानसिक विकारों के बारें में जानकारी साँझा करने जा रहा है जो सामान्य रूप से लोगों में नजर आ सकते हैं.

डिप्रेशन या तनाव

सामान्य जीवन में हर व्यक्ति कभी न कभी , ज्यादा या कम मात्रा में तनाव या स्ट्रेस महसूस करता ही है , जो सामान्य है . लेकिन जब यह तनाव हद से ज्यादा बढ़ने लगे और नियंत्रण से बाहर होने लगे तो यह हमारे व्यवहार और सोच पर नकारात्मक प्रभाव डालने लगता है और तनाव अवसाद में बदल जाता है. अगर व्यक्ति लम्बे समय तक इन परिस्थितियों में रहता है तो यह उसके मानसिक ही नही शारीरिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकता है.

एंजायटी डिसॉर्डर या चिंता विकार

इसे दुनिया भर में सबसे आम मानसिक विकारों में गिना जाता है. चिंता विकारों को लेकर किए की रिसर्च के आँकड़े बताता हैं की विकसित देशों के लगभग 18% युवा एंग्जाइटी के शिकार हैं. इनमें पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की संख्या ज्यादा है. सिर्फ भारत की ही बात करें तो अलग-अलग महानगरों में लगभग 15.20% लोग एंग्जाइटी और 15.17% लोग डिप्रेशन के शिकार हैं. भारत में 2017 में, 197·3 मिलियन लोगों को मानसिक विकार थे, जिनमें अवसादग्रस्तता विकारों के साथ 45·7 मिलियन और चिंता विकारों के साथ 44·9 मिलियन शामिल थे. चिंता विकारों से पीड़ित लोगों को परेशानी, भय और आकारण गलत होने की आशंका का अनुभव होता है. "चिंता" वास्तव में एक व्यापक शब्द है जिसमें कई विशिष्ट विकार शामिल हैं, जिनमें मुख्य हैं:

  • सामान्यीकृत चिंता विकार (GAD)
  • जुनूनी-बाध्यकारी विकार (OCD)
  • घबराहट की समस्या
  • दुर्घटना के बाद का तनाव विकार (पीटीएसडी)
  • सामाजिक चिंता विकार

डिमेंशिया

वर्तमान में दुनिया भर में 55 मिलियन से अधिक लोग डिमेंशिया से पीड़ित हैं, और हर साल लगभग 10 मिलियन नए मामले सामने आते हैं. भारत में, 4 मिलियन से अधिक लोगों को किसी न किसी रूप में मनोभ्रंश है. डिमेंशिया किसी एक बीमारी का नाम नहीं है बल्कि ये एक लक्षणों के समूह का नाम है, जो मस्तिष्क की हानि से सम्बंधित हैं. इस अवस्था में लोग भूलने लगते हैं. यहाँ तक की अपने दैनिक कार्य करने में भी पीड़ितों को समस्या होती है। इस श्रेणी में कई स्थितियां शामिल हैं, जिनमें अल्जाइमर रोग प्रमुख है. डिमेंशिया के 60 से 80% मामलों के लिए अल्जाइमर रोग जिम्मेदार होता है. इस श्रेणी के कुछ अन्य प्रमुख रोग इस प्रकार हैं. मनोभ्रंश के अन्य रूप निम्न रूप लेते हैं:

  • पार्किंसंस रोग
  • लेवी बॉडीज डिमेंशिया
  • मिश्रित डिमेंशिया:
  • फ्रंटोटेम्पोरल डिमेंशिया
  • हनटिंग्टन रोग

ईटिंग डिसऑर्डर

खाने के विकार दुनिया भर में कम से कम 9% आबादी को प्रभावित करते हैं. ईटिंग डिसऑर्डर कई बार जटिल मानसिक विकार का कारण बन सकते हैं. यह विकार अस्वास्थ्यकर खाने की आदतों को विकसित करने का कारण बनती हैं, जिसके चलते पीड़ित या तो भोजन करन बंद या कम कर देता है या फिर बहुर ज्यादा भोजन करने लगता है. जिससे उसके शरीर के वजन, बॉडी मास इंडेक्स, उसके व्यवहार तथा उसके सम्पूर्ण स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है. यहाँ तक की यह जानलेवा भी हो सकता है.

साइकोटिक डिसऑर्डर

इस तरह के मानसिक विकार, पीड़ित में विभ्रम की स्तिथि उत्पन्न कर देते हैं तथा अधिकांश विकारों में पीड़ित कल्पनाओं में जीने लगता है। पीड़ित यह जानने में असमर्थ हो सकते हैं कि क्या वास्तविक है और क्या नहीं. सबसे प्रचलित साइकोटिक डिसऑर्डर के कुछ प्रकार निम्नलिखित हैं.

  • स्किजोफिन्या
  • सिजोइफेक्टिव डिसऑर्डर
  • ब्रीफ साइकोटिक डिसऑर्डर
  • डेलूजन डिसऑर्डर
  • सब्सटेंस इंड्यूस्ड मूड डिसऑर्डर

मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में भारत सरकार की गतिविधियां

भारत सरकार द्वारा भी आमजन के मानसिक स्वास्थ्य की बेहतरी के लिए विभिन्न प्रयास किए गए हैं. जिसके तहत जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम की मुख्य कार्यान्वयन इकाई के तहत सबके लिए न्यूनतम मानसिक स्वास्थ्य देखभाल की उपलब्धता और पहुंचनीयता सुनिश्चित करने के लिए वर्ष 1982 में राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (एनएमएचपी) की शुरुआत की गई थी। जिसका उद्देश्य प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल में मानसिक स्वास्थ्य देखभाल को एकीकृत करना और सामुदायिक स्वास्थ्य देखभाल की ओर बढ़ना है। जिसके उपरांत 10 अक्टूबर वर्ष 2014 को राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य नीति की घोषणा की गयी थी तथा भारत में मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को मज़बूत करने के लिए मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम 2017 लाया गया था ।

पढ़ें: मानसिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है संगीत चिकित्सा

वर्ष 1992 में मानसिक स्वास्थ्य देखभाल की जरूरत को मानते हुए विश्व मानसिक स्वास्थ्य संघ ने विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाए जाने की घोषणा कर एक पहल की थी , जिससे पूरे विश्व में ऐसे लोगों की मदद की जा सकते जो किसी न किसी प्रकार की मानसिक अवस्था या रोग का सामना कर रहे थे. इसके बाद यूनाइटेड नेशन के उप सचिव ने 1994 में इसे प्रतिवर्ष एक नई थीम के साथ मनाए जाने की परंपरा शुरू की. इस वर्ष डब्ल्यूएफएमएच (WFMH) के अध्यक्ष डॉ. इंग्रिड डेनियल ने विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस 2021 को ‘एक असमान दुनिया में’ मानसिक स्वास्थ्य थीम पर मनाए जाने की घोषणा की है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार दुनिया भर में 450 मिलियन लोग अलग अलग प्रकार के मानसिक विकारों तथा समस्याओं से पीड़ित हैं। विश्व में चार व्यक्तियों में से एक व्यक्ति जीवन के किसी मोड़ पर मानसिक विकार या तंत्रिका संबंधी विकारों से प्रभावित होता ही है.

कौन से मानसिक विकार करते हैं ज्यादा प्रभावित?

गौरतलब है की मानसिक स्वास्थ्य विकार मुख्य रूप से प्रभावित लोगों के विचारों, मनोदशाओं और व्यवहारों को प्रभावित करते हैं. यह आनुवंशिक, परीस्तिथिजन्य (जैसे महामारी, दुर्घटना, किसी की मृत्यु , हिंसा), स्वास्थ्य कारणों से , मानसिक दबाव, उम्र तथा कई बार जीवनशैली के कारण हो सकते हैं. कुछ प्रकार के मानसिक स्वास्थ्य विकार व्यक्ति की दिन-प्रतिदिन कार्य करने की क्षमता और व्यवहार को प्रभावित करते हैं वहीं कुछ मानसिक विकार व्यक्ति को हिंसक, अपराधी, यह तक की स्वयं की जान ले सकने में सक्षम भी बना सकते हैं.

विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर अपने पाठकों के साथ पूर्व में अपने मानसिक रोग विशेषज्ञों के साथ हुई बातचीत के आधार पर ETV भारत सुखीभवा उन मानसिक विकारों के बारें में जानकारी साँझा करने जा रहा है जो सामान्य रूप से लोगों में नजर आ सकते हैं.

डिप्रेशन या तनाव

सामान्य जीवन में हर व्यक्ति कभी न कभी , ज्यादा या कम मात्रा में तनाव या स्ट्रेस महसूस करता ही है , जो सामान्य है . लेकिन जब यह तनाव हद से ज्यादा बढ़ने लगे और नियंत्रण से बाहर होने लगे तो यह हमारे व्यवहार और सोच पर नकारात्मक प्रभाव डालने लगता है और तनाव अवसाद में बदल जाता है. अगर व्यक्ति लम्बे समय तक इन परिस्थितियों में रहता है तो यह उसके मानसिक ही नही शारीरिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकता है.

एंजायटी डिसॉर्डर या चिंता विकार

इसे दुनिया भर में सबसे आम मानसिक विकारों में गिना जाता है. चिंता विकारों को लेकर किए की रिसर्च के आँकड़े बताता हैं की विकसित देशों के लगभग 18% युवा एंग्जाइटी के शिकार हैं. इनमें पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की संख्या ज्यादा है. सिर्फ भारत की ही बात करें तो अलग-अलग महानगरों में लगभग 15.20% लोग एंग्जाइटी और 15.17% लोग डिप्रेशन के शिकार हैं. भारत में 2017 में, 197·3 मिलियन लोगों को मानसिक विकार थे, जिनमें अवसादग्रस्तता विकारों के साथ 45·7 मिलियन और चिंता विकारों के साथ 44·9 मिलियन शामिल थे. चिंता विकारों से पीड़ित लोगों को परेशानी, भय और आकारण गलत होने की आशंका का अनुभव होता है. "चिंता" वास्तव में एक व्यापक शब्द है जिसमें कई विशिष्ट विकार शामिल हैं, जिनमें मुख्य हैं:

  • सामान्यीकृत चिंता विकार (GAD)
  • जुनूनी-बाध्यकारी विकार (OCD)
  • घबराहट की समस्या
  • दुर्घटना के बाद का तनाव विकार (पीटीएसडी)
  • सामाजिक चिंता विकार

डिमेंशिया

वर्तमान में दुनिया भर में 55 मिलियन से अधिक लोग डिमेंशिया से पीड़ित हैं, और हर साल लगभग 10 मिलियन नए मामले सामने आते हैं. भारत में, 4 मिलियन से अधिक लोगों को किसी न किसी रूप में मनोभ्रंश है. डिमेंशिया किसी एक बीमारी का नाम नहीं है बल्कि ये एक लक्षणों के समूह का नाम है, जो मस्तिष्क की हानि से सम्बंधित हैं. इस अवस्था में लोग भूलने लगते हैं. यहाँ तक की अपने दैनिक कार्य करने में भी पीड़ितों को समस्या होती है। इस श्रेणी में कई स्थितियां शामिल हैं, जिनमें अल्जाइमर रोग प्रमुख है. डिमेंशिया के 60 से 80% मामलों के लिए अल्जाइमर रोग जिम्मेदार होता है. इस श्रेणी के कुछ अन्य प्रमुख रोग इस प्रकार हैं. मनोभ्रंश के अन्य रूप निम्न रूप लेते हैं:

  • पार्किंसंस रोग
  • लेवी बॉडीज डिमेंशिया
  • मिश्रित डिमेंशिया:
  • फ्रंटोटेम्पोरल डिमेंशिया
  • हनटिंग्टन रोग

ईटिंग डिसऑर्डर

खाने के विकार दुनिया भर में कम से कम 9% आबादी को प्रभावित करते हैं. ईटिंग डिसऑर्डर कई बार जटिल मानसिक विकार का कारण बन सकते हैं. यह विकार अस्वास्थ्यकर खाने की आदतों को विकसित करने का कारण बनती हैं, जिसके चलते पीड़ित या तो भोजन करन बंद या कम कर देता है या फिर बहुर ज्यादा भोजन करने लगता है. जिससे उसके शरीर के वजन, बॉडी मास इंडेक्स, उसके व्यवहार तथा उसके सम्पूर्ण स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है. यहाँ तक की यह जानलेवा भी हो सकता है.

साइकोटिक डिसऑर्डर

इस तरह के मानसिक विकार, पीड़ित में विभ्रम की स्तिथि उत्पन्न कर देते हैं तथा अधिकांश विकारों में पीड़ित कल्पनाओं में जीने लगता है। पीड़ित यह जानने में असमर्थ हो सकते हैं कि क्या वास्तविक है और क्या नहीं. सबसे प्रचलित साइकोटिक डिसऑर्डर के कुछ प्रकार निम्नलिखित हैं.

  • स्किजोफिन्या
  • सिजोइफेक्टिव डिसऑर्डर
  • ब्रीफ साइकोटिक डिसऑर्डर
  • डेलूजन डिसऑर्डर
  • सब्सटेंस इंड्यूस्ड मूड डिसऑर्डर

मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में भारत सरकार की गतिविधियां

भारत सरकार द्वारा भी आमजन के मानसिक स्वास्थ्य की बेहतरी के लिए विभिन्न प्रयास किए गए हैं. जिसके तहत जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम की मुख्य कार्यान्वयन इकाई के तहत सबके लिए न्यूनतम मानसिक स्वास्थ्य देखभाल की उपलब्धता और पहुंचनीयता सुनिश्चित करने के लिए वर्ष 1982 में राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (एनएमएचपी) की शुरुआत की गई थी। जिसका उद्देश्य प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल में मानसिक स्वास्थ्य देखभाल को एकीकृत करना और सामुदायिक स्वास्थ्य देखभाल की ओर बढ़ना है। जिसके उपरांत 10 अक्टूबर वर्ष 2014 को राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य नीति की घोषणा की गयी थी तथा भारत में मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को मज़बूत करने के लिए मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम 2017 लाया गया था ।

पढ़ें: मानसिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है संगीत चिकित्सा

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