आमतौर पर छोटे बच्चे अपने माता पिता से कुछ समय के लिए भी दूर जाने पर रोने लगते हैं. जिसके पीछे माता-पिता से भले ही कुछ समय के लिए सही लेकिन दूर जाने का डर तथा अकेले रह जाने का डर होता है. यह एक आम परिस्थिति मानी जाती है. लेकिन यदि यह डर ज्यादा बढ़ जाय और पीड़ित के मानसिक व व्यवहारिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचाने लगे तो कई बार यह सेपरेशन एंजायटी डिसऑर्डर का कारण बन सकता है. वैसे तो इस मनोविकार को आमतौर पर बच्चों के साथ ही जोड़ कर देखा जाता है लेकिन कई बार बड़ों में भी यह समस्या नजर आ सकती है. Separation anxiety disorder cause disorders . Disorders in adults and child .
छोटे बच्चों में आम है सेपरेशन एंजायटी : जानकार मानते हैं कि सेपरेशन एंजायटी बच्चों के विकास का एक आम पहलू है. छोटे बच्चों में यह अवस्था आमतौर पर नजर आती हैं. लेकिन उम्र बढ़ने के साथ इसके लक्षण व प्रभाव कम होने लगते है. लेकिन यदि ऐसा ना हो और इस डर के चलते उनमें व्यावहारिक व मानसिक समस्याएं नजर आने लगे तो यह स्थिति मनोविकार में बदल सकती है. NCBI के एक शोध के अनुसार लगभग तीन से चार प्रतिशत बच्चों में सेपरेशन एंजायटी पाई जाती है.
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सिर्फ बच्चों में ही नही, कई बार युवा वयस्कों या वयस्कों में भी यह मनोविकार नजर आ सकता है. लेकिन उनमें इस मनोविकार का प्रभाव ज्यादा जटिल स्वरूप में नजर आ सकता है. मनोचिकित्सकों व मनोवैज्ञानिकों के अनुसार सेपरेशन एंजायटी डिसऑर्डर के शिकार लोगों में कई अन्य प्रकार के एंजायटी डिसऑर्डर तथा कई मानसिक व व्यवहारिक समस्याएं होने की आशंका ज्यादा होती है.
सेपरेशन एंजायटी के प्रभाव : उत्तराखंड की मनोवैज्ञानिक रेणुका जोशी (Renuka Joshi psychologist) बताती हैं कि अपने दोस्तों व परिवार से अलग या दूर होने के डर के चलते थोड़ी बेचैनी या उनसे दूर होने का बाद अकेलापन महसूस करना एक सामान्य व्यवहार है लेकिन यदि यह डर या अकेलापन अवसाद, पैनिक डिसऑर्डर या एंजायटी डिसऑर्डर (fear or loneliness, mental problems, depression, panic disorder or anxiety disorder) जैसी मानसिक समस्याओं का कारण बनने लगे तो यह मनोविकार में बदल जाता है .
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वह बताती हैं कि इस डिसऑर्डर का शिकार होने पर ना सिर्फ पीड़ित के व्यवहार में परिवर्तन नजर आने लगते हैं बल्कि कई बार उसमें कुछ शारीरिक समस्याएं भी नजर आ सकती हैं. इस मनोविकार के कारण कई बार पीड़ितों में कुछ अन्य मनोविकारों के होने की आशंका भी बढ़ जाती है जैसे पैनिक अटैक्स, फोबिया, सोशल एंजायटी डिसऑर्डर, ऑब्सेसिव कंप्लसिव डिसऑर्डर तथा डिप्रेशन (Obsessive compulsive disorder, panic attacks, phobias, social anxiety disorder and depression) आदि.
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बीएमसी साइकियाट्री जर्नल (BMC Psychiatry) में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार भी सेपरेशन एंजायटी वाले वयस्कों में अन्य एंजायटी डिसऑर्डर से पीड़ित लोगों की तुलना में उच्च स्तर का अवसाद, उच्च तनाव व उच्च न्यूरोटिसिज्म स्कोर (Higher neuroticism scores) नजर आता है, साथ ही उन्हे रोजमर्रा के कार्यों को करने में भी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है.
सेपरेशन एंजायटी डिसऑर्डर लक्षण: इस विकार की गंभीरता या अन्य कई कारणों के चलते बच्चों और बड़ों में इसके लक्षण या संकेत अलग-अलग नजर आ सकते हैं. जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.
सेपरेशन एंजायटी डिसऑर्डर लक्षण बड़ों में
- चिंता, डर या घबराहट का बढ़ जाना
- दूसरों पर बहुत ज्यादा भावनात्मक निर्भरता
- हमेशा अपनों के साथ दुर्घटना या दुखद घटनाएं होने का डर होना या उनसे बिछड़ने का डर
- ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई
- खराब नींद
- सामाजिक जीवन से दूरी
- बुरे सपने आना
- पेट या सिर में दर्द होना
सेपरेशन एंजायटी डिसऑर्डर लक्षण बच्चों में
- हमेशा माता पिता के साथ-साथ रहना
- माता-पिता, किसी अन्य परिजन या दोस्त को बीमारी, आपदा या दुर्घटना में खो देने का डर
- बहुत ज्यादा डर या चिंता
- अलग होने के डर से घर या माता पिता से दूर रहने से इंकार करना
- माता पिता या परिजनों से थोड़ी देर दूर रहने पर भी बहुत अधिक रोना
- शारीरिक रूप से अस्वस्थ महसूस करना या सिर दर्द, पेट दर्द या उल्टी आने जैसा महसूस करना
- व्यवहार में अचानक परिवर्तन होना जैसे कभी हिंसक और भावुक हो जाना
- कहीं भी अकेले जाने यहां तक की स्कूल जाने के लिए भी मना करना
- स्कूल में प्रदर्शन का खराब होना
- अकेले सोने के लिए मना करना
- माता-पिता या अन्य परिजनों से अलग होने वाले डरावने सपने देखना
सेपरेशन एंजायटी डिसऑर्डर का इलाज (Separation anxiety disorder treatment) : रेणुका जोशी बताती हैं कि सेपरेशन एंजायटी डिसऑर्डर के इलाज के लिए मनोचिकित्सक टॉक थेरेपी व संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी (Talk therapy and cognitive behavioral therapy) सहित अन्य थेरेपियों तथा जरूरत पड़ने पर दवा की भी भी मदद लेते हैं.
इसके अलावा बच्चों या बड़ों में इस मनोविकार के लक्षण नजर आने पर चिकित्सीय मदद के साथ व्यवहार संबंधी कुछ खास सावधानियों व बातों का ध्यान रखने की सलाह भी दी जाती है. वह बताती हैं चाहे बच्चे हो या बड़े, बहुत जरूरी है कि अगर उनमें इस मनोविकार के लक्षण या संकेत नजर आ रहे हों तो तत्काल मनोचिकित्सक से परामर्श (Consult psychiatrist) तथा इलाज लिया जाय. विशेषतौर पर बचपन में यदि समय पर इस विकार के संकेतों को समझ कर बच्चे की अवस्था को ठीक रखने के लिए प्रयास शुरू कर दिए जाते हैं तो इस विकार के गंभीर प्रभावों को कम किया या उनसे छुटकारा भी पाया जा सकता है.
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