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वाराणसी: पीएम मोदी के जल संरक्षण सपने को पूरा करने में जुटा ये जल प्रहरी

वाराणसी के एमबीए पास युवा ने महज 750 रुपये और साढ़े चार हजार की लागत से उसने दो ऐसे सिस्टम तैयार किए हैं. जो न सिर्फ बारिश के बेकार जाने वाले पानी को जमीन के अंदर भेजकर ग्राउंड वाटर लेवल को बढ़ाने का काम कर रहा है, बल्कि महंगी मशीनों और सिस्टम को भी आईना दिखा रहा है.

जल संरक्षण की दिशा में पहल
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Published : Jul 9, 2019, 9:30 PM IST

वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भूगर्भ जल संरक्षण की दिशा में पहल करने की अपील की थी. इस अपील का असर उनके संसदीय क्षेत्र वाराणसी में देखने को मिला. जहां पांडेयपुर इलाके के रहने वाले सजल श्रीवास्तव को लोग जल प्रहरी के नाम से जानते हैं क्योंकि इन्होंने 4 सालों में भूगर्भ जल संरक्षण की दिशा में सार्थक पहल की है.

इन्होंने मेक इन इंडिया योजना को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री मोदी के मन की बात को जमीन पर उतारने का काम भी किया है. इस फिल्टर को बनाने में कूलर की घास, प्लास्टिक के पाइप और नालियों में लगने वाली लोहे की जाली का इस्तेमाल किया गया है. महज 750 रुपये की लागत से इसे तैयार किया गया है, जिसमें नीचे लगे पाइप में गिट्टी और ब्लैक कार्बन की मदद से छत के पानी से आने वाले स्वीट को फिल्टर कर इसे सीधे ग्राउंड वाटर लेवल बढ़ाने के लिए जमीन के अंदर भेजा जा सकता है.

जल संरक्षण की दिशा में पहल.

इन्होंने 2015 में कबाड़ के जुगाड़ से दो बाल्टी के सहारे रेन वाटर हार्वेस्टिंग के लिए एक फिल्टर युक्त भूमिगत जल रिचार्ज सिस्टम तैयार किया था. जिसके सफल होने के बाद बीएचयू आईआईटी के सहयोग से एक ऐसा पाइप फिटर बनाया है. इसे पाइप फिटर की मदद से लगभग 100 वर्ग मीटर के बारिश के पानी को फिल्टर करके सीधे आपकी बोरिंग में भेजा जा सकता.

सजल का कहना है अगर इस सिस्टम को अपने छत से आने वाले पानी वाले पाइप से जोड़ दिया जाए तो, एक लाख लीटर से ज्यादा पानी को ग्राउंड वाटर लेवल बढ़ाने के लिए सीधे जमीन में भेजा जा सकता है. महज 4500 रुपये की लागत से तैयार इस टैंक में बारिश के पानी को फिल्टर करती है. साफ पानी सीधे अंदर बने फिल्टर टैंक में साफ होकर जमीन के अंदर चला जाता है.

वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भूगर्भ जल संरक्षण की दिशा में पहल करने की अपील की थी. इस अपील का असर उनके संसदीय क्षेत्र वाराणसी में देखने को मिला. जहां पांडेयपुर इलाके के रहने वाले सजल श्रीवास्तव को लोग जल प्रहरी के नाम से जानते हैं क्योंकि इन्होंने 4 सालों में भूगर्भ जल संरक्षण की दिशा में सार्थक पहल की है.

इन्होंने मेक इन इंडिया योजना को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री मोदी के मन की बात को जमीन पर उतारने का काम भी किया है. इस फिल्टर को बनाने में कूलर की घास, प्लास्टिक के पाइप और नालियों में लगने वाली लोहे की जाली का इस्तेमाल किया गया है. महज 750 रुपये की लागत से इसे तैयार किया गया है, जिसमें नीचे लगे पाइप में गिट्टी और ब्लैक कार्बन की मदद से छत के पानी से आने वाले स्वीट को फिल्टर कर इसे सीधे ग्राउंड वाटर लेवल बढ़ाने के लिए जमीन के अंदर भेजा जा सकता है.

जल संरक्षण की दिशा में पहल.

इन्होंने 2015 में कबाड़ के जुगाड़ से दो बाल्टी के सहारे रेन वाटर हार्वेस्टिंग के लिए एक फिल्टर युक्त भूमिगत जल रिचार्ज सिस्टम तैयार किया था. जिसके सफल होने के बाद बीएचयू आईआईटी के सहयोग से एक ऐसा पाइप फिटर बनाया है. इसे पाइप फिटर की मदद से लगभग 100 वर्ग मीटर के बारिश के पानी को फिल्टर करके सीधे आपकी बोरिंग में भेजा जा सकता.

सजल का कहना है अगर इस सिस्टम को अपने छत से आने वाले पानी वाले पाइप से जोड़ दिया जाए तो, एक लाख लीटर से ज्यादा पानी को ग्राउंड वाटर लेवल बढ़ाने के लिए सीधे जमीन में भेजा जा सकता है. महज 4500 रुपये की लागत से तैयार इस टैंक में बारिश के पानी को फिल्टर करती है. साफ पानी सीधे अंदर बने फिल्टर टैंक में साफ होकर जमीन के अंदर चला जाता है.

Intro:Special Story:

वाराणसी: बारिश का मौसम शुरू होने के साथ ही हर साल जल संरक्षण को लेकर बहस शुरू हो जाती है. प्रयास होते हैं कि बारिश के जल को भूगर्भ जल संरक्षण की दिशा में इस्तेमाल कर ग्राउंड वाटर लेवल को बढ़ाने का काम किया जाए, वर्षा का जल बेकार ना जाए और उसे हरियाली भी बढ़ाई जाए लेकिन यह प्रयास धरती पर उतर कर कितने सार्थक सिद्ध होते हैं यह तो बारिश खत्म होने के बाद ही पता चलता है. शायद यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दी 2015 में और फिर हाल ही में भूगर्भ जल संरक्षण की दिशा में पहल करते हुए लोगों को आगे आने की अपील को शायद उनकी इस अपील का असर उनके संसदीय क्षेत्र वाराणसी में ज्यादा देखने को मिला, क्योंकि यहां एक एमबीए पास युवा ने 2015 में ही प्रधानमंत्री मोदी के मन की बात कार्यक्रम में जल संरक्षण की बात को सुनकर ऐसा प्रयास शुरू किया जो आज 4 सालों के प्रयास के बाद सार्थक सिद्ध होता दिख रहा है. महज 750 रुपये और साढ़े चार हजार की लागत से उसने दो ऐसे सिस्टम तैयार किए हैं जो न सिर्फ बारिश के बेकार जाने वाले पानी को जमीन के अंदर भेजकर ग्राउंड वाटर लेवल को बढ़ाने का काम कर रहा है बल्कि महंगी महंगी मशीनों और सिस्टम को भी आईना दिखा रहा है.

ओपनिंग पीटीसी- गोपाल मिश्र


Body:वीओ-01 वाराणसी के पांडेपुर इलाके के रहने वाले सजल श्रीवास्तव को लोग जल प्रहरी के नाम से जानते हैं. जल प्रहरी इसलिए क्योंकि इन्होंने 4 सालों में भूगर्भ जल संरक्षण की दिशा में नासिक सार्थक पहल की है बल्कि मेक इन इंडिया योजना को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री मोदी के मन की बात को जमीन पर उतारने का काम किया है इन्होंने 2015 में कबाड़ के जुगाड़ से दो बाल्टी के सहारे रेन वाटर हार्वेस्टिंग के लिए एक फिल्टर युक्त भूमिगत जल रिचार्ज सिस्टम तैयार किया था. जिसके सफल होने के बाद इन्होंने बीएचयू आईआईटी के सहयोग से एक ऐसा पाइप फिटर बनाया है जिसे जेल प्रहरी नाम दिया गया है. इस पाइप फिटर की मदद से लगभग 100 वर्ग मीटर के बारिश के पानी को फिल्टर करके सीधे आपकी बोरिंग में भेजा जा सकता, सबसे बड़ी बात यह है कि सजल ने इस फिल्टर को बनाने में कूलर की घास, प्लास्टिक के पाइप और नालियों में लगने वाली लोहे की जाली का इस्तेमाल कर महज 750 रुपए की लागत में इस फिल्टर को तैयार किया है. जिसमें नीचे लगे पाइप में गिट्टी और ब्लैक कार्बन की मदद से छत के पानी से आने वाले स्वीट को फिल्टर कर इसे सीधे ग्राउंड वाटर लेवल बढ़ाने के लिए जमीन के अंदर भेजा जा सकता है. सजल का कहना है अगर इस सिस्टम को अपने छत से आने वाले पानी वाले पाइप से जोड़ दिया जाए तो एक लाख लीटर से ज्यादा पानी को ग्राउंड वाटर लेवल बढ़ाने के लिए सीधे जमीन में भेजा जा सकता है.

बाईट- सजल श्रीवास्तव, जल प्रहरी


Conclusion:वीओ-02 इतना ही नहीं सजल ने एक फिल्टर टैंक भी बनाया है जिसे पाइप कनेक्ट कर उन्होंने सीधे छत से आने वाले बारिश के पानी को जमीन तक पहुंचाने का काम भी किया है. महज 4500 हजार रुपये की लागत से तैयार इस टैंक में बारिश के पानी किस फील्ड रूकती है और साफ पानी सीधे अंदर बने फिल्टर टैंक में जाकर साफ होकर जमीन के अंदर चला जाता है. जिससे ग्राउंड वाटर लेवल तो बढ़ता ही है साथ में लगभग 100 वर्ग मीटर से ज्यादा इलाके में लगे पेड़ों और पौधों को बिना ज्यादा पानी के इस्तेमाल के भी सुरक्षित और संरक्षित रखा जा सकता है. यानी एक तीर से दो निशाना. सजल का कहना है कि उनका यह प्रयास आम आदमी तक सस्ते दर में इस पूरे सिस्टम को पहुंचाने का है 4 साल से ज्यादा लंबे प्रयास के बाद यह सिस्टम तैयार कर उन्होंने उन बड़ी-बड़ी कंपनियों को आईना दिखाने का काम किया है जो लाखों रुपए लेकर रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को लगाने का काम करती हैं. फिलहाल बीएचयू आईआईटी की मदद से तैयार सिस्टम से निश्चित तौर पर पीएम मोदी के सपने को बहुत हद तक पूरा किया जा सकता है.

बाईट- सजल श्रीवास्तव, जल प्रहरी

क्लोजिंग पीटीसी- गोपाल मिश्र

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