वाराणसी : कोरोना महामारी पर काबू पाने के साथ सरकार ने सभी शिक्षण संस्थाओं को खोल दिया, जिसमें बोर्ड के बच्चों की भी क्लास शुरु हो गई. अब सरकार छोटे बच्चों का भी स्कूल खोलने पर भी विचार कर रही है, ताकि बच्चों की पढ़ाई बाधित न हो. परंतु बीते 9-10 महीने से घर में रहने के कारण बच्चों के मानसिक और शारीरिक स्थिति पर खासा प्रभाव पड़ा है. इससे उनकी दिनचर्या भी काफी परिवर्तित हो गई हैं, जो कि तनाव का कारण बन रहा है. वहीं बच्चों के तनाव को किस प्रकार से दूर किया जा सके और कैसे अक बार फिर उनकी पुरानी दिनचर्या में उन्हें सक्रिय किया जा सके. इसको लेकर ईटीवी भारत की टीम ने अभिभावकों, शिक्षकों और योगा ट्रेनर से बातचीत की और इस विषय उनकी राय जाना.
बच्चों की दिनचर्या हुई है प्रभावित
ईटीवी भारत से बातचीत में अभिभावकों ने कहा कि बच्चे घरों में रहने के कारण काफी ज्यादा सुस्त हो चुके हैं, उनमें चिड़चिड़ापन भी बहुत है. उनकी दिनचर्या पूरी तरीके से अस्त-व्यस्त हो गई है. हम चाहते हैं कि स्कूल खुल जाएं, जिससे बच्चे बाहर निकले और घुले मिलें. उन्होंने बताया कि हम अपनी ओर से हर संभव कोशिश कर रहे हैं कि वह तनावमुक्त रहें परंतु इतने दिनों से घर में रहने के कारण उनके मस्तिष्क पर काफी प्रभाव पड़ा है.
स्कूल आने पर बच्चे फिर होंगे सक्रिय
डब्ल्यू एच स्मिथ स्कूल की प्रधानाचार्य अनीता डे ने कहा कि इतने दिनों से बच्चे एक घर में है, जिसके कारण जो अंतर्मुखी बच्चे हैं वह ज्यादा तनाव में है. जबकि बहिर्मुखी बच्चे फिर भी ठीक हैं. लॉकडाउन में वह स्कूल नहीं आ पाए ज्यादा बाहर निकल नहीं पाए, इसकी वजह से वह मानसिक रूप से थोड़े चिड़चिडे़ भी हो गए हैं. लेकिन जैसे ही स्कूल खुलेंगे, बच्चे स्कूल आएंगे अपने दोस्तों से मिलेंगे, शिक्षकों से रूबरू होंगे तो उनका तनाव कम होगा. इसके साथ ही स्कूलों के द्वारा भी समय-समय पर बच्चों को प्रोजेक्ट वर्क दे कर ऑनलाइन क्लासेज के माध्यम से उन्हें अलग-अलग चीजें सिखाई जा रही हैं. ताकि वह उनके अंदर की छुपी प्रतिभा का विकास हो और वह तनाव मुक्त रह सकें.
योग से दूर होगा बच्चों का स्ट्रेस
योगा ट्रेनर और काउंसलर पुष्पांजलि शर्मा ने बताया कि बच्चे काफी दिनों से घर में है. इन दिनों वह न ज्यादा लोगों से मिल रहे हैं, न ही कोई सक्रिय खेल खेल रहे हैं, सिर्फ गैजेट्स का प्रयोग कर रहे हैं. अब उन्हें पुराने रूटीन में लाने के लिए अभिभावकों को भी मेहनत करनी होगी. अभिभावकों को प्यार और डांट दोनों का सहारा लेकर बच्चों को फिर सक्रिय करना होगा. अभिभावक सुबह बच्चों को स्कूल जाने के समय उठाएं और उनसे योगा का अभ्यास कराएं. योगा का अभ्यास करने से बच्चों को मानसिक और शारीरिक दोनों प्रकार से लाभ होगा. अभिभावक सुबह-सुबह बच्चों को प्राणायाम, अनुलोम-विलोम, भ्रामरी, सूर्य नमस्कार आदि आसन कराके उन्हें और बेहतर बना सकते हैं.