वाराणसी: भोलेनाथ की नगरी काशी में सावन के पहले सोमवार के मौके पर सदियों पुरानी चली आ रही परंपरा का निर्वहन किया गया. यह परंपरा यदुवंशी समाज के लोगों से जुड़ी है. मान्यता है कि कई साल पहले जब देश में अकाल पड़ा था, तब यदुवंशी समाज के लोगों ने कठिन तपस्या कर बाबा विश्वनाथ समेत काशी के नौ शिवालयों में जलाभिषेक किया. जिससे प्रसन्न होकर शिव ने भारी बारिश की और अकाल खत्म हुआ, जिसके बाद आज भी इस पुरानी परंपरा का निर्वहन हो रहा है.
यदुवंशी समाज ने किया जलाभिषेक
- यदुवंशी समाज ने शहर में निकाली शोभायात्रा.
- नौ शिवालयों में यदुवंशी समाज ने जलाभिषेक किया.
जानिए क्या है सदियों से चली आ रही परंपरा
साल 1932 में जब देश में अकाल की स्थिति बनी थी, उस वक्त यदुवंशी समाज के दो लोगों ने काशी में तपस्या करते हुए काशी के नौ शिवालयों में जलाभिषेक कर बाबा को प्रसन्न करने का काम किया था. जिसके बाद अकाल खत्म हुआ और तभी से यह परंपरा आज भी काशी में यदुवंशी समाज के लोगों द्वारा निभाई जा रही है. जिसमें सावन के पहले सोमवार में सबसे पहले यदुवंशी समाज के लोगों द्वारा काशी विश्वनाथ मंदिर समेत अन्य आठ शिवालयों में जलाभिषेक कर इस परंपरा का निर्वहन किया जाता है.
सालों पुरानी परंपरा के निर्वहन के साथ ही यदुवंशी समाज के लोगों ने बाबा विश्वनाथ का जलाभिषेक किया और इस दौरान शासन-प्रशासन को सद्बुद्धि देने के लिए भी बाबा विश्वनाथ को नमन किया. यदुवंशी समाज के लोगों का कहना है. जिस तरह से शासन प्रशासन के द्वारा लगातार गोपालकों का दोहन कर गायों के साथ खराब बर्ताव हो रहा है, ऐसी स्थिति में भगवान इन सभी को सद्बुद्धि दें.