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बाबा विश्वनाथ ने दूर किया था अकाल, इसलिए यदुवंशी समाज आज भी निभा रहा है यह अनोखी परंपरा

हर साल की भांति भी इस साल भी काशी के यदुवंशी समाज ने नौ शिवालयों का जलाभिषेक करके परंपरा निभाई. मान्यता है कि कई साल पहले जब देश में अकाल पड़ा था, तब यदुवंशी समाज के लोगों ने कठिन तपस्या कर बाबा विश्वनाथ समेत काशी के नौ शिवालयों में जलाभिषेक किया था.

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Published : Jul 22, 2019, 1:40 PM IST

यदुवंशी समाज ने शहर में निकाली शोभायात्रा

वाराणसी: भोलेनाथ की नगरी काशी में सावन के पहले सोमवार के मौके पर सदियों पुरानी चली आ रही परंपरा का निर्वहन किया गया. यह परंपरा यदुवंशी समाज के लोगों से जुड़ी है. मान्यता है कि कई साल पहले जब देश में अकाल पड़ा था, तब यदुवंशी समाज के लोगों ने कठिन तपस्या कर बाबा विश्वनाथ समेत काशी के नौ शिवालयों में जलाभिषेक किया. जिससे प्रसन्न होकर शिव ने भारी बारिश की और अकाल खत्म हुआ, जिसके बाद आज भी इस पुरानी परंपरा का निर्वहन हो रहा है.

यदुवंशी समाज ने नौ शिवालयों का जलाभिषेक किया.

यदुवंशी समाज ने किया जलाभिषेक

  • यदुवंशी समाज ने शहर में निकाली शोभायात्रा.
  • नौ शिवालयों में यदुवंशी समाज ने जलाभिषेक किया.

जानिए क्या है सदियों से चली आ रही परंपरा


साल 1932 में जब देश में अकाल की स्थिति बनी थी, उस वक्त यदुवंशी समाज के दो लोगों ने काशी में तपस्या करते हुए काशी के नौ शिवालयों में जलाभिषेक कर बाबा को प्रसन्न करने का काम किया था. जिसके बाद अकाल खत्म हुआ और तभी से यह परंपरा आज भी काशी में यदुवंशी समाज के लोगों द्वारा निभाई जा रही है. जिसमें सावन के पहले सोमवार में सबसे पहले यदुवंशी समाज के लोगों द्वारा काशी विश्वनाथ मंदिर समेत अन्य आठ शिवालयों में जलाभिषेक कर इस परंपरा का निर्वहन किया जाता है.


सालों पुरानी परंपरा के निर्वहन के साथ ही यदुवंशी समाज के लोगों ने बाबा विश्वनाथ का जलाभिषेक किया और इस दौरान शासन-प्रशासन को सद्बुद्धि देने के लिए भी बाबा विश्वनाथ को नमन किया. यदुवंशी समाज के लोगों का कहना है. जिस तरह से शासन प्रशासन के द्वारा लगातार गोपालकों का दोहन कर गायों के साथ खराब बर्ताव हो रहा है, ऐसी स्थिति में भगवान इन सभी को सद्बुद्धि दें.

वाराणसी: भोलेनाथ की नगरी काशी में सावन के पहले सोमवार के मौके पर सदियों पुरानी चली आ रही परंपरा का निर्वहन किया गया. यह परंपरा यदुवंशी समाज के लोगों से जुड़ी है. मान्यता है कि कई साल पहले जब देश में अकाल पड़ा था, तब यदुवंशी समाज के लोगों ने कठिन तपस्या कर बाबा विश्वनाथ समेत काशी के नौ शिवालयों में जलाभिषेक किया. जिससे प्रसन्न होकर शिव ने भारी बारिश की और अकाल खत्म हुआ, जिसके बाद आज भी इस पुरानी परंपरा का निर्वहन हो रहा है.

यदुवंशी समाज ने नौ शिवालयों का जलाभिषेक किया.

यदुवंशी समाज ने किया जलाभिषेक

  • यदुवंशी समाज ने शहर में निकाली शोभायात्रा.
  • नौ शिवालयों में यदुवंशी समाज ने जलाभिषेक किया.

जानिए क्या है सदियों से चली आ रही परंपरा


साल 1932 में जब देश में अकाल की स्थिति बनी थी, उस वक्त यदुवंशी समाज के दो लोगों ने काशी में तपस्या करते हुए काशी के नौ शिवालयों में जलाभिषेक कर बाबा को प्रसन्न करने का काम किया था. जिसके बाद अकाल खत्म हुआ और तभी से यह परंपरा आज भी काशी में यदुवंशी समाज के लोगों द्वारा निभाई जा रही है. जिसमें सावन के पहले सोमवार में सबसे पहले यदुवंशी समाज के लोगों द्वारा काशी विश्वनाथ मंदिर समेत अन्य आठ शिवालयों में जलाभिषेक कर इस परंपरा का निर्वहन किया जाता है.


सालों पुरानी परंपरा के निर्वहन के साथ ही यदुवंशी समाज के लोगों ने बाबा विश्वनाथ का जलाभिषेक किया और इस दौरान शासन-प्रशासन को सद्बुद्धि देने के लिए भी बाबा विश्वनाथ को नमन किया. यदुवंशी समाज के लोगों का कहना है. जिस तरह से शासन प्रशासन के द्वारा लगातार गोपालकों का दोहन कर गायों के साथ खराब बर्ताव हो रहा है, ऐसी स्थिति में भगवान इन सभी को सद्बुद्धि दें.

Intro:वाराणसी: जिनकी जटाओं में गंगा समाई है, जो भोलेनाथ जिनका आशीर्वाद पा कर बड़े से बड़ा दुख दर्द दूर हो जाता है और भोलेनाथ की नगरी काशी में आज सावन के पहले सोमवार के मौके पर सदियों पुरानी ऐसी ही एक परंपरा का निर्वहन किया गया. यह परंपरा यदुवंशी समाज के लोगों से जुड़ी है. मान्यता है कि कई साल पहले जब देश में अकाल पड़ा था, तब यदुवंशी समाज के लोगों ने कठिन तपस्या कर बाबा विश्वनाथ समेत काशी के नौ शिवालयों में जलाभिषेक किया. जिससे प्रसन्न होकर शिव ने भारी बारिश की और अकाल खत्म हुआ, जिसके बाद आज भी इस पुरानी परंपरा का निर्वहन हो रहा है.


Body:वीओ-01 बताया जाता है कि सन 1932 में जब देश में अकाल की स्थिति बनी थी उस वक्त यदुवंशी समाज के दो लोगों ने काशी में तपस्या करते हुए काशी के नौ शिवालयों में जलाभिषेक कर बाबा को प्रसन्न करने का काम किया था. जिसके बाद अकाल खत्म हुआ और तभी से यह परंपरा आज भी काशी में यदुवंशी समाज के लोगों द्वारा निभाई जा रही है. जिसमें सावन के पहले सोमवार में सबसे पहले यदुवंशी समाज के लोगों द्वारा काशी विश्वनाथ मंदिर समेत अन्य आठ शिवालयों में जलाभिषेक कर इस परंपरा का निर्वहन किया जाता है.

बाईट- लक्ष्मण यादव, श्रद्धालु


Conclusion:वीओ-02 सालो पुरानी परंपरा के निर्वहन के साथ ही यदुवंशी समाज के लोगों ने बाबा विश्वनाथ का जलाभिषेक करने के दौरान शासन-प्रशासन को सद्बुद्धि देने के लिए भी बाबा विश्वनाथ को नमन किया. यदुवंशी समाज के लोगों का कहना है जिस तरह से शासन प्रशासन के द्वारा लगातार गोपालको का दोहन कर गायों के साथ खराब बर्ताव हो रहा है ऐसी स्थिति में भगवान इन सभी को सद्बुद्धि दे.

बाईट- लालजी यादव, अध्यक्ष, चंद्रवंशी गोप सेवा समिति

गोपाल मिश्र

9839809074
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