वाराणसी: मां शक्ति की आराधना का पर्व चैत्र नवरात्रि आज से शुरू हो गया है. 9 दिनों तक चलने वाले इस अनुष्ठान में देवी के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा होती है. यह 9 रूप देवी के 9 अलग-अलग भाव को दर्शाते हैं. ऐसे में नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री देवी की पूजा की जाती है. ऐसे में जानिए कि मां का आशीर्वाद कैसे पाएं और उन्हें क्या चढ़ाएं, जिससे देवी की विशेष कृपा बनी रहे.
वैसे तो चैत्र नवरात्र में गौरी पूजन का विधान होता है और गौरी के अलग-अलग रूप के दर्शन भी होते हैं. वहीं वाराणसी को छोड़कर देश के बाकी हिस्सों में मां गौरी मंदिर बहुत ही कम हैं, इसलिए लोग इस नवरात्रि में भी माता दुर्गा के अलग-अलग रूप का पूजन करते हैं. इनमें पहला स्वरूप है देवी शैलपुत्री का, देवी शैलपुत्री हिमालयराज की पुत्री हैं. उनका पूजन पहाड़ों और जंगलों में मिलने वाले विविध तरह के फूलों से ही किया जाना चाहिए.
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मां शैलपुत्री को कनेर और सफेद पुष्प विशेष रूप से प्रिय हैं. इसके साथ ही देवी शैलपुत्री को नरियल भी अतिप्रिय है. उनके सामने नारियल की बलि दिए जाने से सभी मनोकामनां पूरी होती है. कपूर की आरती कर माता शैलपुत्री का आशीर्वाद पाया जाता है.
ज्योतिषाचार्य पंडित पवन त्रिपाठी का कहना है कि नवरात्रि के प्रथम दिन देवी शैलपुत्री के दर्शन से सारे कष्टों का नाश होता है. देवी की पूजन करने के लिए उनके मंत्रों का उच्चारण करना चाहिए- ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे नमः ॐ शैलपुत्री देव्यै नमः.
ध्यान मंत्र-
वन्दे वांछित लाभाय चन्द्राकृतशेखराम्।
वृषारूढ़ा शूलधरां शैलपुत्री यशस्विनीम्.
मां शैलपुत्री चार भुजा वाली हैं और माता सफेद वस्त्रों में भक्तों को दर्शन देती हैं. मार्कंडेय पुराण के मुताबिक, माता शैलपुत्री पर्वतराज हिमालय की बेटी हैं और उनका वाहन बैल है. उनके एक हाथ में त्रिशूल व दूसरे में डमरु रहता है. माता शैलपुत्री भक्तों के सभी कष्टों को हर लेती हैं.
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