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शारदीय नवरात्रि में अष्टमी के दिन महागौरी की पूजा से मिलेगी अलौकिक शक्ति - मां महागौरी

नवरात्र में अष्टमी के दिन माता के आठवें स्वरूप महागौरी की पूजा-अर्चना की जाती है. अष्टमी के दिन माता गौरी की पूजा के पश्चात कन्या पूजन भी किया जाता है. कन्या पूजन, यानी कि घर में नौ कन्याओं को बुलाकर उन्हें माता रानी का नव स्वरूप मानकर पूजा की जाती है.

मां महागौरी.
मां महागौरी.
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Published : Oct 24, 2020, 5:30 PM IST

Updated : Oct 8, 2022, 1:13 PM IST

वाराणसी: नवरात्र में अष्टमी के दिन माता के आठवें स्वरूप 'महागौरी' की पूजा-अर्चना की जाती है. महागौरी की पूजा को अत्यंत कल्याणकारी और मंगलकारी माना जाता है. मान्यता है कि अगर कोई सच्चे मन से मां महागौरी की पूजा-अर्चना करता है तो उसके सारे पाप नष्ट हो जाते हैं और भक्तों को अलौकिक शक्तियां प्राप्त होती हैं. अष्टमी के दिन माता गौरी के पूजा के पश्चात कन्या पूजन किया जाता है, जहां नौ कन्याओं को बुलाकर इन्हें माता रानी का नव स्वरूप मानते हुए पूजा की जाती है.

श्वेताम्बर हैं मां गौरी : धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां महागौरी का वर्ण एकदम सफेद है, इसीलिए उन्हें श्वेतांबरधरा भी कहा जाता है. माता की चार भुजाएं, जिनमें ऊपर वाला दाहिना हाथ अभय मुद्रा में होता है और नीचे वाले हाथ में त्रिशूल होता है. मां अपने ऊपर वाले बाएं हाथ में डमरू धारण करती हैं और नीचे वाला हाथ वर मुद्रा में होता है. मां महागौरी का वाहन वृषभ है, इसी कारण माता को वृषारूढ़ा भी कहा जाता है.

वाराणसी में अन्नपूर्णा के रूप में होती है मां की पूजा : काशी के ज्योतिषाचार्य पवन त्रिपाठी ने बताया कि वाराणसी में अष्टमी महागौरी की पूजा माता अन्नपूर्णा के रूप में की जाती है. यहां मां का मंदिर वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर के समीप ही स्थित है.

मां की कृपा से कोई भूखा नहीं सोता : कहा जाता है कि माता के दर्शन-पूजन से भक्त कभी दरिद्र नहीं होते हैं और मां की कृपा उन पर हमेशा बनी रहती है. यही वजह है कि मां की असीम अनुकंपा के चलते काशी में कोई भी भक्त भूखा नहीं सोता है.

वाराणसी: नवरात्र में अष्टमी के दिन माता के आठवें स्वरूप 'महागौरी' की पूजा-अर्चना की जाती है. महागौरी की पूजा को अत्यंत कल्याणकारी और मंगलकारी माना जाता है. मान्यता है कि अगर कोई सच्चे मन से मां महागौरी की पूजा-अर्चना करता है तो उसके सारे पाप नष्ट हो जाते हैं और भक्तों को अलौकिक शक्तियां प्राप्त होती हैं. अष्टमी के दिन माता गौरी के पूजा के पश्चात कन्या पूजन किया जाता है, जहां नौ कन्याओं को बुलाकर इन्हें माता रानी का नव स्वरूप मानते हुए पूजा की जाती है.

श्वेताम्बर हैं मां गौरी : धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां महागौरी का वर्ण एकदम सफेद है, इसीलिए उन्हें श्वेतांबरधरा भी कहा जाता है. माता की चार भुजाएं, जिनमें ऊपर वाला दाहिना हाथ अभय मुद्रा में होता है और नीचे वाले हाथ में त्रिशूल होता है. मां अपने ऊपर वाले बाएं हाथ में डमरू धारण करती हैं और नीचे वाला हाथ वर मुद्रा में होता है. मां महागौरी का वाहन वृषभ है, इसी कारण माता को वृषारूढ़ा भी कहा जाता है.

वाराणसी में अन्नपूर्णा के रूप में होती है मां की पूजा : काशी के ज्योतिषाचार्य पवन त्रिपाठी ने बताया कि वाराणसी में अष्टमी महागौरी की पूजा माता अन्नपूर्णा के रूप में की जाती है. यहां मां का मंदिर वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर के समीप ही स्थित है.

मां की कृपा से कोई भूखा नहीं सोता : कहा जाता है कि माता के दर्शन-पूजन से भक्त कभी दरिद्र नहीं होते हैं और मां की कृपा उन पर हमेशा बनी रहती है. यही वजह है कि मां की असीम अनुकंपा के चलते काशी में कोई भी भक्त भूखा नहीं सोता है.

Last Updated : Oct 8, 2022, 1:13 PM IST
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