वाराणसी: भगवान शिव की नगरी काशी में उनके आराध्य भगवान विष्णु के अवतार श्रीराम की लीला रविवार को समाप्त हो गई. रामनगर की विश्व प्रसिद्ध रामलीला रविवार को कोट विदाई के साथ अपने सैकड़ों वर्ष परंपरा के सफलता पूर्वक निर्वहन के साथ समाप्त हुई. 1835 से शुरू होकर अब तक चलने वाली यह रामलीला पूरे 31 दिन तक चलती है.
विश्व प्रसिद्ध इस रामलीला का मंचन रामनगर में होता है. 4 कोस की दूरी में 21 दिनों तक इस लीला का मंचन किया जाता है. बिना लाइट और साउंड यह लीला आज भी विश्व के कोने-कोने से लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है. बनारस के लिए यह लीला एक महा अनुष्ठान है.
18वीं सदी से निरंतर होती आ रही है यह रामलीला
18वीं सदी से लेकर अब तक यह लीला अपने निश्चित समय पर प्रारंभ होती है और निश्चित समय पर समाप्त होती है. रविवार को महाराजा डॉ. अनन्त नारायण सिंह कोट विदाई के तहत रामनगर दुर्ग में भगवान राम, लक्ष्मण, शत्रुघ्न, भरत, मां सीता के स्वरूप का भोग लगाते हैं. उनकी आरती उतारते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. इसके साथ ही यह विश्वप्रसिद्ध लीला समाप्त होती है.
पिछले 17 सालों से विश्व प्रसिद्ध रामलीला प्रतिदिन देखता हूं. यह मात्र एक लीला नहीं बल्कि एक महा अनुष्ठान है. जिसकी आज पूर्णाहुति हुई.
- अरविंद मिश्र, स्थानीय निवासी
आज रामनगर किले के अंदर महाराज द्वारा भगवान के स्वरूपों का 56 प्रकार के भोग लगाया जाता है. इसके बाद भगवान की आरती उतारी जाती है. सैकड़ों वर्षों से महाराजा द्वारा इस परंपरा का निर्वहन किया जा रहा है.
- निर्मल मिश्र, रामायणी