वाराणसी : शिव की नगरी काशी में महिलाओं ने पति की दीर्घायु के लिए व्रत रखा. मान्यताओं के अनुसार देवी पार्वती ने भगवान शंकर की प्राप्ति के लिए व्रत रखा था. दिन भर निर्जला व्रत रहने के बाद शाम होते ही व्रती महिलाएं शिवालयों में जाकर शिवपार्वती की कच्चे मिट्टी से बनी मूर्ति का विधि पूर्वक पूजा कर कथा सुनती हैं. तीज भादों महीने में शुक्लपक्ष के तीसरी तिथि को मनाई जाती है.
पति की लंबी उम्र के लिए हरतालिका व्रत
- धर्म की नगरी काशी में सुहाग की रक्षा के लिए महिलाएं हरतालिका व्रत रखती हैं.
- महिलायें दुर्गा घाट स्थित मंगला गौरी का दर्शन पूजन करती हैं.
- व्रती महिलाएं शिवालयों में कथा सुनकर शिव पार्वती की आराधना करती हैं.
- इस दिन मां गौरी और भगवान शंकर का पूजन किया जाता है.
- मान्यताओं के अनुसार, श्रावण शुक्ल तृतीया (तीज) के दिन पार्वती 100 वर्षों की तपस्या के बाद भगवान शिव से मिली थीं.
- मान्यता है कि इस व्रत को करने से सुहागिन स्त्रियां सौभाग्यवती बनती हैं और उनके पति की उम्र लंबी होती है.
भविष्योत्तर पुराण के अनुसार भाद्र शुक्ल तृतीया को 'हरतालिका' का व्रत रखा जाता है. इस व्रत को सौभाग्यवती स्त्रियां ही करती हैं. लेकिन कहीं-कहीं कुमारी कन्या भी इस व्रत को रखती है. मान्यता है कि इस व्रत को रखने से कुमारी कन्याओं का विवाह शीघ्र हो जाता है.
आज दिन भर हम लोग निर्जला व्रत रखते हैं. यह तीज का व्रत पति की लंबी उम्र की कामना के साथ परिवार को हर बाधा से दूर करता है. इसलिए इस बात का बहुत महत्व है. सभी सुहागन स्त्रियों को यह व्रत रखना चाहिए, जिससे उनके पति की रक्षा भगवान शंकर करते हैं.
-शोभा गुप्ता, श्रद्धालु