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सरहद तक पहुंचेगा बहनों का प्यार, सूनी नहीं रहेगी जवानों की कलाई

भाई-बहन का पवित्र त्योहार रक्षाबंधन 22 अगस्त को पूरे देश में मनाया जाएगा. इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांध उनकी लंबी उम्र की कामना करेंगी तो वहीं भाई उपहार देकर सुख-दुख में साथ निभाने का वादा करेंगे. वाराणसी जिले में कुछ बहनें देश की सीमा पर तैनात जवानों के लिए राखियां बना रही हैं ताकि उन जवानों की कलाई सूनी न रहने पाए, जो इस त्योहार पर घर न आकर देख की सुरक्षा में सीमा पर तैनात रहते हैं.

कॉन्सेप्ट इमेज.
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Published : Aug 10, 2021, 5:24 PM IST

वाराणसी: रक्षाबंधन का त्योहार हर भाई-बहन के लिए बेहद खास होता है. इस दिन जहां एक तरफ सभी बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधकर वचन ले रही होती हैं तो वहीं दूसरी तरफ कुछ भाई सीमा पर हाथों में बंदूक लिए देश की रक्षा कर रहे होते हैं. वह इस खास त्योहार पर भी अपनी बहनों से दूर रहते हैं. सीमा पर लड़ने वाले जवानों की कलाइयां जब रक्षाबंधन पर भी सूनी रहती हैं तो उसका दर्द सिर्फ एक जवान ही समझ सकता है.

ईटीवी भारत से बातचीत करतीं राखी बनाने वाली महिलाएं.

सावन के महीने में रक्षाबंधन के त्योहार पर सीमा पर तैनात जवान भाइयों की कलाइयां भी हरी-भरी रहें, इसको लेकर काशी की बहनें राखी बनाकर सरहद पर तैनात भाइयों को भेज रही हैं. बता दें कि वाराणसी जिले के भुल्लनपुर गांव की दर्जनों महिलाएं बीते कई वर्षों से राखी बनाकर सीमा पर तैनात भाइयों को भेजती हैं. इस वर्ष भी गांव की महिलाओं ने 250 से ज्यादा राखी बनाई है. राखी बनाने वाली महिलाओं में गजब का उत्साह दिख रहा है. वह प्रतिदिन अपना समय निकाल कर इकट्ठा होती हैं और राखियां बनाने में जुट जाती हैं.

जवान रहेंगे सुरक्षित तो देश रहेगा सुरक्षित
महिलाओं का कहना है कि रक्षाबंधन का त्योहार उनके लिए किसी भी त्योहार से ज्यादा खास होता है, क्योंकि वह मिल-जुलकर, गीत गाकर सीमा पर तैनात अपने भाइयों के लिए राखी बनाती हैं. उनका कहना है कि वह लोग बस इतना चाहती हैं कि सीमा पर तैनात रह कर देश की सुरक्षा करने वाले हमारे भाइयों की कलाइयां कभी सूनी न रहे, इसलिए हम बहनें अपनों हाथों से बनाई हुई राखियां उनके पास तक भेजते हैं. हम बहनें यहां से दुआ और प्रेम के साथ इस राखी को बनाते हैं, जो हमारे भाइयों की कलाई पर बधती है. हम बस यही दुआ करते हैं कि हमारे भाई सुरक्षित रहें, जिससे हमारा देश भी सुरक्षित रहेगा.

वेस्ट मटेरियल से बनाती हैं राखियां
राखी बनाने वाली बीना देवी बताती हैं कि यह राखियां वह लोग बचे हुए रॉ मटेरियल से बनाती हैं. वह लोग पूरे साल कढ़ाई, बुनाई करते समय जो लेस व अन्य सजावटी सामान बच जाते हैं, उन्हें रखती हैं ताकि यह राखी बनाने में काम आ सके. वह सभी रॉ और वेस्ट मटेरियल से राखी बनाती हैं, जो बेहद ही खूबसूरत होती है. उन्होंने बताया कि एक तरफ जहां वेस्ट मटेरियल से राखी बना कर वस्तुओं के उपयोग के बारे में बताया जाता है तो वहीं दूसरी तरफ इससे स्वदेशी भारत का सपना भी पूरा होता है.

बीते 5 सालों से भेज रही हैं राखी
बीना देवी बताती हैं कि वह और गांव की महिलाएं मिलकर के बीते 5 सालों से सीमा पर तैनात भाइयों के लिए राखी भेजती हैं. उन्होंने बताया कि वह इस राखी को पीएमओ कार्यालय ले जाती हैं, जहां से राखियां देश के किसी भी सीमा पर भेज दी जाती हैं. रक्षाबंधन के पर्व पर भाइयों की कलाइयों में हमारी बनाई हुई राखियां बधती हैं. उन्होंने बताया कि यह हमारे लिए बहुत गौरव की बात होती है कि हम अपने जवान भाइयों के लिए यह राखी बनाते हैं. यह हमारे लिए सबसे सुखमय पल होता है.

वाराणसी: रक्षाबंधन का त्योहार हर भाई-बहन के लिए बेहद खास होता है. इस दिन जहां एक तरफ सभी बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधकर वचन ले रही होती हैं तो वहीं दूसरी तरफ कुछ भाई सीमा पर हाथों में बंदूक लिए देश की रक्षा कर रहे होते हैं. वह इस खास त्योहार पर भी अपनी बहनों से दूर रहते हैं. सीमा पर लड़ने वाले जवानों की कलाइयां जब रक्षाबंधन पर भी सूनी रहती हैं तो उसका दर्द सिर्फ एक जवान ही समझ सकता है.

ईटीवी भारत से बातचीत करतीं राखी बनाने वाली महिलाएं.

सावन के महीने में रक्षाबंधन के त्योहार पर सीमा पर तैनात जवान भाइयों की कलाइयां भी हरी-भरी रहें, इसको लेकर काशी की बहनें राखी बनाकर सरहद पर तैनात भाइयों को भेज रही हैं. बता दें कि वाराणसी जिले के भुल्लनपुर गांव की दर्जनों महिलाएं बीते कई वर्षों से राखी बनाकर सीमा पर तैनात भाइयों को भेजती हैं. इस वर्ष भी गांव की महिलाओं ने 250 से ज्यादा राखी बनाई है. राखी बनाने वाली महिलाओं में गजब का उत्साह दिख रहा है. वह प्रतिदिन अपना समय निकाल कर इकट्ठा होती हैं और राखियां बनाने में जुट जाती हैं.

जवान रहेंगे सुरक्षित तो देश रहेगा सुरक्षित
महिलाओं का कहना है कि रक्षाबंधन का त्योहार उनके लिए किसी भी त्योहार से ज्यादा खास होता है, क्योंकि वह मिल-जुलकर, गीत गाकर सीमा पर तैनात अपने भाइयों के लिए राखी बनाती हैं. उनका कहना है कि वह लोग बस इतना चाहती हैं कि सीमा पर तैनात रह कर देश की सुरक्षा करने वाले हमारे भाइयों की कलाइयां कभी सूनी न रहे, इसलिए हम बहनें अपनों हाथों से बनाई हुई राखियां उनके पास तक भेजते हैं. हम बहनें यहां से दुआ और प्रेम के साथ इस राखी को बनाते हैं, जो हमारे भाइयों की कलाई पर बधती है. हम बस यही दुआ करते हैं कि हमारे भाई सुरक्षित रहें, जिससे हमारा देश भी सुरक्षित रहेगा.

वेस्ट मटेरियल से बनाती हैं राखियां
राखी बनाने वाली बीना देवी बताती हैं कि यह राखियां वह लोग बचे हुए रॉ मटेरियल से बनाती हैं. वह लोग पूरे साल कढ़ाई, बुनाई करते समय जो लेस व अन्य सजावटी सामान बच जाते हैं, उन्हें रखती हैं ताकि यह राखी बनाने में काम आ सके. वह सभी रॉ और वेस्ट मटेरियल से राखी बनाती हैं, जो बेहद ही खूबसूरत होती है. उन्होंने बताया कि एक तरफ जहां वेस्ट मटेरियल से राखी बना कर वस्तुओं के उपयोग के बारे में बताया जाता है तो वहीं दूसरी तरफ इससे स्वदेशी भारत का सपना भी पूरा होता है.

बीते 5 सालों से भेज रही हैं राखी
बीना देवी बताती हैं कि वह और गांव की महिलाएं मिलकर के बीते 5 सालों से सीमा पर तैनात भाइयों के लिए राखी भेजती हैं. उन्होंने बताया कि वह इस राखी को पीएमओ कार्यालय ले जाती हैं, जहां से राखियां देश के किसी भी सीमा पर भेज दी जाती हैं. रक्षाबंधन के पर्व पर भाइयों की कलाइयों में हमारी बनाई हुई राखियां बधती हैं. उन्होंने बताया कि यह हमारे लिए बहुत गौरव की बात होती है कि हम अपने जवान भाइयों के लिए यह राखी बनाते हैं. यह हमारे लिए सबसे सुखमय पल होता है.

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