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...इस तरह कैसे पूरा होगा काशी को 'क्योटो' बनाने का पीएम मोदी का सपना

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Published : Oct 11, 2020, 11:13 PM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी को क्योटो बनाना चाहते थे, लेकिन जलालीपुरा की तस्वीर एक अलग ही दृश्य को बयां कर रही है. जिस तरीके से प्रधानमंत्री काशी को क्योटो के तर्ज पर विकसित करने का सपना देख रहे थे, ठीक उसी तरीके से उनके मातहत उनके सपनों पर पलीता लगाते हुए नजर आ रहे हैं. देखें यह स्पेशल रिपोर्ट...

weavers upset due to water logging in jalalipura locality
वाराणसी के जलालीपुरा मोहल्ले में भरा पानी.

वाराणसी: यदि उत्तर प्रदेश में रहते हैं और आपको समुद्र देखने का मन है तो आप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र आइए. यहां आपको समुद्र दिखाई देगा, मगर फर्क बस यही है कि यह समुद्र खारे पानी से नहीं, बल्कि बारिश और सीवर के गंदे पानी से बना हुआ मिलेगा. उसमें आपको खूबसूरत मछलियां नहीं, बल्कि महकते बदबूदार गंदी महक और कुछ मच्छर दिखाई देंगे, जो आपके स्वास्थ्य के लिए काफी हानिकारक हैं.

weavers upset due to water logging in jalalipura locality
रोड की स्थिति.

इन दिनों कोविड काल चल रहा है. सभी लोग सुरक्षित अपने घरों में रह रहे हैं. सरकार व प्रशासन तमाम दावे कर रही है कि लोगों को सुरक्षित रखा जा रहा है. मगर जलालीपुरा मोहल्ला पिछले डेढ़ महीने से बारिश व सीवर के गंदे पानी से लबालब भरा हुआ है. यहां लोग जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे हैं. भले ही यहां लोग कोरोना से न मरे, लेकिन सीवर की गंदगी उनके लिए एक अभिशाप बनी हुई है.

weavers upset due to water logging in jalalipura locality
घर में घुसा पानी.

50 से ज्यादा घर डूबे
मोहल्ले में 50 से ज्यादा मकान जलजमाव की जद में है, जिससे लगभग एक हजार लोग प्रभावित हो रहे हैं, मगर आश्चर्य करने वाली बात यह है कि जिस काशी को परियोजना को पूरा कर शहर को विकसित बनाने में देश का नम्बर वन व गंगा किनारे बसे साफ सुथरे शहर में प्रदेश का नम्बर वन शहर होने का दर्जा दिया गया है, उसी काशी में वरुणा नदी के तट पर स्थित जलालीपुरा में गंदगी का अंबार देखने को मिल रहा है. अब तक किसी अधिकारी या किसी जन प्रतिनिधि ने वहां पहुंचकर लोगों की समस्या को दूर करने की जहमत नहीं उठाई.

देखें स्पेशल रिपोर्ट...

जलालीपुरा क्षेत्र के लोगों का हाल जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम उनके पास पहुंची और वहां मौजूद बुनकरों से बातचीत की. ईटीवी भारत से बातचीत में बुनकरों ने अपने दर्द को साझा किया.

भूखे मर रहे बुनकर
ईटीवी भारत से बातचीत में बुनकरों ने बताया कि कोरोना महामारी ने तो हम सबको पहले ही मार दिया था, अब यह जलजमाव हमारी रोजी-रोटी को पूरी तरीके से बंद कर दिया है. सीवर का पानी घर में घुसे रहने के कारण पावरलूम की सारी मशीनें बंद हैं. उन्होंने बताया कि इस गंदे पानी में कई तरीके के मच्छर हैं. जिसकी वजह से घर में रहना मुश्किल हो गया है. नीचे घर में पानी भर गया है, जिसकी वजह से छत पर सोना पड़ रहा है. ओस और मच्छर के कारण बच्चे बीमार हो रहे हैं. मगर कोई हमारे दुःख को समझने वाला नहीं है.

weavers upset due to water logging in jalalipura locality
पानी में डूबी मशीनें.

सड़क व रास्ते तालाब में हुए तब्दील
बुनकर बिलाल अहमद ने बताया कि हमने जलजमाव की शिकायत कई बार अधिकारियों से की. लेकिन हमें आश्वासन के सिवाय कुछ नहीं मिला. हालात यह हो गए हैं कि अस्पताल जाने के लिए कोई रास्ता नहीं बचा हुआ है. यदि कोई बीमार हो जाता है तो कंधे पर बैठाकर मरीज को सड़क तक जाते हैं और वहां से साधन लेकर अस्पताल तक जाते हैं. पीने की पानी की स्थिति भी बदतर हो गई है. सीवर लीकेज कर रहा है. इस वजह से पीने का पानी भी दूषित हो रहा है. समझ नहीं आ रहा कि हम ऐसे में कैसे गुजारा करेंगे. बीच में जब दिक्कत बढ़ी थी तो हम सभी लोग 3 हजार तक चंदा इकट्ठा करके पानी को निकाल दिए थे, लेकिन फिर से सीवर ओवरफ्लो होने लगा और पानी भर गया.

weavers upset due to water logging in jalalipura locality
जलभराव में बुनकर परेशान.

कब्रगाह बना तालाब
इस्लाम धर्म में मरने के बाद 2 गज की जमीन हर व्यक्ति को दी जाती है. लेकिन जलालीपुरा क्षेत्र में स्थित दोनों कब्रगाह इन दिनों तालाब के रूप में तब्दील हो गए हैं. ऐसे में लोगों के सामने एक बड़ी समस्या है कि वह अपनों को दफनाने कहां जाएं. इस जलभराव के कारण मृतकों को अब 2 गज की जमीन भी मयस्सर हो गई है.

वाराणसी: यदि उत्तर प्रदेश में रहते हैं और आपको समुद्र देखने का मन है तो आप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र आइए. यहां आपको समुद्र दिखाई देगा, मगर फर्क बस यही है कि यह समुद्र खारे पानी से नहीं, बल्कि बारिश और सीवर के गंदे पानी से बना हुआ मिलेगा. उसमें आपको खूबसूरत मछलियां नहीं, बल्कि महकते बदबूदार गंदी महक और कुछ मच्छर दिखाई देंगे, जो आपके स्वास्थ्य के लिए काफी हानिकारक हैं.

weavers upset due to water logging in jalalipura locality
रोड की स्थिति.

इन दिनों कोविड काल चल रहा है. सभी लोग सुरक्षित अपने घरों में रह रहे हैं. सरकार व प्रशासन तमाम दावे कर रही है कि लोगों को सुरक्षित रखा जा रहा है. मगर जलालीपुरा मोहल्ला पिछले डेढ़ महीने से बारिश व सीवर के गंदे पानी से लबालब भरा हुआ है. यहां लोग जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे हैं. भले ही यहां लोग कोरोना से न मरे, लेकिन सीवर की गंदगी उनके लिए एक अभिशाप बनी हुई है.

weavers upset due to water logging in jalalipura locality
घर में घुसा पानी.

50 से ज्यादा घर डूबे
मोहल्ले में 50 से ज्यादा मकान जलजमाव की जद में है, जिससे लगभग एक हजार लोग प्रभावित हो रहे हैं, मगर आश्चर्य करने वाली बात यह है कि जिस काशी को परियोजना को पूरा कर शहर को विकसित बनाने में देश का नम्बर वन व गंगा किनारे बसे साफ सुथरे शहर में प्रदेश का नम्बर वन शहर होने का दर्जा दिया गया है, उसी काशी में वरुणा नदी के तट पर स्थित जलालीपुरा में गंदगी का अंबार देखने को मिल रहा है. अब तक किसी अधिकारी या किसी जन प्रतिनिधि ने वहां पहुंचकर लोगों की समस्या को दूर करने की जहमत नहीं उठाई.

देखें स्पेशल रिपोर्ट...

जलालीपुरा क्षेत्र के लोगों का हाल जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम उनके पास पहुंची और वहां मौजूद बुनकरों से बातचीत की. ईटीवी भारत से बातचीत में बुनकरों ने अपने दर्द को साझा किया.

भूखे मर रहे बुनकर
ईटीवी भारत से बातचीत में बुनकरों ने बताया कि कोरोना महामारी ने तो हम सबको पहले ही मार दिया था, अब यह जलजमाव हमारी रोजी-रोटी को पूरी तरीके से बंद कर दिया है. सीवर का पानी घर में घुसे रहने के कारण पावरलूम की सारी मशीनें बंद हैं. उन्होंने बताया कि इस गंदे पानी में कई तरीके के मच्छर हैं. जिसकी वजह से घर में रहना मुश्किल हो गया है. नीचे घर में पानी भर गया है, जिसकी वजह से छत पर सोना पड़ रहा है. ओस और मच्छर के कारण बच्चे बीमार हो रहे हैं. मगर कोई हमारे दुःख को समझने वाला नहीं है.

weavers upset due to water logging in jalalipura locality
पानी में डूबी मशीनें.

सड़क व रास्ते तालाब में हुए तब्दील
बुनकर बिलाल अहमद ने बताया कि हमने जलजमाव की शिकायत कई बार अधिकारियों से की. लेकिन हमें आश्वासन के सिवाय कुछ नहीं मिला. हालात यह हो गए हैं कि अस्पताल जाने के लिए कोई रास्ता नहीं बचा हुआ है. यदि कोई बीमार हो जाता है तो कंधे पर बैठाकर मरीज को सड़क तक जाते हैं और वहां से साधन लेकर अस्पताल तक जाते हैं. पीने की पानी की स्थिति भी बदतर हो गई है. सीवर लीकेज कर रहा है. इस वजह से पीने का पानी भी दूषित हो रहा है. समझ नहीं आ रहा कि हम ऐसे में कैसे गुजारा करेंगे. बीच में जब दिक्कत बढ़ी थी तो हम सभी लोग 3 हजार तक चंदा इकट्ठा करके पानी को निकाल दिए थे, लेकिन फिर से सीवर ओवरफ्लो होने लगा और पानी भर गया.

weavers upset due to water logging in jalalipura locality
जलभराव में बुनकर परेशान.

कब्रगाह बना तालाब
इस्लाम धर्म में मरने के बाद 2 गज की जमीन हर व्यक्ति को दी जाती है. लेकिन जलालीपुरा क्षेत्र में स्थित दोनों कब्रगाह इन दिनों तालाब के रूप में तब्दील हो गए हैं. ऐसे में लोगों के सामने एक बड़ी समस्या है कि वह अपनों को दफनाने कहां जाएं. इस जलभराव के कारण मृतकों को अब 2 गज की जमीन भी मयस्सर हो गई है.

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