वाराणसीः धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी में भक्त और भगवान का एक अनोखा रिश्ता है. इसका जीता जागता उदाहरण इन दिनों आपको बनारस के विभिन्न मंदिरों में देखने को मिलेगा. पहाड़ों पर लगातार हो रही बर्फबारी की वजह से मैदानी इलाकों में ठंड बढ़ रही है, जिसकी वजह से लोग खुद को गर्म कपड़े पहन कर ठंड से बचा रहे हैं. महादेव के इस अद्भुत नगरी काशी में भी प्रमुख मंदिरों में भगवान को भी गर्म कपड़े पहनाए जा रहे हैं. ठंड के मौसम में भगवान को स्वेटर और टोपी के साथ ऊनी वस्त्र पहनाए जा रहे हैं, ताकि भगवान को भी ठंड न लगे.
भाव के भूखे भगवान
वाराणसी में हजारों वर्ष पुरानी परंपरा है कि लोग भगवान को अपने घर का सदस्य मानते हैं. जब काशी वासियों को ठंड की अनुभूति हुई, तो आस्था वस उन्होंने अपने भगवान को भी ऊनी वस्त्र पहनाना शुरू कर दिया. जिले के प्रसिद्ध बड़ा गणेश मंदिर, राम जानकी मंदिर, गोड़िया मठ, चिंतामणि गणेश, श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में विभिन्न मंदिर से तमाम घरों में और मंदिरों में भगवान को ऊनी वस्त्र पहनाए जा रहे हैं.
भगवान करते हैं भक्तों की रक्षा
पुजारी विभूति नारायण शुक्ला ने बताया कि यह संबंध भगवान और भक्त के बीच का है. बदलते मौसम के लिए भक्त जिस तरह अपना बचाव करता है, उसी तरह अपने इष्ट, अपने भगवान के लिए ख्याल रखते हैं. भगवान को गर्म पानी से स्नान कराना, गर्म नैवेद्य से भोग लगाना, ताकि भगवान भी भक्तों की इसी प्रकार से रक्षा करें. जय मां गंगा सेवा समिति के अर्चक विकास पांडेय ने बताया 'हम मनुष्यों को जिसे प्रकार से ठंड लगती है, उसी प्रकार भगवान को भी ठंड लगती है. इसी ठंड से बचाने के लिए भगवान को ऊनी वस्त्र पहनाए जाते हैं. मंदिर में हीटर का प्रयोग करके भगवान को शॉल उढ़ाकर हम ठंड को कम करने का प्रयास करते हैं. यह हमारी श्रद्धा है'.
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