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आर्थिक सर्वेक्षण : मार्च 2024 तक 7 करोड़ 75 लाख किसान क्रेडिट कार्ड चलन में - ECONOMIC SURVEY 2025

वित्‍त वर्ष 2024 में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत नामांकित किसानों की संख्‍या में 26 प्रतिशत की वृद्धि हुई.

Economic Survey 2025
प्रतीकात्मक तस्वीर. (IANS)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jan 31, 2025, 6:34 PM IST

नई दिल्ली: केंद्रीय वित्‍त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज संसद में आर्थिक समीक्षा 2024-25 पेश करते हुए कहा कि सभी किसानों विशेषकर छोटे और सीमांत किसानों तथा समाज के वंचित वर्गों को उपलब्‍ध कराई जा रही ऋण सहायता उनकी आमदनी तथा कृषि की उत्‍पादकता को बढ़ाने में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभा रही है.

आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार मार्च 2024 तक देश में 7 करोड़ 75 लाख किसान क्रेडिट कार्ड खाते संचालित हो रहे हैं और इन पर 9.81 लाख करोड़ रुपये का ऋण अधिशेष है. 31 मार्च 2024 तक मत्‍स्‍य पालन कार्यों के लिए एक लाख 24 हजार किसान क्रेडिट कार्ड और पशु पालन गतिविधियों हेतु 44 लाख 40 हजार किसान क्रेडिट कार्ड जारी किए गए थे.

संशोधित ब्‍याज सहायता योजना: वित्‍त वर्ष 2025 से संशोधित ब्‍याज सहायता योजना (एमआईएसएस) के अंतर्गत दावों और भुगतान करने में तेजी लाने के लिए आवश्‍यक प्रक्रिया किसान ऋण पोर्टल (केआरपी) के माध्‍यम से पूरी की जा रही है. जिसने योजना के कियान्‍वयन को गतिशील और अधिक प्रभावी बना दिया है. 31 दिसम्‍बर 2024 तक एक लाख करोड़ रुपये से अधिक के दावों का निपटान किया जा चुका था.

ECONOMIC SURVEY 2025
ECONOMIC SURVEY 2025 (PIB)

वर्तमान में संशोधित ब्‍याज सहायता योजना-किसान क्रेडिट कार्ड के अंतर्गत किसान ऋण पोर्टल की सहायता से लगभग 5.9 करोड़ किसान लाभान्वित हो रहे हैं. छोटे और सीमांत किसानों की सहायता के लिए बैंकों को अपने समायोजित नेट बैंक क्रेडिट (एएनबीसी) अथवा ऑफ-बैलेंस शीट एक्‍सपोजर की क्रेडिट समतुल्‍य राशि, दोनों में जो भी अधिक हो, उसे कृषि सहित अन्‍य सभी प्राथमिकता वाले क्षेत्रों को उपलब्‍ध कराना होगा. इन सभी उपायों ने गैर-संस्‍थागत ऋण स्रोतों पर किसानों की निर्भरता को 1950 में 90 प्रतिशत से घटाकर वित्‍त वर्ष 2022 में 25 प्रतिशत तक सीमित कर दिया है.

बुनियादी स्‍तर के ऋण: कृषि क्षेत्र में बुनियादी स्‍तर के ऋण (जीएलसी) ने 2014-15 से 2024-25 तक 12.98 प्रतिशत के सीएजीआर की प्रभावशाली बढ़ोत्‍तरी दर्शायी है. जीएलसी 2014-15 में 8.45 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2023-24 में 25 दशमलव 48 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है. इस बीच, छोटे और सीमांत किसानों की हिस्‍सेदारी भी महत्‍वपूर्ण रूप से बढ़ी है और जो आंकड़ा 2014-15 में 3.46 लाख करोड़ रुपये (41 प्रतिशत) था, वह 2023-24 में 14.39 लाख करोड़ रुपये (57 प्रतिशत) तक पहुंच चुका था.

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना : वित्‍त वर्ष 2024-25 में राज्‍य सरकारों और बीमा प्रदाताओं की हिस्‍सेदारी क्रमश: 24 तथा 15 प्रतिशत हो चुकी है, जबकि यह 2020-21 में 20 और 11 प्रतिशत थी. इसके अलावा, इन उपायों ने प्रीमियम की दरों में पहले के वर्षों की तुलना में 32 प्रतिशत की कमी सुनिश्चित की है.

इसके परिणामस्‍वरूप, वित्‍त वर्ष 2024 नामांकन कराने वाले किसानों की संख्‍या 4 करोड़ तक पहुंच गई जो 2023 में 3.17 करोड़ थी. यह संख्‍या 26 प्रतिशत की बढ़त दर्शाती है. वित्‍त वर्ष 2024 में बीमा के तहत कवर किया गया क्षेत्र 600 लाख हेक्‍टेयर तक पहुंच चुका है, जो 19 प्रतिशत की वृद्धि है, क्‍योंकि यह आंकड़ा वित्‍त वर्ष 2023 में 500 लाख हेक्‍टेयर था.

पीएम-किसान और प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना: सरकार की योजनाएं जैसे किसानों को सीधे धनराशि अंतरित करने वाली पीएम-किसान तथा किसानों को पेंशन की सुविधा प्रदान करने वाली प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना सफलतापूर्वक किसानों की आमदनी बढ़ाने में अपना योगदान दे रही है. उनकी सामाजिक सुरक्षा भी सुनिश्चित कर रही हैं.

पीएम-किसान योजना के अंतर्गत 11 करोड़ से अधिक किसानों ने लाभ उठाया है और प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना के अंतर्गत 23 लाख 61 हजार किसानों ने स्‍वयं का नामांकन कराया है. इन योजनाओं के अलावा कई अन्‍य प्रयास किए जा रहे हैं. ओएनओआरसी पहल के अंतर्गत ई-केवाईसी सुविधा और ई-एनडब्‍ल्‍यूआर वित्‍तीय व्‍यवस्‍था के लिए ऋण गांरटी योजना कृषि क्षेत्र को सशक्‍त बनाने में एतिहासिक भूमिका निभा रहे हैं.

खाद्य प्रबंधन: खाद्य सुरक्षा: आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार सरकार लोगों की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है. इस दिशा में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) और लक्षित पीडीएस (टीपीडीएस), राष्‍ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) 2013 तथा प्रधानमंत्री गरीब कल्‍याण अन्‍न योजना (पीएमजीकेएवाई) महत्‍वपूर्ण भूमिका निभा रही है. राष्‍ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम ग्रामीण आबादी का करीब 75 प्रतिशत और शहरी आबादी का लगभग 50 प्रतिशत हिस्‍सा कवर करता है. लोगों को लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्‍यम से मुफ्त में अनाज उपलब्‍ध कराया जाता है. 2011 की जनसंख्‍या के अनुसार यह संख्‍या 81 करोड़ 35 लाख तक हो सकती है. वास्‍तव में, देश की दो-तिहाई आबादी इस अध्‍ययन के अंतर्गत आती है और आमजनों को मुफ्त में अनाज प्राप्‍त होता है. प्रधानमंत्री गरीब कल्‍याण अन्‍न योजना के अंतर्गत मुफ्त खाद्यान्‍न नियमित रूप से 80 करोड़ लाभार्थियों को अतिरिक्‍त दिया जाता है. प्रधानमंत्री गरीब कल्‍याण अन्‍न योजना के तहत मुफ्त अनाज की सुविधा का प्रावधान अगले पांच वर्षों के लिए बढ़ा दिया गया है, जो पहली जनवरी 2024 से प्रभावी है. यह निर्णय सरकार के दृष्टिकोण, दीर्घावधि प्रतिबद्धता को दर्शाता है. साथ ही यह राष्‍ट्रीय खाद्य और पोषण सुरक्षा को भी उजागर करता है.

कृषि यंत्रीकरण: कृषि कार्यों में यंत्रीकरण पर उप-मिशन: आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार कृषि कार्यों में यंत्रीकरण पर उप-मिशन (एसएमएएन) राज्‍य सरकारों की काफी सहायता करता है, जिससे कृषि कार्यों में यंत्रीकरण हेतु प्रशिक्षण और प्रदर्शन को प्रमुखता दी जाती है. कस्‍टम हायरिंग सेंटर (सीएचसी) की स्‍थापना करने और किसानों के लिए आवश्‍यक विभिन्‍न कृषि यंत्रों और उपकरणों के इस्‍तेमाल का तरीका समझाना इनका प्रमुख कार्य है. इस पहल के तहत 31 दिसबंर तक 26,662 सीएचसी स्‍थापित किए जा चुके थे, जिनमें से 138 सीएचसी वित्‍त वर्ष 2025 में ही स्‍थापित किए गए.

महिला स्‍वयं सहायता समूहों को ड्रोन: सरकार ने महिला स्‍वयं सहायता समूहों को ड्रोन उपलब्‍ध कराने के लिए हाल ही में एक योजना को मंजूरी दी थी. इसका लक्ष्‍य 15 हजार महिला स्‍वयं सहायता समूहों को किसानों की कृषि कार्य गतिविधियों के लिए किराये पर उपलब्‍ध कराने के उद्देश्‍य से ड्रोन प्रदान करना है. इन ड्रोन का इस्‍तेमाल कृषि कार्यों जैसे बीज डालने और कीटों से निपटने के लिए किया जाता है.

केन्‍द्र सरकार इस पहल के तहत ड्रोन की कीमत तथा अन्‍य खर्चों का 80 प्रतिशत हिस्‍सा वहन करती है और महिला स्‍वयं सहायता समूहों को 8 लाख रुपये तक की धनराशि उपलब्‍ध कराई जाती है. यह योजना स्‍वयं सहायता समूहों को सतत व्‍यापार तथा जीविका में भी मदद करेगी, जिससे इनकी अतिरिक्‍त आय में एक लाख प्रतिवर्ष की बढ़ोत्‍तरी होगी.

कृषि विपणन आधारभूत संरचना उपयोजना: आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार 31 अक्‍टूबर 2024 तक कृषि विपणन आधारभूत संरचना उपयोजना के तहत 48,611 भंडारण आधारभूत परियोजनाएं स्‍वीकृत की गई थी, जिसमें 4,795.47 करोड़ रुपये की सब्सिडी जारी की गई, इसके अलावा अन्‍य तरह की 21004 ढांचागत परियोजनाएं कृषि विपणन आधारभूत संरचना योजना के तहत मंजूर हुई थी, जिसमें 2,125.76 करोड़ रुपये की सब्सिडी का प्रावधान किया गया.

ई-नेम: आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार ई-नेम पहल प्रति कृषि उत्‍पाद विपणन समिति (एपीएमसी) मंडी को मुफ्त सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर के लिए 75 लाख रुपये की वित्‍तीय सहायता का प्रावधान करती है. योजना के तहत उपकरणों, आधारभूत ढांचे के विकास, ग्रेडिंग, शार्टिंग और पैकेजिंग के लिए धनराशि दी जाती है. 31 अक्‍टूबर 2024 तक 1.78 करोड़ किसान और 2.62 लाख ट्रेडर ई-नेम पोर्टल पर पंजीकृत हो चुके हैं. इस तारीख तक 9,204 एफपीओ पंजीकृत हुए है और 4,490 संस्‍थानों में 237 करोड़ रुपये का इक्विटी भुगतान प्राप्‍त किया.

खाद्यान भंडारण अवसंरचना: आर्थिक सर्वेक्षण मुख्‍य रूप से यह बताता है कि देश में भंडारण क्षमता को बढ़ाने, अनाज सुरक्षित रखने के लिए भंडारण ढांचों को उन्‍नत बनाने और अन्‍य सभी आवश्‍यकताओं के लिए सहायता प्रदान की जाती है. पीपीपी मॉडल के तहत स्‍टील के साइलो तैयार किए जा रहे हैं.

हब एंड स्‍पोक मॉडल साइलो: सरकार हब एंड स्‍पोक मॉडल साइलों के अंतर्गत क्षमताओं में लगातार बढ़ोत्‍तरी कर रही है. जहां पर हब साइलो के पास एक विशिष्‍ट रेलवे प्रबंधित सहायता प्राप्‍त है और कंटेनर डिपो की सहायता हब से हब तक उपलब्‍ध कराई गई है, जबकि स्‍पोक से परिवहन साइलो सुविधा प्रदान करते हैं और प्राप्‍त हुए माल को सड़क मार्ग से भेजा जाता है.

फ्लॉसपेन: मोबाइल स्‍टोरेज यूनिट: खाद्यान के भंडारण में सुधार के लिए सरकार फ्लॉसपेन: मोबाइल स्‍टोरेज यूनिट के इस्‍तेमाल पर विशेष रूप से ध्‍यान केन्द्रित कर रही है, जो पहाड़ी और दूरदराज के इलाकों के लिए काफी सहायक है. इस पहल के लिए वर्ल्‍ड फूड प्रोग्राम (डब्‍ल्‍यूएफपी) के साथ सहयोग किया जा रहा है. यह यूनिट 400 मीट्रिक टन की भंडारण क्षमताओं से लैस होती है और बहुत ही जल्‍द खाली हो सकती है. प्रायोजित परियोजना के तौर पर इस सुविधा को जम्‍मू-कश्‍मीर, हिमाचल प्रदेश, राजस्‍थान, मिजोरम, उत्‍तराखंड और छत्‍तीसगढ़ में शुरू किया गया है.

आधुनिक भंडराणगृह: सरकार खाद्यान के भंडारगृहों का आधुनिकीकरण के लिए डब्‍ल्‍यूएफपी और आईजीएमआरआई के साथ साझेदारी कर रही है. इस पहल का उद्देश्‍य प्रायोगिक तौर पर स्‍मार्ट वेयर हाउस तैयार करना है. इस तरह के आधुनिक भंडारगृह तापमान को मापने, आद्रता, हवा के बहाव, आवश्‍यक गतिविधियों और वास्‍तविक समय आधारित आंकड़े उपलब्‍ध कराने में सहायता प्रदान करते हैं, जिनसे भंडारण सुविधा में सुधार लाने तथा नुकसान कम करने में मदद मिलती है.

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नई दिल्ली: केंद्रीय वित्‍त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज संसद में आर्थिक समीक्षा 2024-25 पेश करते हुए कहा कि सभी किसानों विशेषकर छोटे और सीमांत किसानों तथा समाज के वंचित वर्गों को उपलब्‍ध कराई जा रही ऋण सहायता उनकी आमदनी तथा कृषि की उत्‍पादकता को बढ़ाने में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभा रही है.

आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार मार्च 2024 तक देश में 7 करोड़ 75 लाख किसान क्रेडिट कार्ड खाते संचालित हो रहे हैं और इन पर 9.81 लाख करोड़ रुपये का ऋण अधिशेष है. 31 मार्च 2024 तक मत्‍स्‍य पालन कार्यों के लिए एक लाख 24 हजार किसान क्रेडिट कार्ड और पशु पालन गतिविधियों हेतु 44 लाख 40 हजार किसान क्रेडिट कार्ड जारी किए गए थे.

संशोधित ब्‍याज सहायता योजना: वित्‍त वर्ष 2025 से संशोधित ब्‍याज सहायता योजना (एमआईएसएस) के अंतर्गत दावों और भुगतान करने में तेजी लाने के लिए आवश्‍यक प्रक्रिया किसान ऋण पोर्टल (केआरपी) के माध्‍यम से पूरी की जा रही है. जिसने योजना के कियान्‍वयन को गतिशील और अधिक प्रभावी बना दिया है. 31 दिसम्‍बर 2024 तक एक लाख करोड़ रुपये से अधिक के दावों का निपटान किया जा चुका था.

ECONOMIC SURVEY 2025
ECONOMIC SURVEY 2025 (PIB)

वर्तमान में संशोधित ब्‍याज सहायता योजना-किसान क्रेडिट कार्ड के अंतर्गत किसान ऋण पोर्टल की सहायता से लगभग 5.9 करोड़ किसान लाभान्वित हो रहे हैं. छोटे और सीमांत किसानों की सहायता के लिए बैंकों को अपने समायोजित नेट बैंक क्रेडिट (एएनबीसी) अथवा ऑफ-बैलेंस शीट एक्‍सपोजर की क्रेडिट समतुल्‍य राशि, दोनों में जो भी अधिक हो, उसे कृषि सहित अन्‍य सभी प्राथमिकता वाले क्षेत्रों को उपलब्‍ध कराना होगा. इन सभी उपायों ने गैर-संस्‍थागत ऋण स्रोतों पर किसानों की निर्भरता को 1950 में 90 प्रतिशत से घटाकर वित्‍त वर्ष 2022 में 25 प्रतिशत तक सीमित कर दिया है.

बुनियादी स्‍तर के ऋण: कृषि क्षेत्र में बुनियादी स्‍तर के ऋण (जीएलसी) ने 2014-15 से 2024-25 तक 12.98 प्रतिशत के सीएजीआर की प्रभावशाली बढ़ोत्‍तरी दर्शायी है. जीएलसी 2014-15 में 8.45 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2023-24 में 25 दशमलव 48 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है. इस बीच, छोटे और सीमांत किसानों की हिस्‍सेदारी भी महत्‍वपूर्ण रूप से बढ़ी है और जो आंकड़ा 2014-15 में 3.46 लाख करोड़ रुपये (41 प्रतिशत) था, वह 2023-24 में 14.39 लाख करोड़ रुपये (57 प्रतिशत) तक पहुंच चुका था.

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना : वित्‍त वर्ष 2024-25 में राज्‍य सरकारों और बीमा प्रदाताओं की हिस्‍सेदारी क्रमश: 24 तथा 15 प्रतिशत हो चुकी है, जबकि यह 2020-21 में 20 और 11 प्रतिशत थी. इसके अलावा, इन उपायों ने प्रीमियम की दरों में पहले के वर्षों की तुलना में 32 प्रतिशत की कमी सुनिश्चित की है.

इसके परिणामस्‍वरूप, वित्‍त वर्ष 2024 नामांकन कराने वाले किसानों की संख्‍या 4 करोड़ तक पहुंच गई जो 2023 में 3.17 करोड़ थी. यह संख्‍या 26 प्रतिशत की बढ़त दर्शाती है. वित्‍त वर्ष 2024 में बीमा के तहत कवर किया गया क्षेत्र 600 लाख हेक्‍टेयर तक पहुंच चुका है, जो 19 प्रतिशत की वृद्धि है, क्‍योंकि यह आंकड़ा वित्‍त वर्ष 2023 में 500 लाख हेक्‍टेयर था.

पीएम-किसान और प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना: सरकार की योजनाएं जैसे किसानों को सीधे धनराशि अंतरित करने वाली पीएम-किसान तथा किसानों को पेंशन की सुविधा प्रदान करने वाली प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना सफलतापूर्वक किसानों की आमदनी बढ़ाने में अपना योगदान दे रही है. उनकी सामाजिक सुरक्षा भी सुनिश्चित कर रही हैं.

पीएम-किसान योजना के अंतर्गत 11 करोड़ से अधिक किसानों ने लाभ उठाया है और प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना के अंतर्गत 23 लाख 61 हजार किसानों ने स्‍वयं का नामांकन कराया है. इन योजनाओं के अलावा कई अन्‍य प्रयास किए जा रहे हैं. ओएनओआरसी पहल के अंतर्गत ई-केवाईसी सुविधा और ई-एनडब्‍ल्‍यूआर वित्‍तीय व्‍यवस्‍था के लिए ऋण गांरटी योजना कृषि क्षेत्र को सशक्‍त बनाने में एतिहासिक भूमिका निभा रहे हैं.

खाद्य प्रबंधन: खाद्य सुरक्षा: आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार सरकार लोगों की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है. इस दिशा में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) और लक्षित पीडीएस (टीपीडीएस), राष्‍ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) 2013 तथा प्रधानमंत्री गरीब कल्‍याण अन्‍न योजना (पीएमजीकेएवाई) महत्‍वपूर्ण भूमिका निभा रही है. राष्‍ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम ग्रामीण आबादी का करीब 75 प्रतिशत और शहरी आबादी का लगभग 50 प्रतिशत हिस्‍सा कवर करता है. लोगों को लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्‍यम से मुफ्त में अनाज उपलब्‍ध कराया जाता है. 2011 की जनसंख्‍या के अनुसार यह संख्‍या 81 करोड़ 35 लाख तक हो सकती है. वास्‍तव में, देश की दो-तिहाई आबादी इस अध्‍ययन के अंतर्गत आती है और आमजनों को मुफ्त में अनाज प्राप्‍त होता है. प्रधानमंत्री गरीब कल्‍याण अन्‍न योजना के अंतर्गत मुफ्त खाद्यान्‍न नियमित रूप से 80 करोड़ लाभार्थियों को अतिरिक्‍त दिया जाता है. प्रधानमंत्री गरीब कल्‍याण अन्‍न योजना के तहत मुफ्त अनाज की सुविधा का प्रावधान अगले पांच वर्षों के लिए बढ़ा दिया गया है, जो पहली जनवरी 2024 से प्रभावी है. यह निर्णय सरकार के दृष्टिकोण, दीर्घावधि प्रतिबद्धता को दर्शाता है. साथ ही यह राष्‍ट्रीय खाद्य और पोषण सुरक्षा को भी उजागर करता है.

कृषि यंत्रीकरण: कृषि कार्यों में यंत्रीकरण पर उप-मिशन: आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार कृषि कार्यों में यंत्रीकरण पर उप-मिशन (एसएमएएन) राज्‍य सरकारों की काफी सहायता करता है, जिससे कृषि कार्यों में यंत्रीकरण हेतु प्रशिक्षण और प्रदर्शन को प्रमुखता दी जाती है. कस्‍टम हायरिंग सेंटर (सीएचसी) की स्‍थापना करने और किसानों के लिए आवश्‍यक विभिन्‍न कृषि यंत्रों और उपकरणों के इस्‍तेमाल का तरीका समझाना इनका प्रमुख कार्य है. इस पहल के तहत 31 दिसबंर तक 26,662 सीएचसी स्‍थापित किए जा चुके थे, जिनमें से 138 सीएचसी वित्‍त वर्ष 2025 में ही स्‍थापित किए गए.

महिला स्‍वयं सहायता समूहों को ड्रोन: सरकार ने महिला स्‍वयं सहायता समूहों को ड्रोन उपलब्‍ध कराने के लिए हाल ही में एक योजना को मंजूरी दी थी. इसका लक्ष्‍य 15 हजार महिला स्‍वयं सहायता समूहों को किसानों की कृषि कार्य गतिविधियों के लिए किराये पर उपलब्‍ध कराने के उद्देश्‍य से ड्रोन प्रदान करना है. इन ड्रोन का इस्‍तेमाल कृषि कार्यों जैसे बीज डालने और कीटों से निपटने के लिए किया जाता है.

केन्‍द्र सरकार इस पहल के तहत ड्रोन की कीमत तथा अन्‍य खर्चों का 80 प्रतिशत हिस्‍सा वहन करती है और महिला स्‍वयं सहायता समूहों को 8 लाख रुपये तक की धनराशि उपलब्‍ध कराई जाती है. यह योजना स्‍वयं सहायता समूहों को सतत व्‍यापार तथा जीविका में भी मदद करेगी, जिससे इनकी अतिरिक्‍त आय में एक लाख प्रतिवर्ष की बढ़ोत्‍तरी होगी.

कृषि विपणन आधारभूत संरचना उपयोजना: आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार 31 अक्‍टूबर 2024 तक कृषि विपणन आधारभूत संरचना उपयोजना के तहत 48,611 भंडारण आधारभूत परियोजनाएं स्‍वीकृत की गई थी, जिसमें 4,795.47 करोड़ रुपये की सब्सिडी जारी की गई, इसके अलावा अन्‍य तरह की 21004 ढांचागत परियोजनाएं कृषि विपणन आधारभूत संरचना योजना के तहत मंजूर हुई थी, जिसमें 2,125.76 करोड़ रुपये की सब्सिडी का प्रावधान किया गया.

ई-नेम: आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार ई-नेम पहल प्रति कृषि उत्‍पाद विपणन समिति (एपीएमसी) मंडी को मुफ्त सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर के लिए 75 लाख रुपये की वित्‍तीय सहायता का प्रावधान करती है. योजना के तहत उपकरणों, आधारभूत ढांचे के विकास, ग्रेडिंग, शार्टिंग और पैकेजिंग के लिए धनराशि दी जाती है. 31 अक्‍टूबर 2024 तक 1.78 करोड़ किसान और 2.62 लाख ट्रेडर ई-नेम पोर्टल पर पंजीकृत हो चुके हैं. इस तारीख तक 9,204 एफपीओ पंजीकृत हुए है और 4,490 संस्‍थानों में 237 करोड़ रुपये का इक्विटी भुगतान प्राप्‍त किया.

खाद्यान भंडारण अवसंरचना: आर्थिक सर्वेक्षण मुख्‍य रूप से यह बताता है कि देश में भंडारण क्षमता को बढ़ाने, अनाज सुरक्षित रखने के लिए भंडारण ढांचों को उन्‍नत बनाने और अन्‍य सभी आवश्‍यकताओं के लिए सहायता प्रदान की जाती है. पीपीपी मॉडल के तहत स्‍टील के साइलो तैयार किए जा रहे हैं.

हब एंड स्‍पोक मॉडल साइलो: सरकार हब एंड स्‍पोक मॉडल साइलों के अंतर्गत क्षमताओं में लगातार बढ़ोत्‍तरी कर रही है. जहां पर हब साइलो के पास एक विशिष्‍ट रेलवे प्रबंधित सहायता प्राप्‍त है और कंटेनर डिपो की सहायता हब से हब तक उपलब्‍ध कराई गई है, जबकि स्‍पोक से परिवहन साइलो सुविधा प्रदान करते हैं और प्राप्‍त हुए माल को सड़क मार्ग से भेजा जाता है.

फ्लॉसपेन: मोबाइल स्‍टोरेज यूनिट: खाद्यान के भंडारण में सुधार के लिए सरकार फ्लॉसपेन: मोबाइल स्‍टोरेज यूनिट के इस्‍तेमाल पर विशेष रूप से ध्‍यान केन्द्रित कर रही है, जो पहाड़ी और दूरदराज के इलाकों के लिए काफी सहायक है. इस पहल के लिए वर्ल्‍ड फूड प्रोग्राम (डब्‍ल्‍यूएफपी) के साथ सहयोग किया जा रहा है. यह यूनिट 400 मीट्रिक टन की भंडारण क्षमताओं से लैस होती है और बहुत ही जल्‍द खाली हो सकती है. प्रायोजित परियोजना के तौर पर इस सुविधा को जम्‍मू-कश्‍मीर, हिमाचल प्रदेश, राजस्‍थान, मिजोरम, उत्‍तराखंड और छत्‍तीसगढ़ में शुरू किया गया है.

आधुनिक भंडराणगृह: सरकार खाद्यान के भंडारगृहों का आधुनिकीकरण के लिए डब्‍ल्‍यूएफपी और आईजीएमआरआई के साथ साझेदारी कर रही है. इस पहल का उद्देश्‍य प्रायोगिक तौर पर स्‍मार्ट वेयर हाउस तैयार करना है. इस तरह के आधुनिक भंडारगृह तापमान को मापने, आद्रता, हवा के बहाव, आवश्‍यक गतिविधियों और वास्‍तविक समय आधारित आंकड़े उपलब्‍ध कराने में सहायता प्रदान करते हैं, जिनसे भंडारण सुविधा में सुधार लाने तथा नुकसान कम करने में मदद मिलती है.

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