नई दिल्ली: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी 2025 को आम बजट पेश करेंगी. रेलवे के विकास के लिए कितना पैसा मिलेगा, रेलवे की उम्मीदें क्या-क्या हैं, इसकी चर्चा काफी हो रही है. भारतीय रेलवे को देश की परिवहन का रीढ़ कहा जाता है. रेलवे को इस बजट से कई महत्वपूर्ण उम्मीदें हैं. बजट पर ईटीवी भारत ने नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन रेलवेमेन के वाइस प्रेसिडेंट बीसी शर्मा से बातचीत की, जिन्होंने रेलवे के सामने आ रही चुनौतियों और आवश्यक सुधारों पर अपनी राय रखी. उन्होंने पिछले बजट से इस बार का बजट दोगुना होने की बात कही है.
रेल बजट के आम बजट में शामिल होने से परियोजनाएं अधूरी: बीसी शर्मा ने कहा कि भारतीय रेलवे एक विशाल नेटवर्क है, जो देश की एकता और अखंडता को बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता है. पहले रेलवे का अलग बजट हुआ करता था, जिससे हर क्षेत्र की जरूरतों के अनुसार योजनाएं बनाई जाती थी. लेकिन, जब से आम बजट में इसे मिला दिया गया, तब से रेलवे की प्राथमिकताओं पर असर पड़ा है. उनका कहना है कि रेलवे को आवश्यक बजट नहीं मिल पा रहा, जिससे कई परियोजनाएं अधूरी रह जाती हैं. उनपर काम नहीं हो पाता है. पिछले साल रेलवे को 2.34 लाख करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया था, लेकिन यह विभिन्न योजनाओं और इंफ्रास्ट्रक्चर सुधारों के लिए पर्याप्त नहीं था. रेलवे के 69 डिवीजन और विस्तृत नेटवर्क के लिए अधिक बजट की आवश्यकता है ताकि स्टेशनों, ट्रेनों और कर्मचारियों की सुविधाओं में सुधार किया जा सके.
कर्मचारियों की सुविधाओं व भर्ती बढ़ाने के लिए बजट में हो प्रावधानः बीसी शर्मा ने रेलवे कर्मचारियों की समस्याओं को भी प्रमुखता से उठाया. उन्होंने बताया कि करीब 13 लाख रेलवे कर्मचारियों में से केवल 50 प्रतिशत के पास सरकारी क्वार्टर हैं, और उनके रखरखाव पर भी ध्यान नहीं दिया जा रहा. श्रीनगर-जम्मू रेलवे प्रोजेक्ट जैसे नए क्षेत्रों में कर्मचारियों को किराए पर भी क्वार्टर नहीं मिलते, जिससे उन्हें काफी परेशानी होती है. इसके साथ ही बीसी शर्मा ने कहा कि रेलवे में नई भर्तियों पर लगी रोक भी चिंता का विषय है. पहले रेलवे में 18 लाख कर्मचारी कार्यरत थे, जो अब घटकर 13 लाख रह गए हैं. इससे काम के बोझ में वृद्धि हुई है और युवा बेरोजगारी की समस्या भी बढ़ रही है. उनका कहना है कि रेलवे में नई भर्तियों को बढ़ावा देने के लिए अतिरिक्त बजट का प्रावधान जरूरी है.
पेंशन व ट्रांसपोर्ट अलाउंस को टैक्स से बाहर रखा जाएः बीसी शर्मा ने 2004 के बाद भर्ती हुए कर्मचारियों की नई पेंशन योजना पर भी सवाल उठाए. पहले लिबरलाइज्ड पेंशन स्कीम के तहत रिटायरमेंट के बाद अंतिम वेतन का 50 प्रतिशत पेंशन के रूप में मिलता था, लेकिन अब यूनिफाइड पेंशन स्कीम में न्यूनतम पेंशन सुनिश्चित नहीं है, जिससे कर्मचारियों की भविष्य की आर्थिक सुरक्षा खतरे में पड़ गई है. उन्होंने मांग की कि पुरानी पेंशन योजना बहाल की जाए, जिससे कर्मचारियों को स्थिरता मिले. उन्होंने रेलवे कर्मचारियों की सैलरी पर लगने वाले इनकम टैक्स को लेकर भी सवाल उठाए गए. ट्रांसपोर्ट अलाउंस को इनकम टैक्स से मुक्त किया जाना चाहिए, ताकि कर्मचारियों को पूरा लाभ मिल सके. इसके साथ ही 8वें वेतन आयोग पर बीसी शर्मा ने का कहना है कि रेलवे का कार्य अन्य केंद्रीय विभागों से अलग और अधिक चुनौतीपूर्ण होता है. इसलिए रेलवे के वेतनमान और भत्तों को अलग से निर्धारित किया जाना चाहिए.
बुनियादी ढांचे और नई ट्रेनों के लिए अलग बजट की जरूरतः बीसी शर्मा ने रेलवे के बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए अतिरिक्त बजट की आवश्यकता को भी रेखांकित किया. उन्होंने बताया कि रेलवे नेटवर्क को अपग्रेड करने, नए ट्रैक बिछाने, सिग्नलिंग सिस्टम सुधारने और दुर्घटनाओं को रोकने के लिए समर्पित बजट होना चाहिए. देश में करीब 64 हजार किमी रेलवे ट्रैक है, जिसमें से कई ट्रैकों की मरम्मत और डबलिंग की जरूरत है. इसलिए इस कार्य के लिए विशेष बजट की आवश्यकता है. बीसी शर्मा ने सरकार से अपील की कि रेलवे को उसकी जरूरतों के अनुसार बजट दिया जाए. उन्होंने कहा कि रेलवे आपदाओं के समय भी देश की सेवा करता है. इसलिए इसे पर्याप्त फंडिंग मिलनी चाहिए. बीसी शर्मा ने सुझाव दिया कि रेलवे बजट को तैयार करने से पहले कर्मचारियों और रेलवे यूनियनों से परामर्श किया जाए, ताकि उनकी मांगों को ध्यान में रखते हुए योजनाएं बनाई जा सकें.
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