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बच्चों को बॉटल से दूध पिला रहे हैं तो जान लें इसके साइड इफेक्ट्स, इन बीमारियों को भी दे रहे न्योता - BOTTLE FEEDING CHILDREN HARMFUL

लंबे समय तक छोटे बच्चों को बॉटल से दूध पिलाना ना सिर्फ उनको कई बीमारियों से ग्रसित कर सकता बल्कि कुपोषित भी बना सकता

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बोतल से बच्चों को दूध पिलाने से बचने की सलाह (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 31, 2025, 6:55 PM IST

लखनऊ: आप अपने छोटे बच्चे को लगातार बॉटल से दूध पिला रहे तो सावधान हो जाएं. इससे बच्चे को कई तरह की बीमारियां घेर सकती हैं. पेट, फेफड़े और यूरिन का संक्रमण हो सकता है. बच्चा कुपोषण का भी शिकार हो सकता है. ये जानकारी केजीएमयू के बाल रोग विभाग की रिपोर्ट में सामने आए हैं. चार महीने में 200 बच्चे डायरिया, उल्टी, फेफड़े और यूरिन संक्रमण जैसे बीमारियों से ग्रसित पीड़ित होकर इलाज के लिए ओपीडी में पहुंचे. बॉटल से दूध पीने वाले दो वर्ष तक के 80 फीसदी बच्चे बार बार बीमार पड़ रहे. इनमें उल्टी-डायरिया और पेट की बीमारियां शामिल हैं. जबकि 20 फीसदी बच्चों को यूरिन संक्रमण हुआ. 10 प्रतिशत बच्चों को भर्ती कर इलाज मुहैया कराना पड़ा.

कमजोर हो सकते फेफड़े
केजीएमयू बाल रोग विभाग की डॉ. शालिनी त्रिपाठी ने बताया कि रबर के निप्पल से दूध पीने वाले बच्चों के फेफड़े कमजोर हो सकते हैं. जिसकी वजह से उन्हें सांस संबंधी समस्याएं भी हो सकती हैं. प्लास्टिक की बॉटल पूरी तरह से साफ नहीं हो पाती क्योंकि उसकी सफाई कठिन होती है. नतीजतन बैक्टीरिया आसानी से पनप आते हैं. जो बच्चे के शरीर में दाखिल होकर संक्रमण पैदा करते हैं. बच्चों को बॉटल के बजाए कटोरी व चम्मच से दूध पिलाएं.

घटती है रोग प्रतिरोधक क्षमता
बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. आशुतोष वर्मा ने बताया कि नवजात को छह महीने तक सिर्फ स्तनपान कराएं. बोतल का दूध पीने से बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी प्रभावित होता है. कई मामलों में मां के दूध में कमी होती है या फिर दूध नहीं बनता. ऐसे में डॉक्टर बच्चों को बोतल या बाहर का दूध पीने की सलाह देते हैं. लेकिन बच्चों को मां का दूध ही देना लाभकर होता है.

बच्चों को दूध पिलाने के दौरान बरती जाने वाली सावधानियां
- बच्चों को कप या फिर छोटी कटोरी में दूध पिलाएं.
- बॉटल को गर्म पानी में अच्छी तरह से उबालें.
- बोतल प्लास्टिक की होती है, इसलिए उसमें ज्यादा गर्म दूध डालने से बचें.
- बोतल गीली रहने पर उसमें बैक्टीरिया पनपते हैं.

लखनऊ: आप अपने छोटे बच्चे को लगातार बॉटल से दूध पिला रहे तो सावधान हो जाएं. इससे बच्चे को कई तरह की बीमारियां घेर सकती हैं. पेट, फेफड़े और यूरिन का संक्रमण हो सकता है. बच्चा कुपोषण का भी शिकार हो सकता है. ये जानकारी केजीएमयू के बाल रोग विभाग की रिपोर्ट में सामने आए हैं. चार महीने में 200 बच्चे डायरिया, उल्टी, फेफड़े और यूरिन संक्रमण जैसे बीमारियों से ग्रसित पीड़ित होकर इलाज के लिए ओपीडी में पहुंचे. बॉटल से दूध पीने वाले दो वर्ष तक के 80 फीसदी बच्चे बार बार बीमार पड़ रहे. इनमें उल्टी-डायरिया और पेट की बीमारियां शामिल हैं. जबकि 20 फीसदी बच्चों को यूरिन संक्रमण हुआ. 10 प्रतिशत बच्चों को भर्ती कर इलाज मुहैया कराना पड़ा.

कमजोर हो सकते फेफड़े
केजीएमयू बाल रोग विभाग की डॉ. शालिनी त्रिपाठी ने बताया कि रबर के निप्पल से दूध पीने वाले बच्चों के फेफड़े कमजोर हो सकते हैं. जिसकी वजह से उन्हें सांस संबंधी समस्याएं भी हो सकती हैं. प्लास्टिक की बॉटल पूरी तरह से साफ नहीं हो पाती क्योंकि उसकी सफाई कठिन होती है. नतीजतन बैक्टीरिया आसानी से पनप आते हैं. जो बच्चे के शरीर में दाखिल होकर संक्रमण पैदा करते हैं. बच्चों को बॉटल के बजाए कटोरी व चम्मच से दूध पिलाएं.

घटती है रोग प्रतिरोधक क्षमता
बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. आशुतोष वर्मा ने बताया कि नवजात को छह महीने तक सिर्फ स्तनपान कराएं. बोतल का दूध पीने से बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी प्रभावित होता है. कई मामलों में मां के दूध में कमी होती है या फिर दूध नहीं बनता. ऐसे में डॉक्टर बच्चों को बोतल या बाहर का दूध पीने की सलाह देते हैं. लेकिन बच्चों को मां का दूध ही देना लाभकर होता है.

बच्चों को दूध पिलाने के दौरान बरती जाने वाली सावधानियां
- बच्चों को कप या फिर छोटी कटोरी में दूध पिलाएं.
- बॉटल को गर्म पानी में अच्छी तरह से उबालें.
- बोतल प्लास्टिक की होती है, इसलिए उसमें ज्यादा गर्म दूध डालने से बचें.
- बोतल गीली रहने पर उसमें बैक्टीरिया पनपते हैं.

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