ETV Bharat / state

महाकुंभ भगदड़ में बिछड़ी बुजुर्ग को बेंगलुरु के तीन दोस्तों ने पहुंचाया घर; प्रयागराज से 400 किमी दूर कुशीनगर तक कार से छोड़ा - ELDERLY LOST MAHAKUMBH STAMPEDE

दो दिन बाद परिजनों को देख फूट फूट कर रोई बुजुर्ग सरपतिया, परिजनों ने युवकों को दिया दिल से धन्यवाद

ETV Bharat
बेटों से मिलकर रोती सरपति देवी (Photo Credit; ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 31, 2025, 8:23 PM IST

कुशीनगर: मौनी अमावस्या पर महाकुंभ में मची भगदड़ में पति से बिछड़ी बुजुर्ग महिला के लिए देवदूत बनकर आए बेंगलुरू के तीन दोस्त. तीनों ने ना सिर्फ रोती बिलखती महिला को खाना खिलाया बल्कि कार से उनको प्रयागराज से 400 किलोमीटर दूर उनके घर कुशीनगर ले जाकर छोड़ा. परिजनों से वापस मिलकर महिला सरपति फूट फूट कर रोने लगी. परिजनों के भी आखों से आंसू निकल आए. सभी ने तीनों दोस्तों के इस नेकी की जमकर कर सराहना की और उनको दिल से धन्यवाद दिया.

दरअसल जिले के कप्तानगंज थाना इलाके खबराभार की रहने वाली महिला सरपति मौनी अमावस्या पर संगम में स्नान करने अपने पति के साथ प्रयागराज गई थी. बुजुर्ग ने अपने आपबीती में बताया कि, भगदड़ की घटना के बाद वो काफी भयभीत हो गई थी. उस रात बहुत भीड़ थी अचानक नागाओं के आने की सूचना मिली. जिसके बाद सब इधर उधर भागने लगे.किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था. लोग धक्का देकर इधर उधर गिरा दे रहे थे. मैं अपने पति को आवाज लगाई लेकिन उनका कहीं पता नहीं चला. एक ग्रामीण दिखे लेकिन वो हमें नहीं देख पाए. किसी तरह कोने में दुबक कर अपनी जान बचाई. कई घंटों तक लोग एक दूसरे से धक्का मुक्की करते रहे. जब मामला शांत हुआ तो मेरे पास कोई नहीं था. तभी ये तीनों बाबू लोग मिले और मैं अपने घर पहुंच पाई. मुझे लगा कभी घर नहीं आ पाऊंगी.

बता दें कि जिले के खबराभार गांव के करनहा टोले से एक भाड़े की गाड़ी से सवार होकर 24 लोग प्रयागराज गए थे. उसी जत्थे में 60 वर्षीय सरपति देवी और उनके पति 65 वर्षीय सूचित सहानी भी गए थे. मौनी अमावस्या पर कुम्भ स्नान के लिए सोमवार को ही लोग निकले. मंगलवार को सभी प्रयागराज के संगम स्थल पर जाकर सो गए. आधी रात में जब भगदड़ मची तो सब इधर उधर भागने लगे. उसी दौरान दोनों दम्पत्ति एक दूसरे से बिछड़ गए. जिसके बाद सरपति देवी रोते हुए इधर उधर भटकने लगी. काफी देर भटकने के बाद जब कोई नहीं मिल पाया तो वो बेबस हो गई.

बेंगलुरू से कार से प्रयागराज महाकुंभ स्नान करने पहुंचे तीन दोस्त भूपेंद्र गौड़, मुन्ना की नजर सरपति देवी पर पड़ी. जब तीनों ने रोने का कारण पूछा तो बुजुर्ग ने बदहवास होकर परिजनों का नाम व सिर्फ जिले का नाम व टोला बताया. बताया जा रहा कि तीनों दोस्त भी कुशीनगर जिले के मूल निवासी थे इसलिए महिला को अपने साथ लेकर उसके घर सुरक्षित छोड़ने का निश्चय किया. तीनो दोस्तों ने महिला को नाश्ता पानी कराने के बाद कुशीनगर जिले के लिए निकले. इसी बीच उन्होंने महिला की तस्वीर कुशीनगर जिले के लोकल सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर शेयर किया. उसी पोस्ट के सहारे महिला के बेटों ने संपर्क किया. तीनों दोस्तों ने गुरुवार की देर रात महिला के परिजनों को बुलाकर सरपति देवी को सौंपा. परिजनों को देख सरपति देवी और बेटे फूट फूट कर रोने लगे.

कुशीनगर: मौनी अमावस्या पर महाकुंभ में मची भगदड़ में पति से बिछड़ी बुजुर्ग महिला के लिए देवदूत बनकर आए बेंगलुरू के तीन दोस्त. तीनों ने ना सिर्फ रोती बिलखती महिला को खाना खिलाया बल्कि कार से उनको प्रयागराज से 400 किलोमीटर दूर उनके घर कुशीनगर ले जाकर छोड़ा. परिजनों से वापस मिलकर महिला सरपति फूट फूट कर रोने लगी. परिजनों के भी आखों से आंसू निकल आए. सभी ने तीनों दोस्तों के इस नेकी की जमकर कर सराहना की और उनको दिल से धन्यवाद दिया.

दरअसल जिले के कप्तानगंज थाना इलाके खबराभार की रहने वाली महिला सरपति मौनी अमावस्या पर संगम में स्नान करने अपने पति के साथ प्रयागराज गई थी. बुजुर्ग ने अपने आपबीती में बताया कि, भगदड़ की घटना के बाद वो काफी भयभीत हो गई थी. उस रात बहुत भीड़ थी अचानक नागाओं के आने की सूचना मिली. जिसके बाद सब इधर उधर भागने लगे.किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था. लोग धक्का देकर इधर उधर गिरा दे रहे थे. मैं अपने पति को आवाज लगाई लेकिन उनका कहीं पता नहीं चला. एक ग्रामीण दिखे लेकिन वो हमें नहीं देख पाए. किसी तरह कोने में दुबक कर अपनी जान बचाई. कई घंटों तक लोग एक दूसरे से धक्का मुक्की करते रहे. जब मामला शांत हुआ तो मेरे पास कोई नहीं था. तभी ये तीनों बाबू लोग मिले और मैं अपने घर पहुंच पाई. मुझे लगा कभी घर नहीं आ पाऊंगी.

बता दें कि जिले के खबराभार गांव के करनहा टोले से एक भाड़े की गाड़ी से सवार होकर 24 लोग प्रयागराज गए थे. उसी जत्थे में 60 वर्षीय सरपति देवी और उनके पति 65 वर्षीय सूचित सहानी भी गए थे. मौनी अमावस्या पर कुम्भ स्नान के लिए सोमवार को ही लोग निकले. मंगलवार को सभी प्रयागराज के संगम स्थल पर जाकर सो गए. आधी रात में जब भगदड़ मची तो सब इधर उधर भागने लगे. उसी दौरान दोनों दम्पत्ति एक दूसरे से बिछड़ गए. जिसके बाद सरपति देवी रोते हुए इधर उधर भटकने लगी. काफी देर भटकने के बाद जब कोई नहीं मिल पाया तो वो बेबस हो गई.

बेंगलुरू से कार से प्रयागराज महाकुंभ स्नान करने पहुंचे तीन दोस्त भूपेंद्र गौड़, मुन्ना की नजर सरपति देवी पर पड़ी. जब तीनों ने रोने का कारण पूछा तो बुजुर्ग ने बदहवास होकर परिजनों का नाम व सिर्फ जिले का नाम व टोला बताया. बताया जा रहा कि तीनों दोस्त भी कुशीनगर जिले के मूल निवासी थे इसलिए महिला को अपने साथ लेकर उसके घर सुरक्षित छोड़ने का निश्चय किया. तीनो दोस्तों ने महिला को नाश्ता पानी कराने के बाद कुशीनगर जिले के लिए निकले. इसी बीच उन्होंने महिला की तस्वीर कुशीनगर जिले के लोकल सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर शेयर किया. उसी पोस्ट के सहारे महिला के बेटों ने संपर्क किया. तीनों दोस्तों ने गुरुवार की देर रात महिला के परिजनों को बुलाकर सरपति देवी को सौंपा. परिजनों को देख सरपति देवी और बेटे फूट फूट कर रोने लगे.


यह भी पढ़ें : महाकुंभ भगदड़ को छोटी घटना बताकर फंसे मंत्री निषाद, सफाई में बोले- अधिकारियों से मिली जानकारी पर दिया था बयान


ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.