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बीएचयू के सीर गेट को पूर्व की भांति खोलने की ग्रामीणों ने की मांग, सौंपा ज्ञापन - काशी हिंदू विश्वविद्यालय

काशी हिंदू विश्वविद्यालय के सीर गेट को पूर्व की भांति खोले जाने की ग्रामीणों ने मांग की है. उन्होंने इससे सम्बन्धित ज्ञापन भी बीएचयू प्रशासन को सौंपा है.

villagers submitted a memorandum to bhu administration
ग्रामीणों ने की बीएचयू के सीर गेट को पूर्व की भांति खोले जाने की मांग.
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Published : Sep 27, 2020, 12:10 PM IST

Updated : Sep 27, 2020, 1:59 PM IST

वाराणसी: काशी हिंदू विश्वविद्यालय के सीर गेट के द्वार को पूर्व की भांति खोलने के लिए आज ग्रामीणों ने विश्वविद्यालय प्रशासन को मुख्य आरक्षी अधिकारी को संबोधित ज्ञापन सौंपा. बीएचयू प्रशासन की तरफ से भी प्रॉक्टोरियल बोर्ड के लोग मौके पर पहुंचे और उन्होंने ज्ञापन स्वीकार किया.

यह है मामला
काशी हिंदू विश्वविद्यालय एशिया का सबसे बड़ा आवासीय विश्वविद्यालय है, जो पूरे 1,300 एकड़ में स्थापित है. ऐसे में कई गांवों को बीएचयू खुद से जोड़ता है. सीर गेट के माध्यम से केवल दो पहिया वाहन ही अंदर आ सकते हैं. ग्रामीणों की मांग है कि पहले की भांति बड़े गेट को खोला जाए, जिससे चार पहिया वाहन सहित एम्बुलेंस बीएचयू में प्रवेश कर सके. कई गांव वालों को छोटा गेट खुले रहने की वजह से एम्बुलेंस या अन्य बड़ी गाड़ियों को काफी दूर से घुमा कर लाना पड़ता है. इनमें रमना, डाफी, नैपुरा, नरोत्तमपुर, टिकारी मुंडादेव आदि गांव शामिल हैं.

स्थानीय राजेश यादव ने बताया कि इस गेट को जल्द से जल्द खोलना चाहिए, क्योंकि इससे विश्वविद्यालय में प्रवेश करने वाले छात्र, कर्मचारी और प्रोफेसर को भी दिक्कत हो रही है. उन्होंने कहा कि हम सभी के ग्राम देवता का मंदिर भी कैंपस में मौजूद है. गेट पहले सुबह 5:00 बजे से लेकर रात 10:00 बजे तक खुलता था, उसी तरह खोला जाए.

ये भी पढ़ें: वाराणसी: बीएचयू के ट्विटर अकाउंट पर मचा घमासान, छात्र परेशान

राजेश ने बताया कि दो छोटे गेट खोलने की वजह से ही पूरे क्षेत्र में जाम का माहौल उत्पन्न हो जाता है. हमने ज्ञापन देकर विश्वविद्यालय प्रशासन से जल्द से जल्द गेट खोलने का आग्रह किया है.

वाराणसी: काशी हिंदू विश्वविद्यालय के सीर गेट के द्वार को पूर्व की भांति खोलने के लिए आज ग्रामीणों ने विश्वविद्यालय प्रशासन को मुख्य आरक्षी अधिकारी को संबोधित ज्ञापन सौंपा. बीएचयू प्रशासन की तरफ से भी प्रॉक्टोरियल बोर्ड के लोग मौके पर पहुंचे और उन्होंने ज्ञापन स्वीकार किया.

यह है मामला
काशी हिंदू विश्वविद्यालय एशिया का सबसे बड़ा आवासीय विश्वविद्यालय है, जो पूरे 1,300 एकड़ में स्थापित है. ऐसे में कई गांवों को बीएचयू खुद से जोड़ता है. सीर गेट के माध्यम से केवल दो पहिया वाहन ही अंदर आ सकते हैं. ग्रामीणों की मांग है कि पहले की भांति बड़े गेट को खोला जाए, जिससे चार पहिया वाहन सहित एम्बुलेंस बीएचयू में प्रवेश कर सके. कई गांव वालों को छोटा गेट खुले रहने की वजह से एम्बुलेंस या अन्य बड़ी गाड़ियों को काफी दूर से घुमा कर लाना पड़ता है. इनमें रमना, डाफी, नैपुरा, नरोत्तमपुर, टिकारी मुंडादेव आदि गांव शामिल हैं.

स्थानीय राजेश यादव ने बताया कि इस गेट को जल्द से जल्द खोलना चाहिए, क्योंकि इससे विश्वविद्यालय में प्रवेश करने वाले छात्र, कर्मचारी और प्रोफेसर को भी दिक्कत हो रही है. उन्होंने कहा कि हम सभी के ग्राम देवता का मंदिर भी कैंपस में मौजूद है. गेट पहले सुबह 5:00 बजे से लेकर रात 10:00 बजे तक खुलता था, उसी तरह खोला जाए.

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राजेश ने बताया कि दो छोटे गेट खोलने की वजह से ही पूरे क्षेत्र में जाम का माहौल उत्पन्न हो जाता है. हमने ज्ञापन देकर विश्वविद्यालय प्रशासन से जल्द से जल्द गेट खोलने का आग्रह किया है.

Last Updated : Sep 27, 2020, 1:59 PM IST
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