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बूढ़ी मां ने भीख मांग कर जमा किए पैसे और नेपाल जेल से रिहा कराया बेटा - नेपाल जेल से युवक की रिहाई

नेपाल की एक जेल में बंद बेटे की रिहाई के लिए 70 वर्षीय मां ने चार साल तक बनारस की सड़कों पर भीख मांगी. चार साल बाद बेटे के घर लौटने पर परिवार में खुशी का माहौल है.

वृद्धा मां की आंखें हुईं नम.
वृद्धा मां की आंखें हुईं नम.
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Published : Jan 24, 2021, 8:13 PM IST

वाराणसी: चार साल से नेपाल की जेल में बंद महेंद्र वर्मा की घर वापसी से पूरे परिवार में खुशी है. ये लम्हा उस मां के लिए बेहद खास है, जिसने अपने बेटे की रिहाई के लिए चार साल तक लंबी लड़ाई लड़ी. बनारस की गलियों में बूढ़ी मां ने घर-घर भीख मांगी.

चार साल बाद घर लौटा युवक.

ट्रांसपोर्ट में काम करने वाले महेंद्र वर्मा चार साल पहले नेपाल के नवलपुर इलाके में फल लेकर जा रहे थे. रास्ते में एक एक्सीडेंट हो गया. दुर्घटना में नेपाल के युवक की मौत हो गई. युवक के मौत के बाद नेपाल पुलिस ने महेंद्र को गिरफ्तार कर लिया. महेंद्र की जमानत के लिए पुलिस ने पांच लाख रुपये मुआवजे की मांग की, लेकिन महेंद्र घर में अकेले थे. इस वजह से पैसों का इंतजाम नहीं हो सका.

समाजसेवी संस्थाओं ने किया सहयोग

महेंद्र की बूढ़ी मां ने अपने बेटे को जेल से छुड़ाने का फैसला किया. इसके लिए वह बनारस की गलियों से लेकर लखनऊ में सरकार तक से गुहार लगाने लगीं. इसके बाद जिला प्रशासन और समाजसेवी संस्थाओं के सहयोग से नेपाल सरकार को पांच लाख रुपये दे दिए गए. इसके बाद शनिवार को महेंद्र अपने घर लौट आया. इससे पूरे घर में खुशी है.

मां अमरावती ने बताया कि अपने बेटे को वापस घर लाने के लिए उन्होंने बहुत प्रयास किया है. लोगों से मदद लेकर वह नेपाल गईं. किसी बड़े नेता ने उनका सहयोग नहीं किया. उन्होंने कहा कि अपने बेटे को वापस पाकर आज वो बहुत खुश हैं.

वाराणसी: चार साल से नेपाल की जेल में बंद महेंद्र वर्मा की घर वापसी से पूरे परिवार में खुशी है. ये लम्हा उस मां के लिए बेहद खास है, जिसने अपने बेटे की रिहाई के लिए चार साल तक लंबी लड़ाई लड़ी. बनारस की गलियों में बूढ़ी मां ने घर-घर भीख मांगी.

चार साल बाद घर लौटा युवक.

ट्रांसपोर्ट में काम करने वाले महेंद्र वर्मा चार साल पहले नेपाल के नवलपुर इलाके में फल लेकर जा रहे थे. रास्ते में एक एक्सीडेंट हो गया. दुर्घटना में नेपाल के युवक की मौत हो गई. युवक के मौत के बाद नेपाल पुलिस ने महेंद्र को गिरफ्तार कर लिया. महेंद्र की जमानत के लिए पुलिस ने पांच लाख रुपये मुआवजे की मांग की, लेकिन महेंद्र घर में अकेले थे. इस वजह से पैसों का इंतजाम नहीं हो सका.

समाजसेवी संस्थाओं ने किया सहयोग

महेंद्र की बूढ़ी मां ने अपने बेटे को जेल से छुड़ाने का फैसला किया. इसके लिए वह बनारस की गलियों से लेकर लखनऊ में सरकार तक से गुहार लगाने लगीं. इसके बाद जिला प्रशासन और समाजसेवी संस्थाओं के सहयोग से नेपाल सरकार को पांच लाख रुपये दे दिए गए. इसके बाद शनिवार को महेंद्र अपने घर लौट आया. इससे पूरे घर में खुशी है.

मां अमरावती ने बताया कि अपने बेटे को वापस घर लाने के लिए उन्होंने बहुत प्रयास किया है. लोगों से मदद लेकर वह नेपाल गईं. किसी बड़े नेता ने उनका सहयोग नहीं किया. उन्होंने कहा कि अपने बेटे को वापस पाकर आज वो बहुत खुश हैं.

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