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वाराणसी के निकाय चुनाव का गणित बिगाड़ सकते हैं बागी प्रत्याशी, दांव पर इन दलों की प्रतिष्ठा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय वाराणसी में निकाय चुनाव काफी रोमांचक हो गया है. भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी के बीच सियासी जंग में बागियों की एंट्री क्या हश्र होगा यह तो 13 मई को पता चलेगा, लेकिन इसके पहले दोनों दलों के शीर्ष नेतृत्व का सिरदर्द जरूर बढ़ा हुआ है.

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Published : Apr 29, 2023, 8:29 PM IST

वाराणसी के निकाय चुनाव का गणित बिगाड़ सकते हैं बागी प्रत्याशी, दांव पर इन दलों की प्रतिष्ठा

वाराणसी : वाराणसी में निकाय चुनाव की सरगर्मी से सियासी पारा बढ़ा हुआ है. पीएम मोदी का संसदीय क्षेत्र होने के नाते यहां पर भाजपा की जीत नाक का सवाल बन गया है. वहीं दो प्रमुख दलों के बागियों के तल्ख तेवरों की वजह से नेतृत्व परेशान है. बहरहाल इस सियासी तूफान से वाराणसी का निकाय चुनाव इस बार अलग ही लेवल पर जाता दिख रहा है. चाहे भारतीय जनता पार्टी हो या समाजवादी पार्टी. इनके बागी नेताओं ने शीर्ष स्तर के नेताओं का सिर दर्द बढ़ा दिया है. बीजेपी में लगभग 8 सिटिंग पार्षद के साथ कई अन्य प्रत्याशी बागी बने हुए हैं. वहीं समाजवादी पार्टी में भी लगभग 40 ऐसे प्रत्याशी हैं जो टिकट न मिलने से नाराज हैं और निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं.

वाराणसी के निकाय चुनाव का गणित बिगाड़ सकते हैं बागी प्रत्याशी, दांव पर इन दलों की प्रतिष्ठा
वाराणसी के निकाय चुनाव का गणित बिगाड़ सकते हैं बागी प्रत्याशी, दांव पर इन दलों की प्रतिष्ठा
दरअसल इस बार के निकाय चुनाव में सभी राजनीतिक दलों की साख लगी हुई है. वजह साफ है कि सामने वर्ष 2024 का लोकसभा चुनाव है. ऐसे में सपा जहां अपनी साख बचाने में लगी है. वहीं भाजपा फिर से कुर्सी पर कब्जा जमाने की लड़ाई लड़ रही है. ऐसे में बागी प्रत्याशियों की नाराजगी चुनावी समीकरण को बिगाड़ते हुए नजर आ रहे हैं. बागी प्रत्याशियों की संख्या 1 या 2 नहीं बल्कि दर्जनों में है. समाजवादी पार्टी में जहां लगभग 40 पार्टी के कार्यकर्ता निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं बीजेपी के आठ सीटिंग पार्षद व अन्य लगभग दो दर्जन से ज्यादा प्रत्याशी निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं.
वाराणसी के निकाय चुनाव का गणित बिगाड़ सकते हैं बागी प्रत्याशी, दांव पर इन दलों की प्रतिष्ठा
वाराणसी के निकाय चुनाव का गणित बिगाड़ सकते हैं बागी प्रत्याशी, दांव पर इन दलों की प्रतिष्ठा
असल बात तो यह है कि चुनाव तो सिर पर आ गया, लेकिन जो लोग उम्मीद लगाए बैठे थे कि उन्हें टिकट मिलेगा और चुनाव की तारीख आने से पहले जद्दोजहद कर रहे थे. उन्हें मायूसी हाथ लगी है. इसी कारण वे लोग इतने नाराज हो गए कि बगावत पर उतर आए और निर्दलीय पर्चा दाखिल कर दिया. ऐसे में सपा से नाराज निर्दलीय प्रत्याशी का कहना है कि उन्होंने पांच साल मेहनत की, लेकिन टिकट किसी अन्य व्यक्ति को दिया गया. हम इस बात से पूरी तरीके से नाराज हैं. इसी नाराजगी के बाबत हम निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं हमें उम्मीद है कि हमें जनता का सपोर्ट मिलेगा.
वाराणसी के निकाय चुनाव का गणित बिगाड़ सकते हैं बागी प्रत्याशी, दांव पर इन दलों की प्रतिष्ठा
वाराणसी के निकाय चुनाव का गणित बिगाड़ सकते हैं बागी प्रत्याशी, दांव पर इन दलों की प्रतिष्ठा
अखिलेश यादव को जीत करेंगे समर्पितप्रत्याशियों का कहना है कि इस चुनाव में हम एक महीने के लिए समाजवादी पार्टी से नाता तोड़े हैं. टोपी का साथ छोड़े हैं, लेकिन इस जीत के साथ जहां हम राष्ट्रीय नेतृत्व को यह बताएंगे कि हम जनता के प्रतिनिधित्व हैं. वहीं दूसरी ओर इस जीत को अपने मुखिया अखिलेश यादव को समर्पित भी करेंगे और फिर से पार्टी में सम्मिलित हो जाएंगे. उन्होंने कहा है कि यह नाराजगी स्थानीय स्तर के नेताओं के लिए है और हम चुनाव जीत करके अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष को तोहफा देंगे.
वाराणसी के निकाय चुनाव का गणित बिगाड़ सकते हैं बागी प्रत्याशी, दांव पर इन दलों की प्रतिष्ठा
वाराणसी के निकाय चुनाव का गणित बिगाड़ सकते हैं बागी प्रत्याशी, दांव पर इन दलों की प्रतिष्ठा
डैमेज कंट्रोल की रणनीति पर चल रहा कामबागी प्रत्याशियों से चुनाव में हो रहे नुकसान के बाबत समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता वरुण सिंह ने बताया कि प्रत्याशियों का चुनाव लड़ना हमारे लिए किसी भी तरीके से नुकसानदायक नहीं है. क्योंकि पार्टी ने 90 फीसदी तक डैमेज कंट्रोल कर लिया है और हमें उम्मीद है कि हम इस बार दोगुनी जीत के साथ वापसी करेंगे. उन्होंने कहा कि हमसे ज्यादा विचलित स्थितियां भारतीय जनता पार्टी के साथ हैं. हमारे यहां तो डैमेज कंट्रोल की परिस्थिति ने काम कर दिया, लेकिन उनके यहां प्रत्याशियों की नाराजगी उन्हें निश्चित तौर पर इस चुनाव में उनको हार की ओर लेकर जाएगी.
वाराणसी के निकाय चुनाव का गणित बिगाड़ सकते हैं बागी प्रत्याशी, दांव पर इन दलों की प्रतिष्ठा
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दांव पर नीलकंठ तिवारी की साख

अगर वाराणसी के दक्षिण विधानसभा की बात करें तो यहां के निर्दलीय भाजपा के बागी प्रत्याशी पार्टी के लिए रोड़े बनते नजर आ रहे हैं. यहां भाजपा नेता और विधायक नीलकंठ तिवारी हैं. इनकी साख भी दांव पर लगी है. वजह साफ है कि इन पर भी जिम्मेदारी है कि निकाय चुनाव बिना किसी परेशानी के निपटा लिया जाए. दक्षिणी विधानसभा से करीब 10 से ज्यादा बागी निर्दलीय प्रत्याशियों के मैदान में खड़े हो गए हैं.

पुराने कार्यकर्ता टिकट न मिलने से हुए नाराज

हर विधानसभा क्षेत्र में कई बीजेपी के पुराने कार्यकर्ता थे, लेकिन उनके स्थान पर कई वार्ड से दूसरे प्रत्याशी को मैदान में उतार दिया गया है. अब वही प्रत्याशी निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर जीत का दम भरते हुए दिख रहे हैं. उदाहरण के रूप में दक्षिणी विधानसभा की बात करें तो यहां 24 वार्ड हैं. जिनमें से 10 से 12 प्रत्याशी निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं. कई तो भाजपा के पुराने कार्यकर्ता हैं. ये सभी टिकट न मिलने के भाजपा से कटे हुए नजर आ रहे हैं.

मान-मनौव्वल भी नहीं आ रहा काम

वाराणसी के हालात देखते हुए हाईकमान एक्टिव हो गया है. भारतीय जनता पार्टी की तरफ से बागियों को मनाने का प्रयास किया जा रहा है. कोशिश तो बहुत की जा रही हैं, लेकिन अभी तक किसी भी बागी प्रत्याशी को मनाने में सफलता नहीं मिल सकी है. आपको बता दें कि पार्टी ने लगभग 35 फीसदी महिलाओं को टिकट दिया है. जबकि कुछ नए चेहरों को भी इस बार मौका दिया गया है. ऐसे में अब यह चुनाव भाजपा के लिए भी नाक की लड़ाई साबित होने वाला है.

यह भी पढ़ें : सीएम केजरीवाल के आवास पर तैनात सिपाही कराना चाहता था पत्नी की हत्या, तांत्रिक ने उसी को मार डाला

वाराणसी के निकाय चुनाव का गणित बिगाड़ सकते हैं बागी प्रत्याशी, दांव पर इन दलों की प्रतिष्ठा

वाराणसी : वाराणसी में निकाय चुनाव की सरगर्मी से सियासी पारा बढ़ा हुआ है. पीएम मोदी का संसदीय क्षेत्र होने के नाते यहां पर भाजपा की जीत नाक का सवाल बन गया है. वहीं दो प्रमुख दलों के बागियों के तल्ख तेवरों की वजह से नेतृत्व परेशान है. बहरहाल इस सियासी तूफान से वाराणसी का निकाय चुनाव इस बार अलग ही लेवल पर जाता दिख रहा है. चाहे भारतीय जनता पार्टी हो या समाजवादी पार्टी. इनके बागी नेताओं ने शीर्ष स्तर के नेताओं का सिर दर्द बढ़ा दिया है. बीजेपी में लगभग 8 सिटिंग पार्षद के साथ कई अन्य प्रत्याशी बागी बने हुए हैं. वहीं समाजवादी पार्टी में भी लगभग 40 ऐसे प्रत्याशी हैं जो टिकट न मिलने से नाराज हैं और निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं.

वाराणसी के निकाय चुनाव का गणित बिगाड़ सकते हैं बागी प्रत्याशी, दांव पर इन दलों की प्रतिष्ठा
वाराणसी के निकाय चुनाव का गणित बिगाड़ सकते हैं बागी प्रत्याशी, दांव पर इन दलों की प्रतिष्ठा
दरअसल इस बार के निकाय चुनाव में सभी राजनीतिक दलों की साख लगी हुई है. वजह साफ है कि सामने वर्ष 2024 का लोकसभा चुनाव है. ऐसे में सपा जहां अपनी साख बचाने में लगी है. वहीं भाजपा फिर से कुर्सी पर कब्जा जमाने की लड़ाई लड़ रही है. ऐसे में बागी प्रत्याशियों की नाराजगी चुनावी समीकरण को बिगाड़ते हुए नजर आ रहे हैं. बागी प्रत्याशियों की संख्या 1 या 2 नहीं बल्कि दर्जनों में है. समाजवादी पार्टी में जहां लगभग 40 पार्टी के कार्यकर्ता निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं बीजेपी के आठ सीटिंग पार्षद व अन्य लगभग दो दर्जन से ज्यादा प्रत्याशी निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं.
वाराणसी के निकाय चुनाव का गणित बिगाड़ सकते हैं बागी प्रत्याशी, दांव पर इन दलों की प्रतिष्ठा
वाराणसी के निकाय चुनाव का गणित बिगाड़ सकते हैं बागी प्रत्याशी, दांव पर इन दलों की प्रतिष्ठा
असल बात तो यह है कि चुनाव तो सिर पर आ गया, लेकिन जो लोग उम्मीद लगाए बैठे थे कि उन्हें टिकट मिलेगा और चुनाव की तारीख आने से पहले जद्दोजहद कर रहे थे. उन्हें मायूसी हाथ लगी है. इसी कारण वे लोग इतने नाराज हो गए कि बगावत पर उतर आए और निर्दलीय पर्चा दाखिल कर दिया. ऐसे में सपा से नाराज निर्दलीय प्रत्याशी का कहना है कि उन्होंने पांच साल मेहनत की, लेकिन टिकट किसी अन्य व्यक्ति को दिया गया. हम इस बात से पूरी तरीके से नाराज हैं. इसी नाराजगी के बाबत हम निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं हमें उम्मीद है कि हमें जनता का सपोर्ट मिलेगा.
वाराणसी के निकाय चुनाव का गणित बिगाड़ सकते हैं बागी प्रत्याशी, दांव पर इन दलों की प्रतिष्ठा
वाराणसी के निकाय चुनाव का गणित बिगाड़ सकते हैं बागी प्रत्याशी, दांव पर इन दलों की प्रतिष्ठा
अखिलेश यादव को जीत करेंगे समर्पितप्रत्याशियों का कहना है कि इस चुनाव में हम एक महीने के लिए समाजवादी पार्टी से नाता तोड़े हैं. टोपी का साथ छोड़े हैं, लेकिन इस जीत के साथ जहां हम राष्ट्रीय नेतृत्व को यह बताएंगे कि हम जनता के प्रतिनिधित्व हैं. वहीं दूसरी ओर इस जीत को अपने मुखिया अखिलेश यादव को समर्पित भी करेंगे और फिर से पार्टी में सम्मिलित हो जाएंगे. उन्होंने कहा है कि यह नाराजगी स्थानीय स्तर के नेताओं के लिए है और हम चुनाव जीत करके अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष को तोहफा देंगे.
वाराणसी के निकाय चुनाव का गणित बिगाड़ सकते हैं बागी प्रत्याशी, दांव पर इन दलों की प्रतिष्ठा
वाराणसी के निकाय चुनाव का गणित बिगाड़ सकते हैं बागी प्रत्याशी, दांव पर इन दलों की प्रतिष्ठा
डैमेज कंट्रोल की रणनीति पर चल रहा कामबागी प्रत्याशियों से चुनाव में हो रहे नुकसान के बाबत समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता वरुण सिंह ने बताया कि प्रत्याशियों का चुनाव लड़ना हमारे लिए किसी भी तरीके से नुकसानदायक नहीं है. क्योंकि पार्टी ने 90 फीसदी तक डैमेज कंट्रोल कर लिया है और हमें उम्मीद है कि हम इस बार दोगुनी जीत के साथ वापसी करेंगे. उन्होंने कहा कि हमसे ज्यादा विचलित स्थितियां भारतीय जनता पार्टी के साथ हैं. हमारे यहां तो डैमेज कंट्रोल की परिस्थिति ने काम कर दिया, लेकिन उनके यहां प्रत्याशियों की नाराजगी उन्हें निश्चित तौर पर इस चुनाव में उनको हार की ओर लेकर जाएगी.
वाराणसी के निकाय चुनाव का गणित बिगाड़ सकते हैं बागी प्रत्याशी, दांव पर इन दलों की प्रतिष्ठा
वाराणसी के निकाय चुनाव का गणित बिगाड़ सकते हैं बागी प्रत्याशी, दांव पर इन दलों की प्रतिष्ठा


दांव पर नीलकंठ तिवारी की साख

अगर वाराणसी के दक्षिण विधानसभा की बात करें तो यहां के निर्दलीय भाजपा के बागी प्रत्याशी पार्टी के लिए रोड़े बनते नजर आ रहे हैं. यहां भाजपा नेता और विधायक नीलकंठ तिवारी हैं. इनकी साख भी दांव पर लगी है. वजह साफ है कि इन पर भी जिम्मेदारी है कि निकाय चुनाव बिना किसी परेशानी के निपटा लिया जाए. दक्षिणी विधानसभा से करीब 10 से ज्यादा बागी निर्दलीय प्रत्याशियों के मैदान में खड़े हो गए हैं.

पुराने कार्यकर्ता टिकट न मिलने से हुए नाराज

हर विधानसभा क्षेत्र में कई बीजेपी के पुराने कार्यकर्ता थे, लेकिन उनके स्थान पर कई वार्ड से दूसरे प्रत्याशी को मैदान में उतार दिया गया है. अब वही प्रत्याशी निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर जीत का दम भरते हुए दिख रहे हैं. उदाहरण के रूप में दक्षिणी विधानसभा की बात करें तो यहां 24 वार्ड हैं. जिनमें से 10 से 12 प्रत्याशी निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं. कई तो भाजपा के पुराने कार्यकर्ता हैं. ये सभी टिकट न मिलने के भाजपा से कटे हुए नजर आ रहे हैं.

मान-मनौव्वल भी नहीं आ रहा काम

वाराणसी के हालात देखते हुए हाईकमान एक्टिव हो गया है. भारतीय जनता पार्टी की तरफ से बागियों को मनाने का प्रयास किया जा रहा है. कोशिश तो बहुत की जा रही हैं, लेकिन अभी तक किसी भी बागी प्रत्याशी को मनाने में सफलता नहीं मिल सकी है. आपको बता दें कि पार्टी ने लगभग 35 फीसदी महिलाओं को टिकट दिया है. जबकि कुछ नए चेहरों को भी इस बार मौका दिया गया है. ऐसे में अब यह चुनाव भाजपा के लिए भी नाक की लड़ाई साबित होने वाला है.

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