वाराणसी : धर्म और अध्यात्म नगरी काशी को संगीत घराने के लिए भी जाना जाता है. जिले के प्रसिद्ध संकट मोचन मंदिर में होने वाला संगीत समारोह इस बार अपना शताब्दी वर्ष पूर्व कर लिया है. विश्व विख्यात संकट मोचन संगीत समारोह सात दिनों तक चलता है. इस बार ख्याती प्राप्त 108 प्रशिक्षित कलाकार 58 प्रस्तुति देंगे. संगीत शास्त्र के अनुसार जिस समय में जो राग बजाना चाहिए उसी समय पर वह राग बजाय जाता है.
संगीत समारोह में पंजाबी सूफी गायक जसबीर सिंह जस्सी ने समां बांध दिया. कोई बोले राम, 'कोका तेरा कुछ-कुछ केहदा नी, छाप तिलक सब छीनी रे तोसे नैना मिलाके, खईके पान बनारस वाला, दिल ले गई कुड़ी गुजरात दी और पंजाबी भंगड़ा सुनाकर दर्शकों को थिरकने पर मजबूर कर दिया. इसके पहले जस्सी ने गुरुनानक वाणी प्रस्तुत की. करीब डेढ़ घंटे तक पंजाबी फोक गाने के बाद दर्शक बुल्ले शाह की रचनाओं पर झूमे.
![वाराणसी में शुरू हुआ संगीत समारोह, कलाकारों ने छेड़ी रागों की तान](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/up-var-2-sankant-mochan-sangeet-vis-with-byte-up10036_10042023223512_1004f_1681146312_122.jpg)
इसी कड़ी में जयपुर से आए उस्ताद मोईनुद्दीन खान ने सारंगी पर राग बागेश्री बजाया. उनके साथ तबले पर संगत उस्ताद अकरम खान ने की. बेंगलूर के पं. नागराज हवलदार ने राग दरबारी कान्हड़ा के सुर छेड़े. इसके अलावा उन्होंने बिट्ठल गायन प्रस्तुत किया. पुणे के पं. उल्हास कसालकर ने राग भैरव पेश किया. संगीत समारोह के पहले दिन के कार्यक्रम का अंत मुंबई के पंडित पूर्वायन चटर्जी ने अलाप का प्रस्तुति दी. काशी हिंदू विश्वविद्यालय की सितार वादक ऑफिसर सुप्रिया शाह ने भी प्रस्तुति दी. संकट मोचन मंदिर के महंत प्रो विश्वम्भर नाथ मिश्र ने कहा कि संगीत समारोह ने एक सौ वर्ष की आयु पूरी कर ली है. इस ऐतिहासिक संगीत महाकुंभ में देश के साथ कई देशों से कलाकार और स्रोतागण आते हैं. इस कार्यक्रम में संगीत का बहुत महत्व है.