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स्वच्छ गंगा पर BHU के शोध ने उठाया बड़ा सवाल, आसपास रहने वालों को हो रही ये बीमारी

गंगा और प्रदूषण को लेकर आईएमएस बीएचयू के न्यूरोलॉजी विभाग ने शोध किया है.इस शोध में यह पता चला कि 57 साल से लेकर के 70 साल की उम्र तक के लोगों में भूलने की बीमारी बढ़ती जा रही है. हैरान करने वाली बात यह है कि, इसमें युवा वर्ग भी शामिल है.

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गंगा और प्रदूषण को लेकर बीएचयू के न्यूरोलॉजी विभाग ने किया शोध
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Published : Oct 10, 2022, 3:15 PM IST

वाराणसी: गंगा को स्वच्छ रखने के लिए सरकार हर संभव कदम उठाने का दावा कर रही है. दावा यह भी किया जा रहा है कि वाराणसी में गंगा में गिरने वाले 20 से ज्यादा नालों को बंद कर दिया गया है. काशी हिंदू विश्वविद्यालय के न्यूरोलॉजी विभाग के एक शोध में जो परिणाम सामने आए हैं उसे गंगा स्वच्छता के प्रयासों पर बड़ा सवाल खड़ा किया गया है. यही नहीं इस शोध में गंगा किनारे रहने वाले लोगों में बड़ी बीमारी पायी गयी है.

बता दे कि, गंगा और प्रदूषण को लेकर आईएमएस बीएचयू के न्यूरोलॉजी विभाग ने शोध किया है. इस शोध में फाफामऊ से लेकर बनारस तक के लगभग 272 मरीजों पर अध्ययन किया गया है. इसमें चौकानेवाले परिणाम सामने आए है. इस शोध में मरीजों को दो भागों में बांटा गया. पहले भाग में गंगा के 25 किलोमीटर के दायरे में आने वाले 160 लोगों को और दूसरे भाग में इसके बाहर के 112 लोगों को इस शोध का हिस्सा बनाया गया है.

न्यूरोलॉजी विभाग के प्रोफेसर बीएन मिश्रा ने दी जानकारी

गंगा प्रदूषण से बढ़ रही भूलने की बीमारी
इस शोध में यह पता चला है कि 57 से 70 साल की उम्र के लोगों में भूलने की बीमारी बढ़ती जा रही है. हैरान करने वाली बात यह है कि इसमें युवा वर्ग भी शामिल है. न्यूरोलॉजी विभाग की ओपीडी में हर दिन दो से तीन मरीज पहुंच रहे हैं. यह शोध न्यूरोलॉजी विभाग के प्रोफेसर बीएन मिश्रा के निर्देशन में चल रहा है.

इसे भी पढ़े-गंगा नदी में छोड़ी गईं 1.50 लाख भारतीय मेजर कोर्प मछलियां

बेहद घातक है ये बीमारी
इस बारे में प्रोफेसर मिश्रा बताते हैं कि इस शोध में मरीजों को दो भागों में बांटकर अलग-अलग हिस्से का शोध किया गया है. अभी तक जो अध्ययन हुआ है उसमें यह प्राप्त हुआ है कि गंगा में मिलने वाले प्रदूषण की वजह से भूलने जैसी बीमारियां फैल रही हैं. उन्होंने बताया कि फाफामऊ से लेकर बक्सर तक के पानी में धातु प्रदूषण ज्यादा सामने आया है. यहां के गंगा में मरकरी लेड, रेडियम, मैग्निशियम, जिंक शामिल है. जिस वजह से भूलने वाले मरीजों की संख्या में इजाफा देखने को मिल रहा है. उन्होंने बताया कि यह बेहद ही घातक है.

प्रोफेसर मिश्रा ने बताया कि इस शोध से यह बात स्पष्ट हुई है कि गंगा के किनारे रहने वालों में अल्जाइमर यानी कि भूलने की बीमारी का खतरा बढ़ रहा है. जिले में ऐसे सैकड़ो मरीज है. उन्होंने बताया कि हर दिन ओपीडी में लगभग 2 से 3 ऐसे मरीज आ रहे हैं, जिनमें भूलने की बीमारियां बढ़ती जा रही है. बात यदि हम भूलने की बीमारियों की करें तो वाराणसी के मंडली अस्पताल में भी अल्जाइमर से प्रभावित मरीज हर दिन पहुंच रहे हैं. ओपीडी में हर दिन लगभग 4 से 5 मरीज भूलने की बीमारी के आ रहे हैं.

यह भी पढ़े-वाराणसी में गंगा घाट होंगे प्रदूषण फ्री, डीजल बोट को CNG में किया तब्दील

वाराणसी: गंगा को स्वच्छ रखने के लिए सरकार हर संभव कदम उठाने का दावा कर रही है. दावा यह भी किया जा रहा है कि वाराणसी में गंगा में गिरने वाले 20 से ज्यादा नालों को बंद कर दिया गया है. काशी हिंदू विश्वविद्यालय के न्यूरोलॉजी विभाग के एक शोध में जो परिणाम सामने आए हैं उसे गंगा स्वच्छता के प्रयासों पर बड़ा सवाल खड़ा किया गया है. यही नहीं इस शोध में गंगा किनारे रहने वाले लोगों में बड़ी बीमारी पायी गयी है.

बता दे कि, गंगा और प्रदूषण को लेकर आईएमएस बीएचयू के न्यूरोलॉजी विभाग ने शोध किया है. इस शोध में फाफामऊ से लेकर बनारस तक के लगभग 272 मरीजों पर अध्ययन किया गया है. इसमें चौकानेवाले परिणाम सामने आए है. इस शोध में मरीजों को दो भागों में बांटा गया. पहले भाग में गंगा के 25 किलोमीटर के दायरे में आने वाले 160 लोगों को और दूसरे भाग में इसके बाहर के 112 लोगों को इस शोध का हिस्सा बनाया गया है.

न्यूरोलॉजी विभाग के प्रोफेसर बीएन मिश्रा ने दी जानकारी

गंगा प्रदूषण से बढ़ रही भूलने की बीमारी
इस शोध में यह पता चला है कि 57 से 70 साल की उम्र के लोगों में भूलने की बीमारी बढ़ती जा रही है. हैरान करने वाली बात यह है कि इसमें युवा वर्ग भी शामिल है. न्यूरोलॉजी विभाग की ओपीडी में हर दिन दो से तीन मरीज पहुंच रहे हैं. यह शोध न्यूरोलॉजी विभाग के प्रोफेसर बीएन मिश्रा के निर्देशन में चल रहा है.

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बेहद घातक है ये बीमारी
इस बारे में प्रोफेसर मिश्रा बताते हैं कि इस शोध में मरीजों को दो भागों में बांटकर अलग-अलग हिस्से का शोध किया गया है. अभी तक जो अध्ययन हुआ है उसमें यह प्राप्त हुआ है कि गंगा में मिलने वाले प्रदूषण की वजह से भूलने जैसी बीमारियां फैल रही हैं. उन्होंने बताया कि फाफामऊ से लेकर बक्सर तक के पानी में धातु प्रदूषण ज्यादा सामने आया है. यहां के गंगा में मरकरी लेड, रेडियम, मैग्निशियम, जिंक शामिल है. जिस वजह से भूलने वाले मरीजों की संख्या में इजाफा देखने को मिल रहा है. उन्होंने बताया कि यह बेहद ही घातक है.

प्रोफेसर मिश्रा ने बताया कि इस शोध से यह बात स्पष्ट हुई है कि गंगा के किनारे रहने वालों में अल्जाइमर यानी कि भूलने की बीमारी का खतरा बढ़ रहा है. जिले में ऐसे सैकड़ो मरीज है. उन्होंने बताया कि हर दिन ओपीडी में लगभग 2 से 3 ऐसे मरीज आ रहे हैं, जिनमें भूलने की बीमारियां बढ़ती जा रही है. बात यदि हम भूलने की बीमारियों की करें तो वाराणसी के मंडली अस्पताल में भी अल्जाइमर से प्रभावित मरीज हर दिन पहुंच रहे हैं. ओपीडी में हर दिन लगभग 4 से 5 मरीज भूलने की बीमारी के आ रहे हैं.

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