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काशी के प्रसिद्ध कवि पंडित हरिराम द्विवेदी का निधन, हिंदी और भोजपुरी में लिखीं रचनाएं - काशी के प्रसिद्ध कवि

Pandit Hariram Dwivedi Passes Away: पंडित हरिराम द्विवेदी हिंदी कवि और भोजपुरी के विद्वान होने के साथ ही बहुत ही सरल स्वभाव के थे. वे 87 वर्ष के थे. वाराणसी के महमूरगंज स्थित अपने आवास पर उन्होंने अंतिम सांस ली.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 8, 2024, 5:04 PM IST

वाराणसी: विद्वत जगत को सोमवार को बहुत बड़ी छाती हुई है. हिंदी और भोजपुरी के महाकवि पंडित हरिराम द्विवेदी का निधन हो गया. वाराणसी के महमूरगंज स्थित अपने आवास पर उन्होंने अंतिम सांस ली. वे 87 वर्ष के थे. पंडित हरिराम द्विवेदी काफी दिनों से बीमार चल रहे थे. वर्ष 2023 में पत्नी सत्यभामा का निधन हो गया था. तब से पंडित जी बीमार चल रहे थे. द्विवेदी का जन्म 12 मार्च 1936 को मिर्जापुर में हुआ था.

पंडित हरिराम द्विवेदी हिंदी कवि और भोजपुरी के विद्वान होने के साथ ही बहुत ही सरल स्वभाव के थे. जो कोई इनसे मिलने के लिए जाता उनसे वे बड़े ही आदर भाव से मुलाकात करते थे. ज्यादातर भोजपुरी में बात करते थे. पंडित जी को साहित्य अकादमी पुरस्कार, साहित्य भूषण समेत प्रदेश स्तर के कई सम्मान मिले थे. रचना की बात करें तो इनकी प्रमुख रचना जीवन दायनीगंगा, पानी काहे कहानी, रमता जोगी, साइ भजन वाली की रहीं. इसके साथ ही भोजपुरी साहित्य और हिंदी कवि की एक दर्जन से ज्यादा पुस्तकों में उन्होंने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया था.

पंडित हरिराम द्विवेदी के दो पुत्र हैं, अरुण कुमार द्विवेदी और प्रदीप कुमार द्विवेदी. अंतिम संस्कार मंगलवार को वाराणसी के प्रसिद्ध मणिकर्णिका घाट पर किया जाएगा. द्विवेदी जी के जाने से काशी के विद्वानों में शोक की लहर है.रामयश मिश्रा ने बताया कि काशी के लिए ही नहीं बल्कि, पूरे देश के लिए हिंदी कवि और भोजपुरी कवि के लिए बहुत बड़ी क्षती है. हम सब ने आज एक बहुत बड़े कवि को खो दिया.

ये भी पढ़ेंः बिलकीस बानो केस; कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी बोले, कोर्ट का फैसला भाजपा के गाल पर करारा तमाचा

वाराणसी: विद्वत जगत को सोमवार को बहुत बड़ी छाती हुई है. हिंदी और भोजपुरी के महाकवि पंडित हरिराम द्विवेदी का निधन हो गया. वाराणसी के महमूरगंज स्थित अपने आवास पर उन्होंने अंतिम सांस ली. वे 87 वर्ष के थे. पंडित हरिराम द्विवेदी काफी दिनों से बीमार चल रहे थे. वर्ष 2023 में पत्नी सत्यभामा का निधन हो गया था. तब से पंडित जी बीमार चल रहे थे. द्विवेदी का जन्म 12 मार्च 1936 को मिर्जापुर में हुआ था.

पंडित हरिराम द्विवेदी हिंदी कवि और भोजपुरी के विद्वान होने के साथ ही बहुत ही सरल स्वभाव के थे. जो कोई इनसे मिलने के लिए जाता उनसे वे बड़े ही आदर भाव से मुलाकात करते थे. ज्यादातर भोजपुरी में बात करते थे. पंडित जी को साहित्य अकादमी पुरस्कार, साहित्य भूषण समेत प्रदेश स्तर के कई सम्मान मिले थे. रचना की बात करें तो इनकी प्रमुख रचना जीवन दायनीगंगा, पानी काहे कहानी, रमता जोगी, साइ भजन वाली की रहीं. इसके साथ ही भोजपुरी साहित्य और हिंदी कवि की एक दर्जन से ज्यादा पुस्तकों में उन्होंने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया था.

पंडित हरिराम द्विवेदी के दो पुत्र हैं, अरुण कुमार द्विवेदी और प्रदीप कुमार द्विवेदी. अंतिम संस्कार मंगलवार को वाराणसी के प्रसिद्ध मणिकर्णिका घाट पर किया जाएगा. द्विवेदी जी के जाने से काशी के विद्वानों में शोक की लहर है.रामयश मिश्रा ने बताया कि काशी के लिए ही नहीं बल्कि, पूरे देश के लिए हिंदी कवि और भोजपुरी कवि के लिए बहुत बड़ी क्षती है. हम सब ने आज एक बहुत बड़े कवि को खो दिया.

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