वाराणसी: जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने जिले की सीमा में स्थित नदियों की समस्त जल धाराओं में मत्स्य बीज पकड़ने, मारने एवं मत्स्य शिकार पर प्रतिबंध लगाया है. जिलाधिकारी ने स्पष्ट तौर पर यह आदेश जारी किया है कि कोई भी व्यक्ति विस्फोटक पदार्थ अथवा कृषि रक्षा एवं व्यापारिक कार्य से प्रयुक्त होने वाले विषैले रसायन से न तो मछली मारेगा और न ही मारने का प्रयास करेगा.
आदेश में कही यह बात
जिलाधिकारी ने यह भी आदेश दिया है कि 01 जुलाई से 31 अगस्त तक प्रजननशील मछलियों को पकड़ना, मारना और बेचना प्रतिबंधित है. वहीं 15 जुलाई से 30 सितंबर तक नदियों से मत्स्य जीरा अथवा अंगुलिका (2 से 10 इंच) आकार की न तो पकड़ेगा और न ही नष्ट करेगा, न ही बेचेगा, जब तक कि उसके पास मत्स्य विभाग द्वारा निर्गत वैध लाइसेंस न हो. कोई भी व्यक्ति उक्त क्षेत्र के प्राकृतिक बहाव को रोकने हेतु अवरोध नहीं लगाएगा. वहीं डीएम ने कहा है कि आदेशों का पालन नहीं करने पर आरोपी को दंडित किया जाएगा.
इस एक्ट में होगी कार्रवाई
डीएम ने कहा है कि आदेशों के उल्लंघन की स्थिति में लगाए गए अवरोधक सामग्रियों, पकड़े गए मत्स्य जीरा एवं मछली सहित जब्त कर ली जाएगी. आदेश का उल्लंघन मत्स्य अधिनियम 1948 के अंतर्गत दंडनीय होगा. जिलाधिकारी ने निगरानी के लिए संबंधित जलधारा क्षेत्र के राजस्व, पुलिस एवं मत्स्य विभाग की टीम को अधिकृत किया है. इन अवधि में जो भी व्यक्ति नदियों में मत्स्य बीज एवं मछली अवैधानिक शिकारमाही/ विक्रय करते हुए पकड़ा जाएगा, उसके विरुद्ध फिशरीज एक्ट 1948 के अंतर्गत दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी.
दरअसल, जून से सितंबर के बीच मछिलयों की प्रजनन क्रिया से लेकर बच्चों को जन्म देने की प्रक्रिया चलती है. ऐसे में शिकार करने से नदियों में मछलियों के जीवन संकट में पड़ जाता है. पिछले कुछ सालों से नदियों में मछलियों की संख्या लगातार कम होती जा रही है, जिससे नदियों में प्रदूषण भी बढ़ता जा रहा है. यही वजह है कि जिलाधिकारी ने 01 जुलाई से 31 अगस्त तक मछलियों के पकड़ने पर रोक लगाई है.