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वाराणसी जिला न्यायाधीश ने हत्या के 3 दोषियों को सुनाई फांसी की सजा - वाराणसी जिला न्यायाधीश

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Published : Oct 14, 2022, 1:54 PM IST

Updated : Oct 14, 2022, 3:45 PM IST

13:42 October 14

वाराणसी जिला न्यायाधीश ने हत्या के 3 दोषियों को सुनाई फांसी की सजा

मामले की जानकारी देते हुए डीजीसी आलोक चंद्र शुक्ला

वाराणसी: बेनियाबाग स्थित कब्रिस्तान की जमीन पर हुई 4 लोगों की हत्या के मामले में अदालत ने एक महिला समेत कुल 3 दोषियों को सजा सुनाई है. इनमें तीन दोषी युवकों को फांसी की सजा और एक महिला को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. महिला पर 75 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है. जुर्माना अदा न करने पर 3 माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा. इसके अलावा इस मामले में एक आरोपी को दोषमुक्त करार दिया गया है. इसको लेकर डीजीसी क्राइम की तरफ से सजा के लिए फिर से अपील दाखिल की जाएगी.

बता दें कि बेनियाबाग कब्रिस्तान हत्याकांड में सत्र न्यायाधीश डॉ. अजय कृष्ण विशेष की अदालत में यह मामला चल रहा था. 2012 में चार लोगों की पीट-पीटकर हत्या की गई थी, जिसके बाद पूरे क्षेत्र में माहौल काफी तनावपूर्ण था. इस पर वहां कई दिनों तक पुलिस फोर्स तैनात करना पड़ा था. इस मामले में एक महिला अभियुक्त शकीला और तीन युवकों अमजद, रमजान और अरशद को दोषी करार दिया गया है. शुक्रवार को जिला जज ने इन्हें दोषी मानते हुए सजा सुनाई है. अमजद, रमजान और अरशद को फांसी और शकीला को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है. वहीं एक अन्य आरोपी इकबाल राइन को दोषमुक्त करार दिया गया है.

डीजीसी आलोक चंद्र शुक्ला और वादी पक्ष के अधिवक्ता अनिल कुमार सिंह ने इस मामले की पूरी जानकारी दी. उन्होंने बताया कि चेतगंज निवासी शहीद उर्फ काजू ने 16 जून 2012 को चौक थाने में मुकदमा दर्ज कराया था. उसने तहरीर में बताया कि वादी उसके दो भाई मोहम्मद शफीक उर्फ राजू और मोहम्मद रफीक उर्फ जाऊ, भतीजे चांद रहीमी और शालू के साथ बाबा रहीम शाह की मजार से निकलकर घर की तरफ जा रहे थे. उसी दौरान अमजद इकबाल राइन, अरशद रमजान और अमजद की पत्नी शकीला और उसकी बेटी शबनम ने मिलकर कब्रिस्तान के पास उन्हें घेर लिया. इसके बाद उन्होंने लाठी-डंडो से हमला कर दिया, जिसमें वह लहूलुहान होकर गिर पड़े.

शोर सुनकर मजार की साफ-सफाई करने वाले कामिल और उनका भतीजा बीच बचाव के लिए पहुंचे तो हमलावरों ने उनकी भी जमकर पिटाई की. पिटाई की वजह से मौके पर ही वादी के भाई सफीक उर्फ राजू और कामिल की मौत हो गई. अन्य घायलों को वादी समेत मोहल्ले वालों ने अस्पताल पहुंचाया, जहां पर एक और भाई शकील उर्फ जाऊ की भी मौत हो गई. घटना में गंभीर रूप से घायल भतीजे चांद रहीमी का भी कुछ दिन बाद उपचार के दौरान मौत हो गई. अदालत ने विचारों के बाद 13 गवाहों को परीक्षित करते हुए साक्ष्यों के अवलोकन के बाद अभियुक्त शकीला, अमजद, रमजान और अरशद को दोषी करार दिया. इस पर अदालत ने महिला शकीला को आजीवन कारावास और बाकी तीन को फांसी की सजा सुनाई है.

यह भी पढ़ें- अधिवक्ता नबी अहमद हत्याकांड में दारोगा को आजीवन कारावास

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वाराणसी जिला न्यायाधीश ने हत्या के 3 दोषियों को सुनाई फांसी की सजा

मामले की जानकारी देते हुए डीजीसी आलोक चंद्र शुक्ला

वाराणसी: बेनियाबाग स्थित कब्रिस्तान की जमीन पर हुई 4 लोगों की हत्या के मामले में अदालत ने एक महिला समेत कुल 3 दोषियों को सजा सुनाई है. इनमें तीन दोषी युवकों को फांसी की सजा और एक महिला को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. महिला पर 75 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है. जुर्माना अदा न करने पर 3 माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा. इसके अलावा इस मामले में एक आरोपी को दोषमुक्त करार दिया गया है. इसको लेकर डीजीसी क्राइम की तरफ से सजा के लिए फिर से अपील दाखिल की जाएगी.

बता दें कि बेनियाबाग कब्रिस्तान हत्याकांड में सत्र न्यायाधीश डॉ. अजय कृष्ण विशेष की अदालत में यह मामला चल रहा था. 2012 में चार लोगों की पीट-पीटकर हत्या की गई थी, जिसके बाद पूरे क्षेत्र में माहौल काफी तनावपूर्ण था. इस पर वहां कई दिनों तक पुलिस फोर्स तैनात करना पड़ा था. इस मामले में एक महिला अभियुक्त शकीला और तीन युवकों अमजद, रमजान और अरशद को दोषी करार दिया गया है. शुक्रवार को जिला जज ने इन्हें दोषी मानते हुए सजा सुनाई है. अमजद, रमजान और अरशद को फांसी और शकीला को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है. वहीं एक अन्य आरोपी इकबाल राइन को दोषमुक्त करार दिया गया है.

डीजीसी आलोक चंद्र शुक्ला और वादी पक्ष के अधिवक्ता अनिल कुमार सिंह ने इस मामले की पूरी जानकारी दी. उन्होंने बताया कि चेतगंज निवासी शहीद उर्फ काजू ने 16 जून 2012 को चौक थाने में मुकदमा दर्ज कराया था. उसने तहरीर में बताया कि वादी उसके दो भाई मोहम्मद शफीक उर्फ राजू और मोहम्मद रफीक उर्फ जाऊ, भतीजे चांद रहीमी और शालू के साथ बाबा रहीम शाह की मजार से निकलकर घर की तरफ जा रहे थे. उसी दौरान अमजद इकबाल राइन, अरशद रमजान और अमजद की पत्नी शकीला और उसकी बेटी शबनम ने मिलकर कब्रिस्तान के पास उन्हें घेर लिया. इसके बाद उन्होंने लाठी-डंडो से हमला कर दिया, जिसमें वह लहूलुहान होकर गिर पड़े.

शोर सुनकर मजार की साफ-सफाई करने वाले कामिल और उनका भतीजा बीच बचाव के लिए पहुंचे तो हमलावरों ने उनकी भी जमकर पिटाई की. पिटाई की वजह से मौके पर ही वादी के भाई सफीक उर्फ राजू और कामिल की मौत हो गई. अन्य घायलों को वादी समेत मोहल्ले वालों ने अस्पताल पहुंचाया, जहां पर एक और भाई शकील उर्फ जाऊ की भी मौत हो गई. घटना में गंभीर रूप से घायल भतीजे चांद रहीमी का भी कुछ दिन बाद उपचार के दौरान मौत हो गई. अदालत ने विचारों के बाद 13 गवाहों को परीक्षित करते हुए साक्ष्यों के अवलोकन के बाद अभियुक्त शकीला, अमजद, रमजान और अरशद को दोषी करार दिया. इस पर अदालत ने महिला शकीला को आजीवन कारावास और बाकी तीन को फांसी की सजा सुनाई है.

यह भी पढ़ें- अधिवक्ता नबी अहमद हत्याकांड में दारोगा को आजीवन कारावास

Last Updated : Oct 14, 2022, 3:45 PM IST
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