वाराणसी: यात्रीगण कृपया ध्यान दें! बदलने जा रही है वाराणसी के कैंट रेलवे स्टेशन की तस्वीर! जी हां, लगभग 30 साल बाद बनारस कैंट रेलवे स्टेशन नए कलेवर में नजर आएगा. यह स्टेशन यात्रियों के लिए आधुनिक सुविधाओं से लैस होगा. कैंट रेलवे स्टेशन पर यार्ड रिमॉडलिंग का काम चल रहा है. 568 करोड़ रुपये का यह प्रोजेक्ट है, जिसमें 150 परियोजनाएं हैं. इन परियोजनाओं के तहत बनारस के कैंट रेलवे स्टेशन की तस्वीर को बदला जाएगा. 45 दिन बाद वाराणसी कैंट रेलवे स्टेशन की एक नई तस्वीर सामने आएगी.
यात्रियों को नई सुविधा मिलेगीः बता दें कि वाराणसी कैंट पर यार्ड रि-मॉडलिंग की परियोजना को धरातल पर उतारने के लिए रेलवे विभाग लगातार काम कर रहा है. इसके तहत आगामी 45 दिनों में एक मेगा ब्लॉक लिया जाएगा. इसके तहत कुछ ट्रेनों को रद्द किया जाएगा, और कुछ को डायवर्ट किया जाएगा. इसके साथ ही कुछ ट्रेनों के स्टेशनों के ओरिजन प्वाइंट्स को बदला भी जाएगा. रेलवे के डीआरएम का कहना है कि यात्रियों को नई सुविधा देने के लिए काम किया जा रहा है. साल 1994 के बाद कैंट स्टेशन के स्वरूप को बदलने की तैयारी चल रही है.
स्टेशन पर बढ़ाई जाएंगी वाशिंग लाइन्स: डीआरएम लालजी चौधरी ने बताया कि वाशिंग लाइनें दो वंदे भारत के लिए बनाई जा रही हैं. ये कवर्ज शेड होंगे. इसके साथ ही फुल लेंथ वाशिंग लाइन हमारे पास अभी 2 हैं. ये बढ़कर 8 हो जाएंगी. स्टेबलिन लाइन 3 से बढ़कर 8 हो जाएंगी. इसके साथ ही हम ट्रैफिक सिपरेशन भी करेंगे. प्लटफॉर्म नंबर 2 और 3 का हम वाइडनिंग करेंगे. वहां पर एक्सलेरेटर वगैरह लगाए जाएंगे. इस प्रोजेक्ट काफी दिनों से इंतजार था. इससे हमे काफी फायदा मिलने वाला है. ये प्रक्रिया एक बार पूरी होने पर 20 से 25 साल तक ये व्यवस्था चलती रहेगी. आगे और भी चीजें हम जोड़ते जाएंगे.
साल 1994 में हुआ था विस्तारीकरण का काम: रेलवे के डीआरएम लालजी चौधरी ने बताया कि इस प्रोजेक्ट से एक फायदा यह भी होगा कि हमारे यार्ड की क्षमता बढ़ जाएगी, जिससे हम और भी ट्रेनें चला सकते हैं. वाराणसी स्टेशन पर विस्तारीकरण का काम लगभग 30 साल पहले 1994 में हुए था. अब उसे रिप्लेस किया जा रहा है. अब यह नया सिस्टम है. यह स्टेट ऑफ आर्ट टेक्नोलॉजी है. विश्व की सबसे लेटेस्ट टेक्नोलॉजी में यह आता है. रेलवे अधिकारियों ने बताया कि इन 45 दिनों तक 39 जोड़ी ट्रेनें निरस्त कर दी जाएंगी. इसके साथ ही 14 दूसरे स्टेशनों से चलाई जाएंगी. प्लेटफॉर्म न खाली होने के कारण औसतन 21 ट्रेनों रोजाना लेट हो जाती हैं.
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