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यूपी के किसानों को लगे पंख, फल और सब्जियों के निर्यात से बढ़ी आमदनी

वाराणसी के किसान कृषि क्षेत्र में उदाहरण बन रहे हैं. प्रदेश के किसान 18 हजार करोड़ की फल और सब्जियों का विदेशों में निर्यात कर चुके है. 6 महीने के अंदर ही लगभग 500 मीट्रिक टन से ऊपर का निर्यात केवल वाराणसी एयपोर्ट से हो चुका है.

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Published : Apr 6, 2023, 6:41 PM IST

18 हजार करोड़ का विदेशों में हुआ निर्यात

वाराणसी: बीते कुछ साल पहले पूर्वांचल के किसानों की तस्वीर बदतर थी. जहां किसान औने-पौने दाम पर अपनी सब्जियों को बेचा करते थे. कई बार उन्हें अच्छे बाजार न मिलने की वजह से फल सब्जियों को जानवरों तक को खिलाना पड़ जाता था. वहीं अब किसानों की तस्वीर बदल रही है. उनकी आय में एक बड़ा बदलाव देखने को मिला है. पूर्वांचल के किसानों की स्थिति आज देश के सामने एक नजीर के रूप में पेश की जा सकती है. आज पूर्वांचल के किसान अपने उत्पादों से अच्छा खासा पैसा कमा ले रहे हैं और उनके उत्पाद विदेशों में भी सप्लाई की जा रही है.

18 लाख मीट्रिक टन फल व सब्जियां निर्यात: कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (APEADA) के अधिकारी डाक्टर एसबी सिंह ने बताया कि 1 साल में लगभग साढ़े 18 लाख मीट्रिक टन फल व सब्जियों का निर्यात विदेश में किया गया है. इसकी कीमत लगभग साढ़े 18 हजार करोड़ है. इस निर्यात को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि सरकार के साथ किसानों की मेहनत से आज पूर्वांचल उत्तर प्रदेश में विदेशों में फल व सब्जियों को भेजने का एक बड़ा जरिया बन गया है. इतना ही नहीं केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार का यह प्रयास किसानों की अर्थव्यवस्था को भी बेहतर बना रहा है.

6 महीने में 500 मीट्रिक टन से अधिक का निर्यात: उन्होंने बताया कि जब यहां से निर्यात की शुरुआत हुई थी तो यहां पर संसाधन न के बराबर थे. बीते 6 महीने के अंदर ही लगभग 500 मीट्रिक टन से ऊपर का निर्यात केवल वाराणसी एयपोर्ट से हो चुका है. हाउस के निर्माण के बाद यह निर्यात की मात्रा दोगुना हो जाएगी. वहीं, दूसरी ओर नेपाल और बांग्लादेश में 20 हजार मीट्रिक टन से ऊपर का निर्यात कर रहे हैं. आने वाले समय में और भी ज्यादा लाभ मिलेगा.

विदेश में इन सब्जियों की काफी डिमांड: एपीडा अधिकारी कि आज के समय में भिंडी, करैला, मिर्च और मटर का काफी अच्छी मात्रा में उत्पादन होता है. इसके साथ ही कुदरू, लौकी, सूरन की अधिक डिमांड है. उन्होंने बताया कि नींबू का भी निर्यात यहां से काफी अच्छा हो रहा है. ऐसा कह सकते हैं कि वो सभी सब्जियां जो गंगा के तराई क्षेत्र में होती हैं, उससे किसान अच्छा लाभ उठा रहे हैं.

यूपी से इन आमों की भी है काफी डिमांड: एपीडा अधिकारी सिंह ने बताया कि फलों का भी निर्यात उतनी ही अच्छी मात्रा में हो रहा है. वाराणसी से आम का अच्छा निर्यात हो रहा है. लंगड़ा, चौसा, दशहरी ये खासकर आम की तीन प्रमुख प्रजातियां हैं, जिनका निर्यात काफी अच्छा हुआ है. कच्चा पपीता का भी अच्छा निर्यात हुआ है.

किसानों की आय में हुई वृद्धि: बदलाव का आलम ये है कि बीते 1 साल में पूर्वांचल से लगभग 20,000 मैट्रिक टन फल व सब्जी का निर्यात विदेशों में किया गया है. बताते चलें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों के लिए वाराणसी से एपिडा के जरिए उनके सब्जियों व फलों के निर्यात की व्यवस्था को सुदृढ़ किया, जिसके बाद यहां की सब्जियां, यहां के फल विदेशों में निर्यात होने लगे. जिसका परिणाम है कि यहां के किसानों की आय में भी वृद्धि हो गई है.

यह भी पढ़ें: वाराणसी में रोपवे प्रोजेक्ट ने पकड़ी रफ्तार, शुरू हुई जमीन की रजिस्ट्री

18 हजार करोड़ का विदेशों में हुआ निर्यात

वाराणसी: बीते कुछ साल पहले पूर्वांचल के किसानों की तस्वीर बदतर थी. जहां किसान औने-पौने दाम पर अपनी सब्जियों को बेचा करते थे. कई बार उन्हें अच्छे बाजार न मिलने की वजह से फल सब्जियों को जानवरों तक को खिलाना पड़ जाता था. वहीं अब किसानों की तस्वीर बदल रही है. उनकी आय में एक बड़ा बदलाव देखने को मिला है. पूर्वांचल के किसानों की स्थिति आज देश के सामने एक नजीर के रूप में पेश की जा सकती है. आज पूर्वांचल के किसान अपने उत्पादों से अच्छा खासा पैसा कमा ले रहे हैं और उनके उत्पाद विदेशों में भी सप्लाई की जा रही है.

18 लाख मीट्रिक टन फल व सब्जियां निर्यात: कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (APEADA) के अधिकारी डाक्टर एसबी सिंह ने बताया कि 1 साल में लगभग साढ़े 18 लाख मीट्रिक टन फल व सब्जियों का निर्यात विदेश में किया गया है. इसकी कीमत लगभग साढ़े 18 हजार करोड़ है. इस निर्यात को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि सरकार के साथ किसानों की मेहनत से आज पूर्वांचल उत्तर प्रदेश में विदेशों में फल व सब्जियों को भेजने का एक बड़ा जरिया बन गया है. इतना ही नहीं केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार का यह प्रयास किसानों की अर्थव्यवस्था को भी बेहतर बना रहा है.

6 महीने में 500 मीट्रिक टन से अधिक का निर्यात: उन्होंने बताया कि जब यहां से निर्यात की शुरुआत हुई थी तो यहां पर संसाधन न के बराबर थे. बीते 6 महीने के अंदर ही लगभग 500 मीट्रिक टन से ऊपर का निर्यात केवल वाराणसी एयपोर्ट से हो चुका है. हाउस के निर्माण के बाद यह निर्यात की मात्रा दोगुना हो जाएगी. वहीं, दूसरी ओर नेपाल और बांग्लादेश में 20 हजार मीट्रिक टन से ऊपर का निर्यात कर रहे हैं. आने वाले समय में और भी ज्यादा लाभ मिलेगा.

विदेश में इन सब्जियों की काफी डिमांड: एपीडा अधिकारी कि आज के समय में भिंडी, करैला, मिर्च और मटर का काफी अच्छी मात्रा में उत्पादन होता है. इसके साथ ही कुदरू, लौकी, सूरन की अधिक डिमांड है. उन्होंने बताया कि नींबू का भी निर्यात यहां से काफी अच्छा हो रहा है. ऐसा कह सकते हैं कि वो सभी सब्जियां जो गंगा के तराई क्षेत्र में होती हैं, उससे किसान अच्छा लाभ उठा रहे हैं.

यूपी से इन आमों की भी है काफी डिमांड: एपीडा अधिकारी सिंह ने बताया कि फलों का भी निर्यात उतनी ही अच्छी मात्रा में हो रहा है. वाराणसी से आम का अच्छा निर्यात हो रहा है. लंगड़ा, चौसा, दशहरी ये खासकर आम की तीन प्रमुख प्रजातियां हैं, जिनका निर्यात काफी अच्छा हुआ है. कच्चा पपीता का भी अच्छा निर्यात हुआ है.

किसानों की आय में हुई वृद्धि: बदलाव का आलम ये है कि बीते 1 साल में पूर्वांचल से लगभग 20,000 मैट्रिक टन फल व सब्जी का निर्यात विदेशों में किया गया है. बताते चलें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसानों के लिए वाराणसी से एपिडा के जरिए उनके सब्जियों व फलों के निर्यात की व्यवस्था को सुदृढ़ किया, जिसके बाद यहां की सब्जियां, यहां के फल विदेशों में निर्यात होने लगे. जिसका परिणाम है कि यहां के किसानों की आय में भी वृद्धि हो गई है.

यह भी पढ़ें: वाराणसी में रोपवे प्रोजेक्ट ने पकड़ी रफ्तार, शुरू हुई जमीन की रजिस्ट्री

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