वाराणसी: धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी जहां पर कण-कण शिव है और यहां पर एक ऐसा बैंक भी है जो शिव में समाया हुआ है. आप यह सोच रहे होंगे कि बैंक और शिव में समाया हुआ, यह कैसे संभव है, क्योंकि बैंक में तो लक्ष्मी की कृपा बरसती है. रुपयों का लेनदेन होता है ऋण देने और ब्याज लेने का काम होता है.
काशी का यह बैंक इसीलिए अनूठा है. क्योंकि यहां पर पैसों का लेन-देन या ऋण- ब्याज का लेन देन नहीं होता, बल्कि यहां पर आस्था विश्वास और भरोसे का लेनदेन होता है. इस बैंक को ऊं नमः शिवाय बैंक के नाम से जाना जाता है. जहां पर भगवान शिव का नाम जमा होता है और बदले में मिलता है आशीर्वाद और मनचाहा फल.
बाबा विश्वनाथ की नगरी वाराणसी की विश्वनाथ गली में एक ऐसा बैंक है, जहां पैसे की जगह आस्था और श्रद्धा भगवान शिव के पञ्चाक्षरी मन्त्र ऊं नमः शिवाय लिखकर कॉपी जमा होती है. इस बैंक में एक जन्म की जमा पूंजी को दूसरे जन्म में सूद सहित प्राप्त होने की बात कही जाती है. भक्त यहां आते हैं अपना खाता खुलवाते है और बदले में उन्हें एक बुकलेट मिलती है, जिसमें ऊं नमः शिवाय लिखकर यहां फिर से जमा करते हैं. वहीं बैंक की प्रक्रिया पूरी तरह से निःशुल्क होती है. ऐसे करने से खाताधारकों को न सिर्फ शान्ति का अनुभव होता है बल्कि पुण्य भी मिलता है.
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इस बैंक की स्थापना 20 जून 2002 में हुई थी और तब से लेकर आज तक रोजाना यह बैंक सुबह दस बजे से शाम पांच बजे तक खुलता है. सुबह की शुरुआत भगवान शिव की पूजा के साथ होती है और पूरे दिन यहां आस्था को जमा करने वालों का जमावड़ा होता है. साथ ही अठारह सालों के सफर में आज इस बैंक में 136 करोड़ से भी ज्यादा ऊं नमः शिवाय लिखे पत्रों को जमा किया जा चुका है. इन जमा पत्रों को इस बैंक में बड़े ही जतन से सहेजकर रखा जाता है.
मान्यता है कि इससे भक्तों पर बाबा विश्वनाथ की विशेष कृपा बरसती है. भक्त इस बैंक में आते है, अपना खाता खुलवाते है और यह से मिली बुकलेट में ऊं नमः शिवाय लिखकर भोलेनाथ का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं.