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काशी में भक्तों को अपनी और आकर्षित करेंगी मां की अनोखी प्रतिमा - वाराणसी में अनोखी है दुर्गा मां की प्रतिमा

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में नवरात्र शुरू होने पर सभी भक्त दुर्गा मां की प्रतिमाओं की पंडालों में स्थापना में हैं. ऐसे में बनारस में एक अनोखी मूर्ति बनाई जा रही है. यह मूर्ति लाल और सफेद बालू से तैयार की जा रही है.

वाराणसी में दुर्गा मां की तैयार हो रही अनोखी प्रतिमा
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Published : Oct 1, 2019, 10:41 AM IST

वाराणसी: शिव की नगरी काशी में भी शक्ति की पूजा श्रद्धा और भक्ति के साथ की जाती है. ऐसे में नवरात्र शुरू होने के साथ ही षष्ठी की देर रात मां की प्रतिमाओं की पंडालों में स्थापना की जाती है. सप्तमी के दिन पूरे विधि विधान से पूजा पाठ शुरू हो जाएगा.

वाराणसी में दुर्गा मां की तैयार हो रही अनोखी प्रतिमा
  • शारदीय नवरात्र पूजन अनुष्ठान ही नहीं वरन संपूर्ण उत्सव विधान है.
  • बनारस में लगभग 300 पंडालों में मां की प्रतिमा स्थापित कर पूजन पाठ किया जाता है.
  • बनारस में मूर्तिकार ने ऐसी मूर्ति बनाई है जो अपने आप में अनोखी है.
  • मूर्ति की खास बात यह है कि यह मूर्ति मिट्टी की नहीं बल्कि लाल और सफेद बालू की है.
  • यह मूर्ति इसलिए खास है क्योंकि मूर्ति का श्रृंगार भी गिट्टी से किया गया है.
  • मां के हार, नथिया, बिछिया सारे गिट्टी से बनाए गए हैं.
  • इस मूर्ति को बनाने में काफी दिक्कतें आई क्योंकि बालू जल्दी सूख कर गिर जाता था और बार-बार उसे फिर से उसी स्थान पर लगाना पड़ता है.

यह मूर्ति बेहद खास है मां की प्रतिमा लाल,सफेद बालू और गिट्टी से बनाया गई है. इस मूर्ति को बनाने में लगभग 3 महीने का वक्त लगा है. इसके साथ ही जो गणेश, कार्तिकेय, सरस्वती, लक्ष्मी, शेर यह सब प्रतिमा बालू का बना हुआ है. माता का शृंगार पूरी तरह बालू में पाए जाने वाले छोटी-छोटी गिट्टीओं से हुआ है. मां की प्रतिमा लोगों को अपनी ओर आकर्षित करेगी और बनारस में इकलौती मूर्ति बनी है.
शीतल चौरसिया, मूर्तिकार

वाराणसी: शिव की नगरी काशी में भी शक्ति की पूजा श्रद्धा और भक्ति के साथ की जाती है. ऐसे में नवरात्र शुरू होने के साथ ही षष्ठी की देर रात मां की प्रतिमाओं की पंडालों में स्थापना की जाती है. सप्तमी के दिन पूरे विधि विधान से पूजा पाठ शुरू हो जाएगा.

वाराणसी में दुर्गा मां की तैयार हो रही अनोखी प्रतिमा
  • शारदीय नवरात्र पूजन अनुष्ठान ही नहीं वरन संपूर्ण उत्सव विधान है.
  • बनारस में लगभग 300 पंडालों में मां की प्रतिमा स्थापित कर पूजन पाठ किया जाता है.
  • बनारस में मूर्तिकार ने ऐसी मूर्ति बनाई है जो अपने आप में अनोखी है.
  • मूर्ति की खास बात यह है कि यह मूर्ति मिट्टी की नहीं बल्कि लाल और सफेद बालू की है.
  • यह मूर्ति इसलिए खास है क्योंकि मूर्ति का श्रृंगार भी गिट्टी से किया गया है.
  • मां के हार, नथिया, बिछिया सारे गिट्टी से बनाए गए हैं.
  • इस मूर्ति को बनाने में काफी दिक्कतें आई क्योंकि बालू जल्दी सूख कर गिर जाता था और बार-बार उसे फिर से उसी स्थान पर लगाना पड़ता है.

यह मूर्ति बेहद खास है मां की प्रतिमा लाल,सफेद बालू और गिट्टी से बनाया गई है. इस मूर्ति को बनाने में लगभग 3 महीने का वक्त लगा है. इसके साथ ही जो गणेश, कार्तिकेय, सरस्वती, लक्ष्मी, शेर यह सब प्रतिमा बालू का बना हुआ है. माता का शृंगार पूरी तरह बालू में पाए जाने वाले छोटी-छोटी गिट्टीओं से हुआ है. मां की प्रतिमा लोगों को अपनी ओर आकर्षित करेगी और बनारस में इकलौती मूर्ति बनी है.
शीतल चौरसिया, मूर्तिकार

Intro:शिव की नगरी में शक्ति की पूजा उतनी श्रद्धा और भक्ति से की जाती है ऐसे में नवरात्र शुरू होने के साथ ही षष्टि की देर रात मां की प्रतिमाओं को पंडालों में स्थापना कर सप्तमी के दिन पूरे विधि विधान से पूजा पाठ के शुरू हो जाएगा।




Body:हम आपको बताते चले शारदीय नवरात्र पूजन अनुष्ठान ही नहीं वरन संपूर्ण उत्सव विधान है भगवती की बेटी की तरह अगवानी तो वैसे ही विदाई भी किया जाता है। बनारस में लगभग 300 पंडालों में मां की प्रतिमा स्थापित कर पूजन पाठ किया जाता है।

ऐसे में बनारस में मूर्तिकार ने ऐसी मूर्ति बनाई है। जो अपने आप में अनोखी है। मूर्ति की खास बात यह है कि हम मूर्ति मिट्टी कि नहीं बल्कि लाल और सफेद बालू की है। यह मूर्ति इसलिए खास है क्योंकि मूर्ति का सिंगार भी गिट्टी से किया गया है। मां के हार नथिया बिछिया या सारे गिट्टी से बनाए गए यह मूर्ति बेहद खास है यह लोगों को अपनी ओर आकर्षित करेगी। मूर्तिकार की माने तो इस मूर्ति को बनाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा क्योंकि बालू जल्दी सूख कर गिर जाते थे और बार-बार उसे फिर से उसी स्थान पर लगाना पड़ता है।


Conclusion:शीतल चौरसिया ने बताया यह मूर्ति बेहद खास है मां की प्रतिमा लाल,सफेद बालू और गिट्टी से बनाया गया है। इस मूर्ति को बनाने में लगभग 3 महीने का वक्त लगा है खास बात यह है कि वह मूर्ति पूरी तरह लाल बालू सफेद बालू और गिट्टी की है इसके साथ ही जो गणेश कार्तिकेय सरस्वती लक्ष्मी शेर यह सब प्रतिमा बालू का बना हुआ है और माता का शृंगार पूरी तरह बालू में पाए जाने वाले छोटी-छोटी गिट्टीओं से हुआ है। मां की प्रतिमा लोगों को अपनी ओर आकर्षित करेगी और बनारस में इकलौती मूर्ति बनी है।

बाईट :--शीतल चौरसिया, मूर्तिकार


अशुतोष उपाध्याय

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