वाराणसी: कहते हैं ऊपर वाले की नजर से बच पाना मुश्किल है, क्योंकि ऊपर वाला सब देख रहा है. जी हां, कुछ ऐसा ही हाल अब सीसीटीवी कैमरों (cctv cameras) को लेकर भी हो गया है. शहर के अलग-अलग हिस्से से लेकर अपने घर और प्रतिष्ठानों के बाहर सीसीटीवी कैमरे लगाने की वजह से लोग सुरक्षा का घेरा बनाकर अपने आप को सुरक्षित महसूस करते हैं, लेकिन अब मेट्रो सिटीज (metro cities) के साथ स्मार्ट हो रहे शहरों में भी सीसीटीवी कैमरों का जाल बिछाया जाने लगा है. बनारस में तो स्मार्ट सिटी योजना (smart city plan) के तहत 720 स्थानों पर 2200 सौ से ज्यादा हाई डेफिनेशन के सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि इन कैमरों के जरिए जहां ट्रैफिक कंट्रोल (traffic control) करने के साथ चालान की कार्रवाई की जा रही है, तो वहीं यह तीसरी आंख आम पब्लिक के लिए बड़ी कारगर साबित हो रही है. खासतौर पर ऐसे लोगों के लिए जिनका कोई सामान खो जा रहा है या किसी पब्लिक ट्रांसपोर्ट में छूट जा रहा है, वो उन्हें आसानी से वापस मिल रहा है.
झांसी से आशीष सिंह और चंदौली से आए डॉ संतन सिंह के परिवार के लोगों के लिए बनारस में स्मार्ट सिटी कंट्रोल रूम (smart city control room) किसी वरदान से कम साबित नहीं हुआ. दरअसल, झांसी से आशीष सिंह वाराणसी अपनी पत्नी के साथ घूमने आए थे. फिर वापस जाने के लिए वह होटल से निकल कर ट्रेन पकड़ने जा रहे थे. इस दौरान कैंट स्टेशन पर जब उतरे तो पत्नी का पैसे और गहनों से भरा बैग ऑटो में छूट गया. उस समय तो उन्हें समझ में ही नहीं आया कि करें क्या. लेकिन बाद में जब स्मार्ट सिटी कंट्रोल रूम की सूचना मिली तो उन्होंने ऑटो के नंबर के जरिए उसकी लोकेशन ट्रेस की और उनको उनका बैग सुरक्षित वापस मिल गया. ऐसा ही डॉ संतन के साथ हुआ उनके बच्चे का टेबलेट ऑटो में छूट गया था. टेबलेट महंगा होने की वजह से परिवार के लोग काफी परेशान थे. लेकिन जिस ऑटो में वह छूटा था उसके नंबर को इसी कैमरे के जरिए ट्रेस करके उसके मालिक का पता लगाकर इसे बच्चे तक वापस पहुंचाने का काम त्रिनेत्र स्मार्ट सिटी कंट्रोल रूम (Trinetra Smart City Control Room) ने किया. यह तो सिर्फ दो ऐसे मामले हैं जो आपको बताने के लिए प्रस्तुत किए गए हैं, लेकिन ऐसे लगभग 50 से ज्यादा मामले सामने आए हैं, जिनमें त्रिनेत्र स्मार्ट सिटी कंट्रोल रूम के जरिए पब्लिक को बड़ी मदद मिली है.
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बता दें कि कि वाराणसी स्मार्ट सिटी कंट्रोल रूम की स्थापना के उद्देश्य इसी से जुड़े हुए हैं. स्मार्ट सिटी कंट्रोल रूम को पूरी तरह से संचालित करने के लिए 24 घंटे स्विफ्ट काम करती है. लगभग 10 से ज्यादा पुलिसकर्मियों की एक टीम अलग है और ट्रैफिक पुलिस की टीम अलग जबकि चौराहों पर निगरानी से लेकर अन्य चीजों को तकनीकी रूप से मजबूत रखने के लिए लगभग 2 दर्जन लोगों की टीम अलग रूप से काम कर रही है. कुल मिलाकर लगभग 100 से ज्यादा का स्टाफ यहां पर 24 घंटे अलग-अलग शिफ्ट में काम करते हैं.
स्मार्ट सिटी कंट्रोल रूम के इंचार्ज और स्मार्ट सिटी के जनसंपर्क अधिकारी शाकंभरी नंदन सोंथालिया ने बताया कि वाराणसी स्मार्ट सिटी कंट्रोल रूम कि जब स्थापना हुई तो उसका उद्देश्य सिर्फ चौराहों पर चालान सिस्टम को अपडेट करने के साथ ही चेहरे की पहचान करने के अलावा ट्रैफिक नियमों की अनदेखी को रोकने के लिए किया गया था, लेकिन बाद में यह पब्लिक के लिए बड़े मददगार के रूप में साबित होने लगा. वाराणसी स्मार्ट सिटी कंट्रोल रूम में बनारस के लगभग 700 से ज्यादा प्वाइंट में लगे 22 सौ से ज्यादा हाई डेफिनेशन कैमरे की निगरानी एक साथ की जाती है. हर चौराहे पर लगाए कैमरों की जूम कैपेसिटी इतनी ज्यादा है कि छोटी से छोटी बड़ी चीज को भी हम बड़ी आसानी से टीवी स्क्रीन पर देख सकते हैं. यही वजह है कि बनारस में आने वाले पर्यटकों के साथ यहां के स्थानीय लोगों के लिए यह सिस्टम काफी कारगर साबित हो रहा है. चौराहों पर लगे स्मार्ट सिटी के कैमरे उनकी मदद कर रहे हैं किसी का बैग ऑटो में छूट जाने पर या किसी के साथ चैन स्नैचिंग या किसी अन्य तरह की घटना होने के अलावा किसी स्थान पर कोई सामान गायब होने जैसी सूचना लेकर लोग स्मार्ट सिटी कंट्रोल रूम पहुंचते हैं और यहां मौजूद पुलिस की टीम संबंधित थाने से संपर्क करके उसकी पड़ताल करती है.
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नंदन सोंथालिया ने बताया कि यदि मामला सही होता है तो पुलिस की टीम उनकी पूरी मदद करती है. अब तक ऐसे सैकड़ों मामले सामने आए हैं, जिसमें बाहर से आए लोगों के अलावा शहर के लोगों के छूटे हुए सामान से लेकर गायब हुए सामान को खोजने में कैमरे बड़े मददगार साबित हुए हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि कीमती चीज खो जाने के बाद मायूस लोग यहां आते हैं और थोड़े से प्रयास के बाद वह चीजें उन्हें वापस मिलती हैं तो उनके चेहरे की खुशी देखने लायक रहती है. शाकंभरी नंदन का कहना है कि यह अपने आप में काफी बड़ी उपलब्धि है कि बनारस जैसे शहर जहां प्रतिदिन लाखों लोग बाहर से आ रहे हैं और उनकी चीजों के गायब होने पर उनकी मदद करके उन्हें चीजें वापस की जाती हैं तो इससे बनारस की छवि भी सुधर जाती है और यहां पर लगाए गए स्मार्ट सिटी कंट्रोल रूम का प्लान भी साबित होता है.