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आंदोलन में मृतक किसानों को वाराणसी में दी गई श्रद्धांजलि - किसान आंदोलन

यूपी के वाराणसी में मिर्जामुराद क्षेत्र के प्रधानमंत्री आर्दश ग्राम नागेपुर के किसानों ने किसान आंदोलन में मृतक किसानों को श्रद्धांजलि अर्पित की. इस दौरान किसानों ने कहा कि वह किसान विरोधी कानूनों का विरोध करते हैं.

मृतक किसानों को दी गई श्रद्धांजलि
मृतक किसानों को दी गई श्रद्धांजलि
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Published : Dec 19, 2020, 3:24 PM IST

वाराणसी: जनपद के मिर्जामुराद क्षेत्र के प्रधानमंत्री आर्दश ग्राम नागेपुर के ग्रामवासियों ने किसान आंदोलन के मृत किसानों को श्रद्धांजलि दी. इस दौरान किसानों ने नारेबाजी करके कृषि कानून वापस लेने की मांग की. किसानों ने नए कृषि कानून को अविलम्ब निरस्त करने की भी मांग की.

गांव के लोक समिति आश्रम में आयोजित श्रद्धांजलि सभा कार्यक्रम में लोगों ने दो मिनट का मौन रखकर आंदोलन में मृतक किसानों की याद में दिए जलाकर श्रद्धांजलि अर्पित की. इस दौरान सभा में किसानों ने कहा कि किसानों के लिए सरकार जो तीन काले कानून लेकर आई है, वह किसान के साथ जबरदस्ती है. किसानों ने कहा कि किसान विरोधी काले कानून के खिलाफ आंदोलन करते हुए जो किसान मृतक हुए हैं हम उनको नमन करते हैं. अगर सरकार यह तीन काले कानून नहीं लाती तो आज किसानों की ऐसी दुर्दशा नहीं होती. किसान आज भी इतनी सर्दी और करोना काल में अपने अधिकार की लड़ाई लड़ रहा है, फिर भी सरकार की आंखें नहीं खुल रही हैं. किसानों का कहना है कि जो किसान इस देश के लिए अन्न पैदा करता है, आज वही किसान सड़क पर उतरकर अपने हक की लड़ाई लड़ रहा है.

लोक समिति के संयोजक नन्दलाल मास्टर ने कहा कि हम सरकार द्वारा किसानों की राय लिए बिना लाए गए तीनों किसान विरोधी कानूनों का विरोध करते हैं. केंद्र सरकार द्वारा धरनारत किसानों की बात न सुनना निंदनीय है. आंदोलन के दौरान बहुत सारे किसान नेताओं और आंदोलनकारियों को नजरबन्द करके लोकतंत्र की हत्या की जा रही है. लोकतंत्र में सभी को अपनी बात कहने का अधिकार दिया गया है, लेकिन लगता है कि सरकार संविधान में विश्वास नहीं रखती. किसानों की आमदनी दोगुनी करने का वादा करने वाली सरकार किसानों से उनकी जमीन छीनने का षड्यंत्र रच रही है.

वाराणसी: जनपद के मिर्जामुराद क्षेत्र के प्रधानमंत्री आर्दश ग्राम नागेपुर के ग्रामवासियों ने किसान आंदोलन के मृत किसानों को श्रद्धांजलि दी. इस दौरान किसानों ने नारेबाजी करके कृषि कानून वापस लेने की मांग की. किसानों ने नए कृषि कानून को अविलम्ब निरस्त करने की भी मांग की.

गांव के लोक समिति आश्रम में आयोजित श्रद्धांजलि सभा कार्यक्रम में लोगों ने दो मिनट का मौन रखकर आंदोलन में मृतक किसानों की याद में दिए जलाकर श्रद्धांजलि अर्पित की. इस दौरान सभा में किसानों ने कहा कि किसानों के लिए सरकार जो तीन काले कानून लेकर आई है, वह किसान के साथ जबरदस्ती है. किसानों ने कहा कि किसान विरोधी काले कानून के खिलाफ आंदोलन करते हुए जो किसान मृतक हुए हैं हम उनको नमन करते हैं. अगर सरकार यह तीन काले कानून नहीं लाती तो आज किसानों की ऐसी दुर्दशा नहीं होती. किसान आज भी इतनी सर्दी और करोना काल में अपने अधिकार की लड़ाई लड़ रहा है, फिर भी सरकार की आंखें नहीं खुल रही हैं. किसानों का कहना है कि जो किसान इस देश के लिए अन्न पैदा करता है, आज वही किसान सड़क पर उतरकर अपने हक की लड़ाई लड़ रहा है.

लोक समिति के संयोजक नन्दलाल मास्टर ने कहा कि हम सरकार द्वारा किसानों की राय लिए बिना लाए गए तीनों किसान विरोधी कानूनों का विरोध करते हैं. केंद्र सरकार द्वारा धरनारत किसानों की बात न सुनना निंदनीय है. आंदोलन के दौरान बहुत सारे किसान नेताओं और आंदोलनकारियों को नजरबन्द करके लोकतंत्र की हत्या की जा रही है. लोकतंत्र में सभी को अपनी बात कहने का अधिकार दिया गया है, लेकिन लगता है कि सरकार संविधान में विश्वास नहीं रखती. किसानों की आमदनी दोगुनी करने का वादा करने वाली सरकार किसानों से उनकी जमीन छीनने का षड्यंत्र रच रही है.

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